कर्नाटक (Karnataka) की शिवमोगा (Shivamogga) लोकसभा सीट प्रदेश की सबसे चर्चित सीटों में से एक है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के तीसरे चरण में यहां वोटिंग होनी है. इस सीट पर दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बच्चों के बीच मुकाबला है. बीजेपी ने मौजूदा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) के बेटे बीवाई राघवेंद्र (BY Raghavendra) को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने पूर्व सीएम दिवंगत एस बंगारप्पा (S Bangarappa) की बेटी गीता शिवराजकुमार (Geetha Shivarajkumar) पर भरोसा जताया है. इसके अलावा बीजेपी के बागी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा (K S Eshwarappa) भी ताल ठोक रहे हैं. उनके आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
शिवमोगा में त्रिकोणीय मुकाबला
कर्नाटक की शिवमोगा लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गढ़ मानी जाती है. मालनाड या पश्चिमी घाटों के द्वार के नाम से मशहूर शिवमोगा पर 2009 से बीजेपी का कब्जा रहा है. यहां से या तो राघवेंद्र या उनके पिता बीएस येदियुरप्पा जीतते रहे हैं लेकिन इस बार कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है. बीजेपी ने एक बार फिर येदियुरप्पा के बेटे राघवेंद्र पर भरोसा जताया है. राघवेंद्र चौथी बार यहां से सांसद बनने की कोशिश में हैं. बता दें कि इस सीट से येदियुरप्पा भी सांसद रह चुके हैं.
यहां राघवेंद्र और येदियुरप्पा का बड़ा प्रभाव है. स्थानीय स्तर पर, येदियुरप्पा और राघवेंद्र अधिक लोकप्रिय नेता हैं जो निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय हैं.
2024 में बीजेपी को टक्कर मिल रही है, बागी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा से, जो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़े हैं. पड़ोस की हावेरी लोकसभा सीट से उनके बेटे केई कांतेश को बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी. इसके लिए येदियुरप्पा परिवार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
येदियुरप्पा को बंगारप्पा परिवार से भी चुनौती मिल रही है. कांग्रेस ने इस बार पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा की बेटी गीता शिवकुमार को मैदान में उतारा है. गीता मशहूर कन्नड़ अभिनेता शिवराजकुमार की पत्नी और सुपरस्टार राजकुमार की बहू हैं. 2019 में उनके भाई एस मधु बंगारप्पा ने जेडीएस के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ा था लेकिन वो हार गए थे.
किसका पलड़ा भारी?
शिवमोगा में 17.5 लाख मतदाता हैं. एक अनुमान के मुताबिक, इनमें से 2.8 लाख लिंगायत हैं. वहीं अनुसूचित जाति (SC), वोक्कालिगा और ब्राह्मण समुदायों के डेढ़-डेढ़ लाख मतदाता हैं. ओबीसी एडिगा समूह के 2.5 लाख और 1.35 लाख मुस्लिम वोटर्स हैं.
येदियुरप्पा परिवार का कर्नाटक के सबसे बड़े मतदाता समूह यानी लिंगायत समुदाय में बड़ा प्रभाव है. जिसकी वजह से बीजेपी को लिंगायत और ब्राह्मण वोटर्स का समर्थन मिलने की उम्मीद है. यही कारण है कि इस सीट पर राघवेंद्र मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं.
वहीं केएस ईश्वरप्पा ओबीसी कुरुबा समुदाय से आते हैं. अगर वो पारंपरिक बीजेपी समर्थकों से अच्छी संख्या में वोट हासिल करने में सफल रहते हैं तो कांग्रेस उम्मीदवार को फायदा हो सकता है. लेकिन, पिछड़े वर्ग के नेता होने के नाते अगर वो पारंपरिक कांग्रेस समर्थकों, ओबीसी वोटर्स को लुभाते हैं, इससे बीजेपी को बढ़त मिल सकती है.
वहीं कांग्रेस एडिगा और मुस्लिम समुदायों पर ध्यान केंद्रित कर रही है. गीता एक फिल्मी घराने से आती हैं. चुनाव में वो अपने सुपरस्टार पति के साथ मिलकर प्रचार कर रही हैं. ऐसे में अभिनेता शिवराजकुमार की फैन-फॉलोइंग का भी उन्हें फायदा मिल सकता है.
इस सीट पर 2005 में हुए उपचुनाव से लेकर 2019 तक बीजेपी का वोट शेयर करीब 37 फीसदी बढ़ा है.
पिछले चुनावों पर नजर
राघवेंद्र तीन बार शिवमोगा से संसद के लिए चुने गए हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव और 2018 के उपचुनाव में, उन्होंने गीता के भाई मधु बंगारप्पा को हराया था, जो अब सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में मंत्री हैं.
2019 में बीजेपी और जेडीएस के बीच मुकाबला था. बीजेपी को जहां 56.86 फीसदी वोट मिले थे. वहीं जेडीएस के खाते में 39.46 फीसदी वोट आए थे जो कि 2018 में हुए उपचुनाव से 6.40 फीसदी कम था.
2014 में भी इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था. तब बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा ने कांग्रेस मंजूनाथ भंडारी को 3,63,305 वोटों से मिला था. यहां जेडीएस के प्रत्याशी उतारने से कांग्रेस को नुकसान हुआ था. बीजेपी को 53.69%, कांग्रेस को 21.52% और जेडीएस को 21.31% वोट मिले थे.
2009 में राघवेंद्र ने पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगारप्पा को 52,893 वोटों से हराया था. बीजेपी का वोट शेयर 50.58% और कांग्रेस का वोट शेयर 45.04% था.
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