कोलकाता में 2000 से अधिक लोगों को नकली टीका (Covid-19 Vaccine) लगाने के मामले में धरपकड़ जारी है लेकिन अभी तक तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हुई है. ये पता नहीं लगाया जा सकता है कि कोरोना वैक्सीन की जगह लोगों को कौन सा टीका दिया गया है. इस बीच पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस मामले पर केंद्र को चिट्ठी लिखकर इसकी जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराए जाने की मांग की है. वहीं राज्य सरकार (Mamata Government) ने एक चार मेंबर की कमेटी बनाई है जो ये देखेगी कि फर्जी वैक्सीनेशन का कितना प्रभाव पड़ा है और इसे सही किए जाने के लिए कौन से कदम उठाए जाए.
कोलकाता फर्जी वैक्सीनेशन ये मामला कैसे सामने आया?
यह पूरी घटना तब सामने आई जब तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती ने कोलकाता पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि बुधवार को शहर के दक्षिणी इलाके में कस्बा इलाके में एक व्यक्ति फर्जी टीकाकरण केंद्र चला रहा है.अभिनेत्री से नेता बनीं चक्रवर्ती ने शिविर को संदिग्ध पाया जब बुधवार शाम को इस शिविर से वैक्सीन लेने के बाद उन्हें कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं मिली और फिर उन्होंने अपनी शिकायत दर्ज कराई.
कोलकाता पुलिस के जासूसी विभाग ने नकली टीकाकरण रैकेट चलाने वाले फर्जी IAS देबंजन देव से पूछताछ के दौरान कुछ दिलचस्प जानकारियां हासिल की हैं. शहर की पुलिस ने केएमसी के लेटरहेड, लोगो, रबर स्टैंप और कई अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं. पुलिस के मुताबिक, देव ने लोगों को भर्ती कर वेतन दिया.
देव की कंपनी में काम करने वाले एक शख्स ने कहा, "जब मुझे यह नौकरी मिली तो मुझे 3 लाख का भुगतान करना पड़ा. मुझे केएमसी लेटरहेड पर नियुक्ति पत्र दिया गया और देव के साथ एस्प्लेनेड में केएमसी प्रधान कार्यालय सहित कई जगहों पर गया. मुझे एक जगह खड़ा किया गया और वह चला गया."
अपने आप को IAS बताता था देबांजन देव
पुलिस जांच दल का मानना है कि देबंजन देव ने पूरी योजना सोच-समझकर बनाई थी. उन्हें यह भी पता चला है कि देव अपने पड़ोसियों को बताता था कि वह एक आईएएस अधिकारी है और केएमसी में संयुक्त आयुक्त के स्तर पर काम करता है.वह नीली बत्ती और सशस्त्र सुरक्षा गार्ड के साथ एक वाहन में घूमता रहा.एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "वह जिस कार्यालय को चलाते थे, वह केएमसी कार्यालय जैसा दिखता था और यह उम्मीद की जाती है कि उसने निगम के कुछ अधिकारियों के साथ कुछ करीबी संबंध विकसित किए थे, लेकिन हमें अभी तक उसके पैसे के स्रोत और इसके पीछे के मकसद का पता नहीं चल पाया है."
राज्य सरकार पर आरोप लगा रहे सुवेंदु अधिकारी
विपक्ष के नेता सुवेंदु इस पूरे मामले में जांच की मांग कर रहे हैं और टीएमसी के नेताओं की मिलीभगत का दावा कर रहे हैं. अधिकारी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर कहा है कि टीएमसी सरकार के कार्यक्रमों की विशेषता वाले ट्रेडमार्क नीले और सफेद गुब्बारों से सजाए गए ये शिविर पहले ही एमहस्र्ट स्ट्रीट, सोनारपुर में आयोजित किए जा चुके हैं और इन शिविरों में सैकड़ों लोगों को पहले ही टीका लग चुका है.इसमें उन्होंने आगे लिखा, "जबकि कस्बा में वैक्सीन लेने वालों से आधार कार्ड की प्रतियां प्राप्त की गई थी, लेकिन इनमें से किसी को भी टीकाकरण का कोई प्रमाण पत्र नहीं मिला है. ये सब पुलिस और नागरिक अधिकारियों सहित स्थानीय प्रशासन की निगरानी में हुआ है."
उन्होंने आगे लिखा, "कोलकाता नगर निगम के संयुक्त आयुक्त के रूप में कार्यरत देबांजन देब नामक एक व्यक्ति अपना परिचय एक आईएएस अधिकारी के रूप में देते हुए केएमसी के बैनर तले कोलकाता के केंद्र में स्थित कस्बा के वार्ड नंबर 107 में अवैध टीकाकरण शिविर को आयोजित कराया है." अधिकारी ने इस बात का जिक्र किया है कि कई आपत्तिजनक तस्वीरें पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी में आरोपी के प्रभाव का वर्णन करती है, जो पुलिस की जांच के दौरान सामने आई हैं.
बता दें कि मामले में कुछ और गिरफ्तारी हुईं हैं. सरकार और विपक्ष दोनों ही सक्रिय नजर आ रहे हैं.
(इनपुट: IANS)
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