वकीलों के एक ग्रुप ने रविवार, 26 दिसंबर को भारत के चीफ जस्टिस एन वी रमना (CJI NV Ramana) से अपील करके उनसे दिल्ली और हरिद्वार (Haridwar) में दो कार्यक्रमों में मुसलमानों के खिलाफ दिए गए नफरत भरे भाषणों का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया.
वकीलों ने सीजेआई को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि "दिल्ली में (हिंदू युवा वाहिनी द्वारा) और हरिद्वार (यति नरसिंहानंद द्वारा) में आयोजित दो अलग-अलग कार्यक्रमों में 17 और 19 दिसंबर 2021 के बीच, नफरत भरे भाषणों में मुसलमानों के नरसंहार के लिए खुले आह्वान शामिल थे."
17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में तीन दिवसीय 'धर्म संसद' आयोजित की गई, जिसमें मुसलमानों को निशाना बनाने वाले नफरत भरे कई भाषण दिए गए. उत्तराखंड पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ घटना के संबंध में धारा 153 ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया है-
'भाषण केवल अभद्र भाषा नहीं हैं, बल्कि एक पूरे समुदाय की हत्या के लिए एक खुला आह्वान है'
शुरू में, प्राथमिकी में केवल पूर्व शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी का नाम था, जिन्होंने हाल ही में हिंदू धर्म अपना लिया था और अपना नाम बदलकर जितेंद्र नारायण त्यागी कर लिया था. शनिवार को दो अन्य के नाम भी इसमें जोड़े गए.
वकीलों ने कहा कि भाषण "केवल अभद्र भाषा नहीं हैं, बल्कि एक पूरे समुदाय की हत्या के लिए एक खुला आह्वान है ..." इसमें सीजेआई से स्थिति की "गंभीरता" के कारण स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है. वकीलों में सीनियर एडवोक्ट दुष्यंत दवे, सलमान खुर्शीद और प्रशांत भूषण शामिल हैं.
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