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चाचा ने नहीं सुनी भतीजे की बात, अकेले पड़े रामविलास के चिराग

चिराग पासवान के खिलाफ पार्टी के 5 सांसदों ने की बगावत, चाचा पशुपति पारस को चुना नेता

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लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अध्यक्ष रामविलास पासवान के निधन को अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ और पार्टी टूटने के कगार पर पहुंच चुकी है. बेटे चिराग पासवान के हाथों में पार्टी की कमान सौंपने के करीब 1 साल बाद राजनीति के दिग्गज रहे रामविलास पासवान का निधन हो गया. लेकिन अब पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो चुकी है. चिराग पासवान के खिलाफ किसी और ने नहीं, बल्कि उनके चाचा पशुपति पारस ने ही बगावत छेड़ दी है. चिराग अपने चाचा को मनाने की कोशिश करने उनसे मुलाकात के लिए पहुंचे, लेकिन कुछ घंटों के इंतजार के बाद बैरंग लौट गए.

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ना मुलाकात, ना मानी बात

अब चिराग पासवान की चाचा को मनाने की आखिरी कोशिशें भी अगर नाकाम होती दिख रही हैं, जिसके बाद उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर भी सवाल उठने शुरू चुके हैं. हालांकि चिराग लगातार कोशिश कर रहे हैं कि किसी तरह पार्टी को टूटने से बचाया जाए. बताया गया कि इसके लिए उन्होंने अपनी मां को भी पार्टी प्रमुख बनाने का प्रस्ताव रखा है.

बताया गया कि चिराग पासवान जब पशुपति पारस के घर पहुंचे तो काफी देर इंतजार के बाद उन्हें बताया गया कि पारस घर पर मौजूद नहीं हैं. इस दौरान चिराग ने उनका इंतजार भी किया, लेकिन वो नहीं आए, जिसके बाद चिराग वापस लौट गए.

बता दें कि पार्टी के 6 सांसदों में से 5 ने रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस को अपना नेता मान लिया है. यानी पार्टी की कमान पारस के हाथ में लगभग चली गई है. पशुपति पारस को सांसदों ने लोकसभा में अपना संसदीय दल का नेता भी चुन लिया है. जिसके बाद पशुपति पारस को सदन में एलजेपी के नेता के तौर पर स्वीकार कर लिया गया है.
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एनडीए में शामिल होंगे सांसद?

बताया गया है कि इसी बीच लोक जनशक्ति पार्टी के सांसदों ने लोकसभा स्पीकर से भी मुलाकात की है. सभी सांसद स्पीकर को ये बताने पहुंचे थे कि अब लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी के संसदीय दल के नेता पशुपति पारस होंगे.

यानी पार्टी नेताओं ने अब चिराग को किनारे करने का पूरा मन बना लिया है. वहीं चिराग पासवान ने कहा कि, मैंने पार्टी को तोड़ा नहीं बल्कि बचाने का काम किया है.

बता दें कि पशुपति पारस एक बार फिर अपने समर्थन वाले 5 सांसदों के साथ एनडीए में शामिल होना चाहते हैं. पहले ये भी खबरें थीं कि सभी सांसद जेडीयू में शामिल हो सकते हैं, लेकिन इस पर पारस ने कहा कि, पार्टी चलती रहेगी. उन्होंने ये भी कहा कि अगर चिराग पासवान उनके साथ रहना चाहते हैं तो वो रह सकते हैं. पार्टी नेताओं की इस बगावत के बाद अब चिराग पासवान बिल्कुल अकेले पड़ चुके हैं.

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