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चुनाव 2019:साथ-साथ संसद जाने के लिए चुनाव मैदान में हैं ये चार कपल

इन चार दंपतियों में देश के 2 सबसे बड़े राजनीतिक घरानों के उम्मीदवार हैं

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साल 1978 में आई फिल्म 'मुसाफिर' का गीत 'मोरे सैंया भए कोतवाल तो अब डर काहे का' इतना लोकप्रिय हुआ कि यह मुहावरे के रूप में आज भी प्रचलित है. लेकिन अगर 'सैंया' और 'सजनी' दोनों कोतवाल बन जाएं तब कौन-सा मुहावरा होगा? जाहिर है, बिल्कुल नया मुहावरा होगा और इसे गढ़ रहे हैं चार दंपति, जो संसद जाने की जुगत में इस बार लोकसभा चुनाव के मैदान में हैं.

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इन चार दंपतियों में अखिलेश यादव-डिंपल यादव, राजेश रंजन (पप्पू यादव)-रंजीत रंजन, शत्रुघ्न सिन्हा-पूनम सिन्हा और सुखबीर सिंह बादल-हरसिमरत कौर बादल शामिल हैं.

अखिलेश यादव-डिंपल यादव

इन चार दंपतियों में देश के 2 सबसे बड़े राजनीतिक घरानों के उम्मीदवार हैं

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार चुनावी मैदान में आजमगढ़ सीट से गठबंधन के उम्मीदवार हैं. इसके पहले वह तीन बार (2000, 2004, 2009) कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद बन चुके हैं. अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव अखिलेश की पुरानी सीट कन्नौज से उम्मीदवार हैं.

डिंपल हालांकि, अपना पहला लोकसभा चुनाव 2009 में कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर से फिरोजाबाद सीट से हार गई थीं. तब अखिलेश ने दो सीटों -कन्नौज और फिरोजाबाद- से चुनाव लड़ा था, और दोनों पर उन्होंने जीत दर्ज की थी. बाद में उन्होंने फिरोजाबाद सीट छोड़ दी थी.

डिंपल ने 2014 के चुनाव में भी इस सीट से जीत दर्ज की. वह तीसरी बार कन्नौज से चुनाव मैदान में हैं. लेकिन अभी तक पति-पत्नी दोनों एक साथ संसद नहीं जा पाए हैं. उम्मीद है, इस बार दोनों की मुराद पूरी हो जाएगी.

पप्पू यादव-रंजीत रंजन

इन चार दंपतियों में देश के 2 सबसे बड़े राजनीतिक घरानों के उम्मीदवार हैं

दूसरे दंपति पप्पू यादव और रंजीत रंजन दो बार एक साथ संसद में काम कर चुके हैं, और एक बार फिर साथ-साथ संसद जाने के लिए चुनाव मैदान में हैं. लेकिन दोनों की पार्टियां अलग-अलग हैं.

पप्पू यादव ने पहली बार 1991 में पूर्णिया लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी. पप्पू यादव 1996, 1999 और 2004 के आम चुनावों में भी बिहार की अलग-अलग सीटों से सांसद बनें. साल 2014 के आम चुनाव में आरजेडी के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पप्पू ने मधेपुरा लोकसभा सीट से जीत दर्ज की. पप्पू यादव इसबार मधेपुरा से छठी बार संसद जाने के लिए चुनाव मैदान में हैं.

वहीं पप्पू की पत्नी रंजीत रंजन पहली बार सहरसा लोकसभा सीट से एलजेपी के टिकट पर 2004 में जीत दर्ज संसद पहुंची थीं. लेकिन 2009 के चुनाव में वह सुपौल सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से हार गईं. 2014 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के ही टिकट पर सुपौल सीट से जीत दर्ज कराई. रंजीत और पप्पू एक बार फिर साथ-साथ संसद पहुंच गए.

रंजीत तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर सुपौल से चुनाव मैदान में हैं. अब देखना यह है कि इस बार भी पति-पत्नी एकसाथ संसद जा पाते हैं, या नहीं, क्योंकि दोनों सीटों पर मुकाबला कड़ा है.

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शत्रुघ्न सिन्हा-पूनम सिन्हा

इन चार दंपतियों में देश के 2 सबसे बड़े राजनीतिक घरानों के उम्मीदवार हैं

संसद जाने की कतार में तीसरा जोड़ा फिल्मों से राजनीति में आए शत्रुघ्न सिन्हा और पूनम सिन्हा का है. शत्रुघ्न अपनी परंपरागत पटना साहिब सीट से इस बार भी चुनाव मैदान में हैं. लेकिन इस बार उनकी पार्टी बीजेपी नहीं, कांग्रेस है. वहीं उनकी पत्नी पूनम सिन्हा एसपी उम्मीदवार के रूप में लखनऊ सीट से चुनाव लड़ रही हैं.

शत्रुघ्न सिन्हा पहली बार 2009 में पटना साहिब से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में लोकसभा के लिए चुने गए थे. इसके पहले वह दो बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके थे.

यहां दोनों पति-पत्नी के सामने जीत की चुनौती काफी कठिन है, और यह 23 मई को ही स्पष्ट हो पाएगा कि इस दंपति का एकसाथ संसद जाने का सपना पूरा हो पता है या नहीं.

सुखबीर बादल-हरसिमरत कौर बादल

इन चार दंपतियों में देश के 2 सबसे बड़े राजनीतिक घरानों के उम्मीदवार हैं

संसद साथ जाने का सपना संजोने वाला चौथा जोड़ा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर का है.

शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल 11वीं और 12वीं लोकसभा में फरीदकोट संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के कैबिनेट में 1998-1999 तक वह कैबिनेट मंत्री रहे थे, और 2004 में वह फरीदकोट सीट से ही 14वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. मौजूदा लोकसभा चुनाव में सुखबीर फिरोजपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

वहीं सुखबीर की पत्नी हरसिमरत कौर पहली बार 2009 में 14वीं लोकसभा के लिए बठिंडा सीट से चुनी गईं थीं. वह 2014 में दोबारा इसी सीट से जीतकर लोकसभा पहुंची और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बनाई गईं. इस बार वो तीसरी बार इसी सीट से चुनाव मैदान में हैं.

यहां रोचक बात यह है कि सुखबीर और हरसिमरत दोनों संसद तो जा चुके हैं, लेकिन संसद में साथ-साथ जाने का मौका नहीं मिल पाया है. इस बार दोनों एक साथ चुनाव मैदान में हैं, और देखना यह है कि दोनों का साथ-साथ संसद जाने का सपना पूरा हो पाता है या नहीं.

17वीं लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में 11 अप्रैल से मतदान शुरू हुआ है, जो 19 मई को खत्म हो जाएगा. मतगणना 23 मई को होगी, और उसी दिन पता चलेगा कि ये चारों दंपति साथ संसद पहुंचकर नया मुहावरा गढ़ पाते हैं, या नहीं.

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