बीजेपी ने गुजरात के नवसारी से सांसद सी आर पाटिल को गुजरात बीजेपी का नया अध्यक्ष बनाया है. वो जीतूभाई वाघाणी की जगह लेंगे. वाघाणी का तीन साल का कार्यकाल पिछले साल ही खत्म हो गया था. पार्टी नए अध्यक्ष की तलाश में तब से ही जुटी थी. अब जाकर पार्टी ने गुजरात की नवसारी लोकसभा सीट से सांसद सीआर पाटिल के हवाले प्रदेश संगठन की कमान सौंपी है. खास बात है कि सीआर पाटिल 2019 के लोकसभा चुनाव में 6,89,668 वोट के अंतर से सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले सांसद रहे हैं.
पाटिल देश के पहले ऐसे सांसद हैं जिन्होंने अपने ऑफिस के लिए ISO सर्टिफिकेशन 9001: 2008 हासिल किया था. पाटिल को चुनाव प्रबंधन में काफी कुशल माना जाता है. प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी माने जाने वाले पाटिल वाराणसी चुनाव की जिम्मेदारी भी उठा चुके हैं. अब उन्हें प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है.
कांस्टेबल से राजनेता तक का सफर
सी आर पाटिल के करियर का अबतक का सफर भी काफी रोमांचक रहा है. महाराष्ट्र में जन्मे पाटिल ने साल 1975 में गुजरात पुलिस में बतौर कांस्टेबल अपना करियर शुरू किया था. पुलिस विभाग में रहने के बावजूद वो सामाजिक कार्यों और राजनीति से जुड़े रहे, ऐसे में अपने वरिष्ठों से उनका तालमेल कुछ खास ‘अच्छा’ नहीं रहा.
80 के दशक में गुजरात से सांसद रहे कांशीराम भाई राणा के संपर्क में आने के बाद पाटिल पुलिस की नौकरी छोड़ पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गए. साल 1990 में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की. साल 2002 में जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात गौरव यात्रा निकाली थी, उस वक्त दक्षिण गुजरात में इस यात्रा के प्रभारी सीआर पाटिल ही रहे.
साल 2009 के चुनाव में इन्हें नवसारी से लोकसभा का टिकट हासिल हुआ और पहली बार वो संसद पहुंचे. साल 2014 और 2019 में पाटिल ने रिकॉर्ड मार्जिन से जीत दर्ज की. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की थी. बताया जाता है कि वाराणसी में पीएम मोदी के गोद लिए हुए गांव का प्रबंधन भी पाटिल ही किया करते थे.
कांग्रेस ने हार्दिक पटेल को बनाया है अध्यक्ष
कांग्रेस ने इसी महीने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को गुजरात कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है. पाटीदार तबके में दबदबा रखने वाले हार्दिक के सामने बीजेपी की तरफ से गैर-पाटीदार मराठी नेता पाटिल होंगे.
प्रधानमंत्री मोदी के गृहराज्य में बीजेपी जातिगत समीकरणों को तोड़ती दिखती आई है. इससे पहले जैन समुदाय से आने वाले विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाना भी इसी का हिस्सा दिखता है.
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