ADVERTISEMENTREMOVE AD

Madhya Pradesh के आदिवासियों का कौन सगा, जिसपर किया भरोसा उसने तो लगता है ठगा?

Rahul Gandhi की Bharat Jodo Yatra आदिवासी सीटों को ध्यान में रखते हुए होगी, BJP भी मूल निवासियों को रिझाने में जुटी.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) धीरे-धीरे विधानसभा चुनाव 2023 की ओर सरकता जा रहा है, प्रशासनिक फेरबदल से लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं तक पहुंचने की कवायद तेज़ हो चली है। प्रदेश स्तर पर चुनावी प्लान बन रहा है, प्रदेश की दोनों ही प्रमुख पार्टियां भाजपा और कांग्रेस अपनी रण नीतियों पर काम कर रहे हैं और इन सबका केंद्र बिंदु बना हुआ है मध्यप्रदेश का आदिवासी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
राज्य में जहां एक तरफ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा एक पखवाड़े में चालू होने वाली है वहीं दूसरी ओर बीजेपी की भी रथ यात्रा का प्लान बन चुका है.

राहुल गांधी की यात्रा में भी फेरबदल होने की चर्चाएं हैं और ये फेरबदल आदिवासी सीटों को ध्यान रखते हुए ही किए जाने हैं. वहीं बीजेपी ने भी 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के मौके को और 4 दिसंबर जो कि महान आदिवासी क्रांतिकारी टंट्या मामा का बलिदान दिवस है उसको भुनाने की तैयारी कर ली है.

लेकिन आदिवासी ही क्यों?

ऐसा इसलिए क्योंकि मध्य प्रदेश की सत्ता में बने रहने के लिए आदिवासी वोटर निर्णायक हैं. देशभर में सबसे ज्यादा आदिवासी इसी राज्य में रहते हैं

2011 की जनगणना की मानें तो मध्य प्रदेश में कुल जनसंख्या में 21.5 प्रतिशत लोग अनुसूचित जनजाति के हैं.

0
प्रदेश की 230 में से 47 सीटें इनके लिए आरक्षित हैं और लगभग 80 सीटों पर यानि एक तिहाई सीटों पर आदिवासी वोट निर्णयाक भूमिका में होते हैं.
Rahul Gandhi की Bharat Jodo Yatra आदिवासी सीटों को ध्यान में रखते हुए होगी, BJP भी मूल निवासियों को रिझाने में जुटी.

ऐसे में जिधर आदिवासियों का विश्वास, सत्ता की चाभी उसके पास. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई बड़े भाजपा नेता मध्यप्रदेश के चक्कर लगाते नहीं थक रहे हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो बीजेपी और संघ की आदिवासी इलाकों में पैठ बीते दो दशकों में खासा बढ़ी है. आदिवासियों के हिंदूकरण की कोशिशों ने कहीं न कहीं असर किया है और इसका साक्ष्य है बीते चुनावों के नतीजे.

पिछले चुनावों में क्या थी स्थिति?

बात करें पिछले चुनावों की तो भाजपा ने 2003 में जब कांग्रेस से सत्ता हथियाई थी, उस वक्त आदिवासी वोटरों का कांग्रेस से मुंह मोड़ना बहुत भारी पड़ा था.

2003 में आदिवासियों के लिए 41 सीटें रिज़र्व थीं और बीजेपी ने 37 सीटें जीती थी. इसके बाद परिसीमन हुआ और 2008 के विधानसभा चुनावों में 47 आदिवासी रिजर्व सीटों में से बीजेपी ने 31 सीट पर जीत हासिल की थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
Rahul Gandhi की Bharat Jodo Yatra आदिवासी सीटों को ध्यान में रखते हुए होगी, BJP भी मूल निवासियों को रिझाने में जुटी.

यही हालात 2013 में रहे और भाजपा की झोली में फिर 31 आदिवासी सीटें आईं थी, जबकि कांग्रेस 47 में से मात्र 15 सीट ही जीत पाई थी.

हालांकि 2018 में कांग्रेस ने 47 में से 30 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी, जो बाद में दलबदलु विधायकों के चलते मात्र 15 महीने में ही गिर गई थी.

आदिवासियों का भाजपा पर विश्वास करना कितना फायदेमंद रहा है ?

पिछले चार विधानसभा चुनावों में से अगर 2018 को हटाकर बात करें तो आदिवासी समूह ने बीजेपी को भरपूर वोट दिए हैं, हालांकि प्रदेश में आदिवासियों की स्थिति में कुछ खास सुधार देखने को नहीं मिला है.

NCRB की ताजा रिपोर्ट की मानें तो अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध मध्य प्रदेश में हुए, यहां दैनिक औसत के हिसाब से हर दिन 7.2 मामले आदिवासियों के खिलाफ अपराध के दर्ज किए गए.
ADVERTISEMENTREMOVE AD
Rahul Gandhi की Bharat Jodo Yatra आदिवासी सीटों को ध्यान में रखते हुए होगी, BJP भी मूल निवासियों को रिझाने में जुटी.

मई 2022 में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में कथित तौर पर बजरंग दल और राम सेना के सदस्यों द्वारा गौहत्या के संदेह में दो आदिवासी पुरुषों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. गांववालों और परिवारजनों का आरोप था की पुलिस की मौजूदगी में ही दोनों की हत्या की गई थी.

आदिवासियों के खिलाफ हो रहे अपराधों में मध्य प्रदेश के रतलाम में अगस्त 2022 की घटना को शामिल करना भी जरूरी है जहां एक आदिवासी महिला को गौ तस्करी के शक में भीड़ ने पीटा था. इस घटना का एक वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

आदिवासियों के खिलाफ कई घटनाओं में अपराधियों के प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से भगवा ब्रिगेड के साथ संबंध भी उजागर हुए हैं ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनावों में आदिवासी वोटों का ऊंट किस करवट बैठता है ये देखने लायक होगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×