चंद्रशेखर आजाद कॉलेज, आदर्श महाविद्यालय और गर्ल्स डिग्री कॉलेज में पढ़ने वाले करीब 400 छात्रों ने अपनी अलग-अलग समस्याओं को लेकर मध्य प्रदेश के झाबुआ में कलेक्टोरेट का घेराव किया.
प्रदर्शन में शामिल अधिकतर छात्राएं थीं. प्रदर्शन कर रहे छात्रों के कलेक्ट्रेट पहुंचने पर पुलिस ने बैरिकेड्स लगा दिए, जिससे गुस्साए छात्र कैंपस में ही धरने पर बैठ गए. लगभग 45 मिनट तक छात्रों ने सरकार और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की लेकिन कोई अधिकारी उनकी बात सुनने नहीं पहुंचा.
इस दौरान छात्रों और पुलिस के बीच खींचतान भी होती नजर आई. हंगामा बढ़ता देख तहसीलदार आशीष राठौर मौके पर पहुंचे. उन्होंने 4 छात्रों को अपनी समस्या बताने के लिए कलेक्टर के पास भी भेजा. छात्राओं ने कॉलेज छोड़ने के नाम पर बस संचालकों के अभद्र व्यवहार और पैसे वसूलने की जानकारी दी.
छात्रा की मांग-'आप हमारी मांग पूरी नहीं कर सकते तो हमें कलेक्टर बना दो'
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान एक छात्रा की वीडियो वायर हो रहा है. लड़की झाबुआ कलेक्टर के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए कहती है कि
"आप हमारी मांग पूरी नहीं कर सकते तो हमें कलेक्टर बना दो."
आदिवासियों के प्रदर्शन में लड़की ने कहा कि अगर हमें कलेक्टर बना दो तो हम सबकी मांगें पूरी कर देंगे. उसकी इस बात को सुनते ही अगल बगल खड़ी सभी लड़कियां हंसने लगीं. लड़की आगे कहती है.
हम कलेक्टर बनने के लिए तैयार हैं. सबकी मांगें पूरी कर देंगे सर अगर आप कर नहीं पाते हैं तो. किसके लिए बनी है सरकार, जैसे की हम भीख मांगने के लिए यहां आए हैं. हमारे गरीब के लिए कुछ व्यवस्था करो सर. हम इतनी दूर से आते हैं आदिवासी लोग. हम कितने पैसे किराया देकर आते हैं.
लड़की के इस वीडियो को युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने ट्विटर कर शेयर किया है.
निर्मला चौहान ने क्विंट से की खास बातचीत
झाबुआ की लड़की निर्मला चौहान जिसका वीडियो 22 दिसंबर को वायरल हुआ था, द क्विंट से बात करते हुए कहा,
"यह अच्छा है कि वीडियो वायरल हो गया, क्योंकि हम यहां झाबुआ में बहुत समस्याओं का सामना कर रहे हैं. हमारे छात्रावास बंद हैं, हम किराए के कमरों में रहने के लिए मजबूर हैं. बसें बहुत अधिक चार्ज कर रही हैं, इसलिए हम में से कई कॉलेज से कभी-कभी अकेले 2-3 किमी पैदल चलकर वापस आते हैं. हम कैसे प्रबंधन करेंगे?" इतना ही नहीं, कॉलेज में पढ़ाई नहीं हो रही है, पढ़ने के लिए किताबें नहीं हैं, कॉलेज में खेल का मैदान नहीं है, कई बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि हमारे पास झाबुआ के बाहर पढ़ाई का खर्चा नहीं है.
उसने आगे कहा कि "आखिर यह सरकार क्यों है? वे यहां मदद करने के लिए कौन हैं? हम, ठीक है, लोग. मैं अपनी शिक्षा के लिए 2-3 किमी और भी अधिक चल सकती हूं लेकिन सभी लड़कियां नहीं कर सकती हैं. मेरे जैसे कई लोग जीने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं. शहर में एक किराए के कमरे में यह उनकी जिम्मेदारी है कि हम अपनी शिक्षा प्राप्त करें, हमें न केवल झाबुआ में लड़कियों के लिए बल्कि सभी छात्रों के लिए रहने की अच्छी स्थिति और अच्छा भविष्य मिले"
20 वर्षीय निर्मला का कहना है कि उसके 6 भाई-बहन हैं जिनमें से केवल दो ही पढ़ रहे हैं. बाकी को आर्थिक तंगी के कारण अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी है.
झाबुआ के गवर्नमेंट गर्ल्स कॉलेज से बीए प्रथम वर्ष की छात्रा निर्मला कहती हैं कि लड़ाई उनके लिए नहीं है, बल्कि उन हजारों लड़कियों और छात्रों के लिए है जो शिक्षा सहित बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं.
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