महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के लिए वोटिंग हो चुकी है. तमाम न्यूज चैनलों और एजेंसियों ने अपने एग्जिट पोल जारी कर दिए हैं. चुनाव नतीजों को लेकर जितने भी अनुमान सामने आए हैं, उनमें एक ही बात सामने आई है कि कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना को रोक पाने में नाकाम दिख रहा है. यानी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन एक बार फिर राज्य की सत्ता में वापसी करता दिख रहा है.
लेकिन महाराष्ट्र को लेकर जारी एग्जिट पोल के आंकड़ों से एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है. वो ये कि अगर महाराष्ट्र में बीजेपी ने अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया तो उसकी सहयोगी शिवसेना का क्या होगा?
शिवसेना के लिए चिंता की वजह क्या है?
महाराष्ट्र के लिए आए टॉप 5 एग्जिट पोल्स में से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को तीन में 230 के आसपास सीटें मिलती दिख रही हैं. अगर ऐसा होता है और बीजेपी अकेले दम पर बहुमत के 145 के आंकड़े को छू लेती है तो सरकार में शिवसेना की स्थिति क्या होगी?
क्या शिवसेना का राज्य सरकार में भी वही रुतबा रहेगा, जो उसे अब तक हासिल था? शिवसेना केंद्र में भी बीजेपी के साथ है और वहां भी उसे सरकार में हिस्सेदारी हासिल है. लेकिन केंद्र हो या राज्य, बीजेपी और शिवसेना का ये साथ जरूरी से ज्यादा मजबूरी ही नजर आता है.
ऐसे में एग्जिट पोल में आए आंकड़ों ने शिवसेना की चिंता बढ़ा दी है और अब उसे काउंटिंग के दिन, 24 अक्टूबर का इंतजार है.
आदित्य ठाकरे की आकांक्षाओं का क्या होगा?
महाराष्ट्र की राजनीति में ये पहली बार है जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में है. आदित्य ठाकरे के चुनाव लड़ने के फैसले के बाद से ही ये कयास लगाए जा रहे हैं कि वो महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बनेंगे. लेकिन अगर गठबंधन में बीजेपी का दबदबा बढ़ता है तो शिवसेना का ये ख्वाब, ख्वाब ही रह जाएगा.
अगर बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल कर लेती है, तो आदित्य ठाकरे का डिप्टी सीएम बनना पूरी तरह से बीजेपी पर ही निर्भर होगा. हालांकि, सहयोगी दल होने के नाते आदित्य ठाकरे को कैबिनेट में जगह मिल सकती है लेकिन शिवसेना का आदित्य को सरकार में नंबर दो की पोजिशन पर बैठाने का सपना नाकाम हो सकता है. बीजेपी भी इस बात का खास ख्याल रखेगी कि आदित्य को कोई बड़ी जिम्मदारी न दी जाए. क्योंकि पॉलिटिक्स में डेब्यू के साथ ही सरकार में नंबर 2 की पोजिशन मिलने से आदित्य का राजनीतिक कद बढ़ जाएगा, जो भविष्य में बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है.
कुल मिलाकर बीजेपी का बहुमत के आंकड़े के करीब जाना शिवसेना के लिए अच्छी खबर नहीं है. बीजेपी बहुमत के आंकड़े से जितना दूर होगी, शिवसेना के लिए उतना ही अच्छा है.
बीते वक्त में क्या-क्या हुआ?
साल 1995 में हुए विधानसभा चुनावों में शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर चुनाव लड़ा. शिवसेना से कुछ ही सीटें कम आने के बावजूद भी सरकार में बीजेपी को जूनियर पार्टनर का रोल निभाना पड़ा. लेकिन सरकार बनाए रखने के लिए दोनों ही पार्टियों को एक दूसरे के साथ की जरूरत थी और सरकार चलती रही. बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे को उपमुख्यमंत्री बनाया गया और मनोहर जोशी को मुख्यमंत्री.
साल 2014 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो बाजी पलटी और इस बार महाराष्ट्र में एकबार फिर से भगवा छाया लेकिन बीजेपी बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. 63 सीटों के साथ इस बार शिवसेना को सरकार में जूनियर बनना पड़ा. बीजेपी के पास इसबार बड़ी संख्या थी, ज्यादा ताकत थी तो देवेंद्र फडणवीस अपनी सरकार में बगैर किसी उपमुख्यमंत्री के ही रहे.
2019 में भी अगर एग्जिट पोल जैसे आंकड़े आते हैं तो बीजेपी फिर से अपने पुराने स्टैंड पर कायम रहेगी और बगैर उपमुख्मंत्री के ही सरकार बनाएगी.
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