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महाराष्ट्र: BJP ने अबकी बार क्यों नहीं किए लोक-लुभावन चुनावी वादे?

बीजेपी के संकल्प पत्र में किसान कर्जमाफी शामिल नहीं

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बीजेपी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है. इस संकल्प पत्र में बीजेपी चुनाव से ठीक पहले लोकलुभावन घोषणाओं से दूरी बनाती हुई दिखी. बीजेपी को भरोसा है कि वो सत्ता में वापसी कर रही है शायद इसीलिए अगले 5 साल महाराष्ट्र की मूल समस्या को खत्म करने का प्लान तैयार किया गया है. मुख्यतौर पर राज्य के कई जिलों में सूखा एक बड़ी समस्या है. इस समस्या से निपटने के लिए वॉटर ग्रिड योजना के जरिये महाराष्ट्र को सूखा मुक्त करने का संकल्प लिया गया है.

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अगले पांच सालों के लिए बीजेपी के 5 बड़े संकल्प

  1. आने वाले 5 सालों में महाराष्ट्र को सूखा मुक्त करना, बारिश का जो पानी समंदर में बहकर जाता है उससे रोकना और उस पानी को सूखा ग्रस्त क्षेत्र के लिए पहुंचाना
  2. वॉटर ग्रिड योजना के जरिये 11 बांधो को आपस में जोड़कर मराठवाड़ा में पानी की आपूर्ति करना
  3. किसानो को सोलर ग्रिड से दिन में 12 घंटे बिजली देना
  4. एक करोड़ युवाओं को 5 साल में रोजगार देने का वादा
  5. वीर सावरकर, ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले को भारत रत्न देने की मांग

क्यों नहीं किए लोकलुभावन वादे ?

दरसल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सत्ता में आने के लिए बेकरार थी. इसलिए चुनाव से पहले लोगों को लुभाने के लिए बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में टोल मुक्त महाराष्ट्र की घोषणा कर दी थी. ये एक ऐसा वादा था जिसे पूरा करते हुए सरकार की सांस फूल गई. इतना ही नहीं टोल मुक्त महाराष्ट्र की घोषणा पर गडकरी और पार्टी के दूसरे नेताओ में मतभेद भी खुलकर सामने आए थे.

गडकरी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि टोल मुक्त महाराष्ट्र की घोषणा सरकार के गले की फांस बन चुकी है. जिसके बाद महाराष्ट्र आज तक पूरी तरह टोल मुक्त नहीं हो पाया है.

वहीं बीजेपी ने 2014 में एक और लोकलुभावन वादा किया था. जिसमें पेट्रोल और डीजल के दाम पर महाराष्ट्र में लगने वाले सर चार्ज को कम करने की बात कही गई थी. ये वादा भी पूरा नहीं हो पाया. फिलहाल सरकार प्रो इनकंबेंसी के दौर से गुजर रही है, ऐसे में बीजेपी ऐसी कोई भी घोषणा करने से बच रही है जिसे पूरा करने में पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़े.

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किसान कर्ज माफी का कोई वादा नहीं

महाराष्ट्र में लगातार आत्महत्या करते किसानों का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा है. ऐसे में किसानो को लुभाने के लिए शिवसेना से लेकर कोंग्रेस-एनसीपी ने भी कर्जमाफी का वादा किया है. लेकिन बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में इस मुद्दे को कोई जगह नहीं दी है. सीएम फडणवीस को महाराष्ट्र में किसानों के बड़े आंदोलन के बाद कर्जमाफी का ऐलान करना पड़ा था, लेकिन फडणवीस कई बार कह चुके है कि कर्जमाफी किसानों की समस्या पर आखिरी उपाय नहीं है. यही वजह हो सकती है कि बीजेपी ने इस मुद्दे को अपने संकल्प पत्र से दूर रखा.

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