लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में महाराष्ट्र की बारामती सीट पर पवार बनाम पवार की जंग है. ननद के सामने भाभी चुनावी मैदान में हैं. राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने सुनेत्रा पवार को अपना उम्मीदवार बनाया है. सुनेत्रा अजित पवार की पत्नी हैं. वहीं उनके सामने खड़ी हैं, रिश्ते में ननद और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) की नेता सुप्रिया सुले. सुप्रिया शरद पवार की बेटी हैं. इस पारिवारिक चुनावी लड़ाई की वजह से बारामती का मुकबला दिलचस्प हो गया है.
सुप्रिया सुले ने रविवार को कहा कि बीजेपी ने पार्टी प्रमुख शरद पवार को खत्म करने के मकसद से बारामती लोकसभा सीट पर उनके खिलाफ उनकी भाभी सुनेत्रा पवार को खड़ा करने की साजिश रची है.
"मेरी लड़ाई किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं है, बल्कि उनकी मानसिकता और नीतियों के खिलाफ है. आपने मुझे पिछले 18 वर्षों से राजनीति में देखा है; मैंने कभी किसी पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की है."सुप्रिया सुले
बारामती एनसीपी का गढ़
बारामती सीट एनसीपी का गढ़ रहा है. यह सीट पवार परिवार की पारंपरिक सीट है. तीन दशक से इस परिवार का दबदबा रहा है. वर्तमान में इस सीट पर सुप्रिया सुले सांसद हैं. सुप्रिया इस सीट से तीन बार सांसद चुनी गईं हैं. यहां से खुद शरद पवार 6 बार सांसद चुने गए हैं. एक बार उनके भतीजे अजित पवार ने इस सीट से जीत हासिल की है. 2014 और 2019 की मोदी लहर में भी बीजेपी इस सीट पर कोई कमाल नहीं दिखा सकी और उसे करारी हार का सामना करना पड़ा.
शरद पवार का जन्म बारामती में ही हुआ था. साल 1984 में पवार यहां से पहली बार सांसद बने थे. वह भारतीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) पार्टी से चुनाव लड़े थे. इसके बाद वो 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में यहां से जीतकर संसद पहुंचे. पवार से पहले पहले इस सीट पर कांग्रेस पार्टी की पकड़ रही थी.
जातीय समीकरण
बता दें कि बारामती लोकसभा सीट पुणे जिले का हिस्सा है. इसमें 6 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें 2 सीटों- इंदापुर और बारामती पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का कब्जा है. वहीं, पुरंदर और भोर सीट पर कांग्रेस के पास है, जबकि दौंड और खड़कवासला सीट पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक काबिज हैं.
जुलाई 2023 में एनसीपी में विभाजन के बाद शरद पवार के नेतृत्व वाले एक गुट का इनमें से किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में प्रतिनिधित्व नहीं है, लेकिन यहां कांग्रेस का समर्थन उसे मिलेगा. दूसरी तरफ अजित पवार गुट अपने कार्यकर्ताओं के अलावा बीजेपी समर्थकों पर नजरें टिकाए हुए हैं.
बारामती लोकसभा सीट पर मराठा वोटरों का दबदबा है और करीब 1 लाख मुस्लिम वोटर भी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस सीट पर पवार वोटरों की संख्या भी करीब 70 हजार है. तो वहीं गायकवाड़ 30 हजार, शिंदे 65 हजार, चौहान 25 हजार, ब्राह्मण 80 हजार, एससी 2.5 लाख हैं.
पिछले 5 नतीजों पर एक नजर
2019 लोकसभा चुनाव में NCP उम्मीदवार सुप्रिया सुले ने बीजेपी प्रत्याशी कंचन राहुल कुल को 1,55,774 वोटों से हराया था. इससे पहले 2014 के चुनाव में सुले ने महायुति गठबंधन के उम्मीदवार महादेव जगन्नाथ जानकर को करीब 70 हजार वोटों से हराया था.
2009 लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले ने बीजेपी प्रत्याशी कांता नलवाडे को 3,36,831 वोटों से हराया था.
2004 लोकसभा चुनाव में NCP चीफ शरद पवार ने बीजेपी उम्मीदवार पृथ्वीराज साहेबराव जाचक को 4,22,975 से हराया था. इससे पहले 1999 के चुनाव में पवार ने बीजेपी प्रत्याशी को 2,98,903 से हराया था.
वहीं अजित पवार साल 1991 में यहां से सांसद बने थे. उन्होंने करीब 3,36,263 वोटों से जीत दर्ज की थी.
सुप्रिया सुले और सुनेत्रा में किसका पलड़ा भारी?
सुनेत्रा पवार की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है. उन्हें सुप्रिया सुले जैसी तेज तर्रार सांसद के खिलाफ एक योग्य उम्मीदवार कहा जा रहा है. 2000 से सामाजिक कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल सुनेत्रा ने 2010 में एनवायर्नमेंटल फोरम ऑफ इंडिया नामक एक एनजीओ की स्थापना की, जो इको विलेज विकसित करने की दिशा में काम करता है.
2008 में, उन्होंने वेस्ट मैनेजमेंट, सतत विकास, सामुदायिक पशुधन प्रबंधन और ऊर्जा संरक्षण पर जोर देते हुए महाराष्ट्र के 86 गांवों में 'निर्मल ग्राम' अभियान का नेतृत्व किया था.
उनकी कोशिशों की वजह से पिछले कुछ सालों में उन्हें राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा मिली. साल 2006 से, वह बारामती हाई-टेक टेक्सटाइल पार्क की अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं जिसमें 15,000 से अधिक महिलाएं काम करती हैं.
दूसरी तरफ सुप्रिया सुले हैं, जिन्हें राजनीति विरासत में मिली हैं. तीन बार की सांसद सुले के साथ उनके पिता शरद पवार खड़े हैं. लेकिन पार्टी में टूट के बाद से बारामती का समीकरण बदल चुका है. सुले के लिए मतदाता और कैडर दोनों अस्थिर हैं. पुणे क्षेत्र के अधिकांश पदाधिकारी और पार्टी कार्यकर्ता अब अजित पवार के साथ हैं.
पिछले तीन लोकसभा चुनावों में सुले ने आसानी से जीत दर्ज की. हालांकि, बीजेपी एक दशक में अपना वोट शेयर दोगुना करने में कामयाब रही है. 2019 में सुले को 52.63% वोट मिले जबकि बीजेपी के उपविजेता कंचन कुल को 40.69% वोट मिले. 2009 में बीजेपी की हिस्सेदारी 20.57% थी.
ऐसे में अगर मोदी फैक्टर काम करता है और बीजेपी का वोट शेयर सुनेत्रा पवार की ओर शिफ्ट होता है तो सुप्रिया सुले के लिए ये बारामती की लड़ाई बेहद कठिन हो सकती है.
बता दें कि महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव पांच चरणों में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल, 7 मई, 13 मई और 20 मई को होंगे. वोटों की गिनती 4 जून को होगी.
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