ADVERTISEMENTREMOVE AD

BJP-शिवसेना के बीच तकरार की जड़ 50-50 फॉर्मूला आया कहां से?

महाराष्ट्र में 50-50 फॉर्मूले को लेकर शिवसेना-बीजेपी के बीच तकरार

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

महाराष्ट्र में 50-50 फॉर्मूले को लेकर शिवसेना-बीजेपी के बीच तकरार चल रहा है. इस बीच शिवसेना का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने राजभवन पहुंचा. इस प्रतिनिधिमंडल में शिवसेना विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे, आदित्य ठाकरे, रामदास कदम शामिल थे. इससे पहले शिवसेना विधायकों की बैठक में एकनाथ शिंदे को विधानसभा में शिवसेना के नेता के रूप में चुना गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

महाराष्ट्र के राज्यपाल से मुलाकात के बाद आदित्य ठाकरे ने कहा, "हमने राज्यपाल से किसानों और मछुआरों की मदद करने का अनुरोध किया है, जिन्हें हाल ही में बारिश के कारण नुकसान हुआ था. उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि वह खुद केंद्र से बात करेंगे."

आखिर कहां से आया 50-50 फॉर्मूला

महाराष्ट्र में जिस 50-50 फॉर्मूले को लेकर घमासान मचा है, ये फॉर्मूला असल में बिहार से निकला है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने बिहार में एनडीए के बीच सीटों के बंटवारे में इस फॉर्मूले को आजमाया था. इसी को हथियार बनाते हुए शिवसेना अब तीसरी बार बीजेपी पर दबाव बना रही है.

एक केंद्रीय मंत्री ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से कहा-

50-50 फॉमूर्ला सबसे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में सामने आया था. इसी फॉर्मूले के आधार पर बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था. इसके बाद से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक इसी फॉर्मूले के दम पर सीटों के लिए दबाव बनाते रहे. लेकिन अब मुख्यमंत्री के पद के लिए दावा ठोकना 50-50 फॉर्मूले की गलत व्याख्या है.

बिहार में भी मचा था सीटों पर घमासान

इस साल लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए में घमासान मचा था. जेडीयू ने बीजेपी से उसके बराबर सीटें मांगी थी. जबकि साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पास 22 लोकसभा सीटें थीं और जेडीयू के पास सिर्फ दो. जेडीयू विधानसभा चुनाव में मिली सीटों के आधार पर बराबर सीटें चाह रही थी.=

बावजूद इसके, बराबर सीटें न मिलने की स्थिति में जेडीयू की ओर से गठबंधन से अलग होने के संकेत दिए जाने के बाद बीजेपी ने 50-50 फॉर्मूले के तहत 17-17-6 के हिसाब से सीटें बांटी थीं. बीजेपी और जेडीयू ने 17-17 यानी बराबर सीटों पर लड़ने का फैसला किया और तीसरी सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को छह सीटें दी गई थीं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जब उद्धव ठाकरे ने 50-50 फॉर्मूले की रखी मांग...

बिहार में 16 फरवरी को 50-50 फॉर्मूले के तहत बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों का बंटवारा हुआ था. इसके तुरंत बाद बीजेपी जब महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सीटों का बंटवारा करने बैठी तो उद्धव ठाकरे ने कहा कि बिहार की तरह महाराष्ट्र में भी 50-50 फॉर्मूला लागू होना चाहिए. दबाव कायम करने के बाद आखिरकार 18 फरवरी को बीजेपी को अपने से सिर्फ दो कम, यानी 23 सीटें शिवसेना को देनी पड़ीं.

इसके बाद लोकसभा सीटों के बंटवारे के दौरान भी शिवसेना बराबर सीटों की मांग पर अड़ गई थी. तब बीजेपी ने 124 सीटें देकर मामला सुलझाया था.

इस बार के विधानसभा चुनाव के नतीजे जब 24 अक्टूबर को आए तो बाद उद्धव ठाकरे ने 50-50 फॉर्मूले की नई व्याख्या करते हुए संकेत दिए कि शिवसेना ढाई साल सरकार चलाना चाहती है. इसके बाद पेच इस कदर फंसा कि नतीजे आने के हफ्ते भर बाद भी बीजेपी-शिवसेना की सरकार नहीं बन सकी है.

दोनों दल अपने-अपने विधायक दल का नेता चुन चुके हैं और संभावित सरकार में पदों के बंटवारे को लेकर समझौते की कोशिशें जारी हैं. इस तरह शिवसेना अब तक तीन बार 50-50 फॉर्मूले के आधार पर बीजेपी को घेर चुकी है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×