मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक भरी कार मामले में अब कई खुलासे हो रहे हैं. इस घटना के चलते मुंबई पुलिस के कई बड़े अधकारियों पर गाज गिरी. वहीं पुलिस अधिकारी सचिन वझे पर पूरी घटना का मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया जा रहा है. इन तमाम चीजों के बाद अब महाराष्ट्र पुलिस में ट्रांसफर और पोस्टिंग रैकेट को लेकर गंभीर आरोप लगे हैं. बीजेपी ने ये आरोप लगाए हैं. इस मामले को लेकर महाराष्ट्र के डीजी ने भी अगस्त 2020 में एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें कहा गया था कि ये एक गंभीर मामला है और इस पर राज्य सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए.
महाराष्ट्र डीजी की चिट्ठी में क्या लिखा था?
महाराष्ट्र के डीजी ने 2020 अगस्त में गृह विभाग के एडिशनल चीफ सेकेट्री को लिखी चिट्ठी में कहा था कि, पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर 25 अगस्त 2020 को एसआईडी के कमिश्नर की एक रिपोर्ट हमें मिली. ये एक काफी गंभीर मामला है और राज्य को तुरंत एक्शन लेना चाहिए. सीएम उद्धव ठाकरे के संज्ञान में इस मामले को जल्द से जल्द डालना चाहिए और आरोपियों की पहचान करने के लिए स्टेट सीआईडी से एक चांज होनी चाहिए.
रिपोर्ट में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर गंभीर आरोप
दरअसल महाराष्ट्र के डीजी को सीक्रेट स्टेट इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट सौंपी गई थी. जिसमें आईपीएस अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग में धांधली की बात कही गई. इस रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य ने ट्रांसफर्स के मामले में डीजीपी की तरफ से दी गई सिफारिशों को नजरअंदाज किया.
इंटेलिजेंस रिपोर्ट में नाम होने के बावजूद कई अधिकारियों को उनकी मनचाही पोस्टिंग दी गई. जिन लोगों को परफॉर्मेंस रिपोर्ट में काफी खराब रिमार्क मिले थे उन्हें काफी अच्छी पोस्टिंग मिली, जबकि जिनकी परफॉर्मेंस अच्छी थी, उन्हें बाहर कर दिया गया.
ट्रांसफर से नाराज आईपीएस अधिकारी की चिट्ठी
बता दें कि एंटीलिया मामले में ठाकरे सरकार ने विवाद बढ़ता देख मुंबई पुलिस कमिश्नर को हटाने का फैसला किया. इसके साथ ही तीन अधिकारियों का तबादला करते हुए इस प्रक्रिया को रूटीन ट्रांसफर दिखाने की कोशिश हुई. अब परमबीर सिंह को होम गार्ड डीजी की पोस्टिंग देने के बाद उस पद पर बैठे आईपीएस अधिकारी संजय पांडे नाराज हो गए. क्योंकि उन्हें महाराष्ट्र सिक्योरिटी फोर्स के डीजी पद पर ट्रांसफर किया गया. पांडे स्टेट कैडर में सबसे सीनियर अधिकारी हैं. वो 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. बावजूद उसके उन्हें डीजी पद नहीं मिला. बल्कि साइड पोस्टिंग दी गई. इसीलिए संजय पांडे ने छुट्टी की अर्जी डालकर सीएम ठाकरे को नाराजगी जताते हुए चिट्ठी लिखी.
आईपीएस अधिकारी पांडे ने कहा कि सरकार को ट्रांसफर करने से पहले कम से कम एक बार प्रोटोकॉल के तहत बात करनी चाहिए थी. वरिष्ठता के आधार पर उन्हें डीजी या फिर मुंबई पुलिस कमिश्नर पद मिलना चाहिए था. इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग और ज्येष्ठता के नियमों का हवाला भी दिया. उन्होंने गुहार लगाते हुए कहा कि करीब 20 सालों तक उन्हें ऐसे ही साइड पोस्टिंग पर रखा गया. इसीलिए अब वो इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का रुख करने जा रहे हैं.
दरअसल, 1992-93 के दंगों में धारावी जैसे अतिसंवेदनशील इलाके में बेहतरीन काम के लिए पांडे को सम्मानित किया जा चुका है. कई बड़े घोटाले और केस सुलझाने में उनकी अहम भूमिका रही है.
बीजेपी लगातार हमलावर
अब इस मामले को लेकर भी बीजेपी ने महाराष्ट्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. बीजेपी नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में हाई लेवल पर ट्रांसफर और पोस्टिंग का रैकेट चल रहा है. अफसरों की तैनाती में रिश्वतखोरी चलती है. फडणवीस ने कहा कि इसके सबूत भी उनके पास मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के कई पुलिस अधिकारियों ने पहले भी इस संबंध में रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन जरूरी कार्रवाई नहीं हुई. साथ ही ऐसा करने के लिए इंटेलिजेंस की कमिश्नर रश्मि शुक्ला को कार्रवाई का सामना करना पड़ा.
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