महाराष्ट्र में नई सरकार बन चुकी है, महाविकास अघाड़ी सरकार (MVA) अब इतिहास हो गई है, लेकिन राजनीतिक घटनाक्रम में सब कुछ इतनी तेजी से घटित होता है कि कई महत्वपूर्ण कहानियां, किरदार पीछे छूट जाते हैं और पर्दे के सामने के किरदारों पर ही चर्चा होती है. आज हम आपको पर्दे के पीछे के दो ऐसे युवा चेहरों से मिलवायेंगे, जिन्होंने 2019 में महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार बनने से रोक दी थी, और 2022 में भी उसकी पुनरावृत्ति करने के लिये सुपर सीक्रेट मिशन में लगे थे, लेकिन इस बार सुरक्षातंत्र ज्यादा मजबूत होने की वजह से अंतिम समय में फेल हो गये, फिर भी महाराष्ट्र में राजनैतिक रूप से सक्रिय लोगों की जुबान पर इनकी चर्चा आम है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के फ्रंटल संगठन राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज शर्मा और राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया दूहन नें 2019 में हरियाणा के गुरुग्राम से NCP विधायकों को रेस्क्यू कर बीजेपी का अजीत पवार गुट के साथ सरकार बनाने का सपना चकनाचूर कर दिया था, करीब ढ़ाई साल के बाद फिर जब महाविकास अघाड़ी सरकार पर संकट आया तो इन दोनों नेताओं नें फिर से मोर्चा संभाला. सूरत से लेकर गुवाहाटी और फिर गोवा तक बागी विधायकों का पीछा करते रहे.
सूत्रों के मुताबिक कुछ विधायकों से संपर्क साधने की कोशिश सफल हो रही थी, लेकिन उद्धव ठाकरे के इस्तीफा देने और बीजेपी गुट की तरफ से एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाये जाने की घोषणा के बाद इस योजना को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका. योजना पूरी ना होने की वजह से इसकी पुष्टि करने को कोई नेता तैयार नहीं है.
यहां ये भी जानना बहुत जरूरी है कि 2019 की घटना के बाद से हरियाणा से ताल्लुक रखने वाले ये दोनों नेता NCP सुप्रीमो शरद पवार के चहेते बने हुये हैं. हालांकि, धीरज शर्मा बात करने पर कहते हैं कि हम अपने स्तर पर सरकार बचाने की कोशिश कर रहे थे, युवा नेता होने के नाते ये हमारी जिम्मेदारी थी, इसमें संगठन या फिर हमारे मुखिया शरद पवार साहब के आदेश नहीं थे.
बागी विधायकों के बार बार लोकेशन बदलने से भी फेल हुआ प्लान
सूरत में सफलता ना मिलने पर इन्होंने भी गुवाहाटी का रुख किया और वहां पर पूरे शहर में बागी विधायकों के खिलाफ गद्दार के पोस्टर लगा कर चर्चा में आए थे. गोवा में सोनिया दूहन को विधायकों वाले होटल में प्रवेश करने में सफलता मिली, लेकिन गोवा पुलिस नें सोनिया को एक अन्य साथी के साथ गिरफ्तार कर लिया. तीन दिन पहले उन्हें जमानत मिली. हालांकि, इस घटना का जिक्र करते हुए सोनिया सीधे तौर पर इसे स्वीकार नहीं करती हैं.
मेरे साथ अपराधियों जैसा सलूक किया गया- दूहन
उनके मुताबिक वो वहां एक टूरिस्ट की हैसियत से गईं थीं. उनका प्लान पहले से वहां जाने का था. लेकिन, NCP नेता होने के नाते उन्हें बहुत परेशान किया गया. अपराधियों की तरह वर्ताव किया गया. पूरे मामले को राजनैतिक रंग देने की कोशिश की गई. जांच एजेंसियों ने कई तरह के दबाव बनाने की कोशिश की. उनके मुताबिक बयान दिलवाने की कोशिश की गई. लेकिन वो सफल नहीं हो पाए.
साल 2019 में बीजेपी के सपनों पर फेरा था पानी- धीरज शर्मा
वहीं, सोनिया क्या गोवा में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर आईं थीं, इस सवाल पर धीरज का कहना है कि सोनिया दूहन पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं. हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र तक राजनैतिक रूप से सक्रिय हैं और अपने फैसले खुद लेने में सक्षम हैं. वो यहां पर्यटक के तौर पर आईं थीं, लेकिन हिंदुस्तान की बेटी को बीजेपी की पुलिस और जांच एजेंसियों नें बहुत परेशान किया. एजेंसियों की नजर हम पर शुरुआत से ही थी, क्योंकि सबको पता है कि 2019 में विधायकों को बीजेपी के चंगुल से निकालकर हमनें इनके सपनों पर पानी फेर दिया था.
इन सबके बीच महाराष्ट्र के राजनैतिक गलियारे में ये चर्चा जोरों पर है कि सरकार शिवसेना की वजह से गिरी. कांग्रेस ने सरकार बचाने की ज्यादा कोशिश नहीं की. NCP ही आखिरी वक्त तक महाविकास अघाड़ी सरकार बचाने के लिये कोशिश करती रही और ये दोनों युवा नेता कई स्तर के सुरक्षा घेरे के बीच खामोश रहकर कोशिश करते रहे.
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