महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी है और इसे केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी भी मिल गई है. अब कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र का अपमान बताया है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि राज्यपाल संवैधानिक प्रक्रिया का मखौल उड़ा रहे हैं. उन्होंने राज्यपाल के द्वारा सरकार बनाने के लिए समय तय करने को सबसे बड़ी गड़बड़ी बताया है.
उन्होंने कहा,
राज्यपाल ने समय का पूरी तरह से मनमाना आवंटन क्यों किया? राष्ट्रपति शासन से पहले, बीजेपी को 48 घंटे, शिवसेना को 24 घंटे और एनसीपी को 24 घंटे से भी कम का समय क्यों मिला. ये बेईमानी है, राजनीति से प्रेरित है.
गंभीर उल्लंघन किए गए: सुरजेवाला
एसआर बोम्मई बनाम भारत संघ मामले में आए फैसले का जिक्र करते हुए सुरजेवाला ने अपनी तरफ से प्रक्रिया को बताया और कहा कि राज्यपाल ने संवैधानिक गड़बड़ी की है. उन्होंने कहा कि जब किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला तो, राज्यपाल को इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करना चाहिए था.
- चुनाव से पहले बने सबसे बड़े गठबंधन को सरकार बनाने के बुलाना चाहिए
- इसके बाद चुनाव से पहले बने दूसरे बड़े गठबंधन को बुलाना चाहिए था.
- अगर राज्यपाल सिंगल पार्टियों को बुला रहे थे तो कांग्रेस को क्यों नहीं बुलाया.
- समय का मनमाना आवंटन क्यों किया गया? बीजेपी को 48 घंटे, शिवसेना को 24 घंटे और एनसीपी को 24 घंटे भी नहीं.
इधर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की खबर आई उधर शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. शिवसेना की शिकायत है कि उन्हें समर्थन जुटाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालने से पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल और अहमद पटेल से बात की.
शिवसेना ने मांगा था 2 दिन का समय
शिवसेना ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से 2 दिन का समय मांगा था. लेकिन राज्यपाल ने उन्हें सिर्फ 24 घंटे का समय दिया. ये 24 घंटे सोमवार शाम 7.20 मिनट पर खत्म हो गए. समय सीमा खत्म होने के बाद शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और आदित्य ठाकरे ने राज्यपाल से जाकर मुलाकत की और ज्यादा समय की मांग की लेकिन उन्हें और समय नहीं दिया गया.
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