रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी और एक्टर कंगना रनौत को मिले विशेषाधिकार हनन नोटिस मामले में मंगलवार को विशेषाधिकार समिति को और समय दिया गया. अगले सत्र के आखिरी दिन तक रिपोर्ट सौंपने की अनुमति समिति को दी गई है.
विपक्ष ने किया सरकार के फैसले का विरोध
शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक की ओर से 7 सितंबर 2020 को अर्णब गोस्वामी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाया गया था. मंगलवार 15 दिसंबर को सदन में इस प्रस्ताव पर काफी बहस हुई. स्पीकर नाना पटोले ने कहा कि अगर कोई चैनल राज्य के सीएम के बारे में आपत्तिजनक बयान देता है तो इसका मतलब वो उस पद के साथ ही इस हाउस का भी अपमान कर रहा है.
हालांकि विपक्ष ने इस प्रस्ताव का विरोध किया. विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस ने साफ किया कि अर्णब या कंगना के किसी भी बयान से विपक्ष सहमत नहीं. लेकिन सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों का दमन करना सहन नही किया जाएगा.
बीजेपी विधायक सुधीर मुनगंटीवार ने सवाल उठाया कि क्या विशेषाधिकार हनन कानून का दायरा बढ़ाया जा रहा है? किस आधार पर इन दोनों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया है? वहीं दूसरी तरफ विधान परिषद में भी विपक्षी नेता प्रवीण दरेकर ने समिति को समय बढ़ाने के प्रस्ताव का जमकर विरोध किया.
अर्णब-कंगना के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
बता दें कि कंगना ने मुंबई की तुलना 'पीओके' यानी पाक अधिकृत कश्मीर से की थी, जिसके बाद शिवसेना विधायक सरनाईक ने कंगना के मुंह तोड़ने का बयान दिया था. तो वहीं सुशांत सिंह राजपूत मामले में अर्णब ने सीएम उद्धव ठाकरे पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. साथ ही आपत्तिजनक भाषा का उपयोग कर सीएम उद्धव ठाकरे और गृहमंत्री अनिल देशमुख को चुनौती दी थी. इसके खिलाफ पिछले मानसून सत्र में दोनों पर विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दाखिल हुआ था.
इस मामले में समिति ने कई बार अर्णब को अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया. लेकिन अर्णब के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में इस प्रस्ताव को चुनौती दी है. जब सदन में इस नोटिस का जिक्र में हुआ तो सरकार और विपक्ष आपस में भिड़ गए.
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