कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने बुधवार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी मौजूदगी में पदभार संभाला. इस मौके पर सोनिया गांधी ने कहा- मैं नए पार्टी अध्यक्ष खड़गे जी को बधाई देती हूं. सबसे अधिक संतोष इस बात का है कि जिन्हें अध्यक्ष चुना है वे एक अनुभवी और धरती से जुड़े हुए नेता हैं. एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में काम करते हुए अपनी मेहनत और समर्पण से इस ऊंचाई तक पहुंचे हैं. कांग्रेस की कमान संभालते ही खड़गे ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा-
BJP और RSS का सपना है कि ये देश विपक्ष मुक्त हो, वो लोग न्यू इंडिया की बात करते हैं, लेकिन ये कैसा न्यू इंडिया है जिसमें युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा, जहां किसानों को जीप के नीचे कुचल दिया जा रहा है, महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहा है.
खड़गे ने इस मौके पर कहा कि आज मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है, आज एक सामान्य कार्यकर्ता को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुनकर ये सम्मान देने के लिए आप सबका हार्दिक आभार और धन्यवाद देता हूं. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के सभी पूर्व अध्यक्षों को याद करते हुए मैं आप सबको भरोसा दिलाता हूं कि अपनी मेहनत से, अपने अनुभव से जो कुछ संभव होगा, वह सब करूंगा.
सोनिया गांधी जी ने मुश्किल परिस्थितियों में कांग्रेस की बागडोर सम्भाली और पार्टी को नई ऊंचाइयां दी. जनता के हितों की रक्षा की. हम सब उनकी दिखाई राह को मजबूत करने का काम करेंगे.
खड़गे ने कहा- आज मेरे लिए बहुत ही भावुक क्षण है, आज एक कार्यकर्ता मजदूर के बेटे, एक सामान्य कार्यकर्ता को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुनने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं. सोनिया गांधी ने खड़गे को कमान सौंपते हुए कहा-
कांग्रेस के सामने पहले भी बड़े-बड़े संकट आए हैं, लेकिन पार्टी ने कभी हार नहीं मानी. हमें अब भी पूरे संकल्प के साथ, पूरी मजबूती के साथ, पूरी एकता के साथ आगे बढ़ना है. मुझे विश्वास है कि पार्टी के सभी कार्यकर्ता और नेता आपस में मिल जुलकर एक ऐसी शक्ति बनेंगे, जो हमारे देश के सामने हर संकट का सफलतापूर्वक सामना कर सके.
सोनिया ने आगे कहा कि आज हमारी पार्टी के सामने भी बहुत सारी चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आज देश के सामने लोकतांत्रिक मूल्यों का संकट पैदा हुआ है, उसका मुकाबला हम सफलतापूर्वक कैसे करें. यह सम्मान बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी थी, मुझसे अपनी क्षमता और योग्यता अनुसार जितना हो सका, उतना किया. आज मैं इस दायित्व से मुक्त हो जाऊंगी, इसलिए मुझे स्वाभाविक रूप से राहत का एहसास हो रहा है.
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