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कांग्रेस नेता खड़गे ने हेट स्पीच, पत्रकारों पर हमले का मुद्दा राज्यसभा में उठाया

खड़गे ने कहा कि सांप्रदायिक भाषण का क्रम हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक जारी है.

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कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने राज्यसभा में बुधवार को देश में सांप्रदायिक भाषण और पत्रकारों पर हमले का मुद्दा उठाया. इस दौरान उन्होंने अल्पसंख्यकों को लेकर देश बढ़ते सांप्रदायिक भाषणों को लेकर चिंता जाहिर की.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत, देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ रहे हेट स्पीच के मामलों और द हिंदुस्तान गैजेट, द क्विंट, न्यूजलॉन्ड्री और Article 14 से जुड़े पत्रकारों के प्रताड़ित किए जाने को लेकर नोटिस दिया है.

खड़गे ने कहा कि ऐसे मामले बढ़ रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कहा कि हरिद्वार से दिल्ली तक यह क्रम जारी है. इसके साथ ही उन्होंने रविवार को दिल्ली में नरसिंंहानंद की मुसलमानों के खिलाफ दी गई टिप्पणी का भी जिक्र किया. लेकिन, सभापति वेंकैया नायडू ने उन्हें बीच में ही रोक दिया और सभापति ने सदन में इस मामले को विस्तृत करने के लिए खड़गे के नोटिस पर विचार करने से इनकार कर दिया.

रविवार को क्या हुआ था?

दरअसल, 3 अप्रैल को दिल्ली के बुराड़ी ग्राउंड में एक हिंदू महापंचायत आयोजित की गई थी. इसमें यति नरसिंहानंद सरस्वती ने भड़काऊ भाषण दिया था. इस दौरान हरिद्वार में हुए धर्म संसद में भड़काऊ भाषण मामले में जमानत पर जेल से बाहर यति नरसिंहानंद ने आम हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ हथियार उठाने के लिए भी उकसाया था. जब ये मामला तूल पकड़ा तब जाकर दिल्ली पुलिस ने यति नरसिंहानंद समेत कई लोगों पर मुकदमा दर्ज किया.

पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) उषा रंगनानी ने कहा था कि डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती और सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके सहित कुछ वक्ताओं ने दो समुदायों के बीच वैमनस्य, शत्रुता, घृणा या दुर्भावना को बढ़ावा देने वाले शब्द कहे थे.

'हिंदू महापंचायत' (Hindu Mahapanchayat) के दौरान जमा भीड़ ने पत्रकारों पर हमला कर दिया था. हमले की एक घटना में भीड़ ने न्यूजलॉन्ड्री की रिपोर्टर शिवांगी सक्सेना और रौनक भाटी निशाना बनाया था. इस मामले में IPC की धारा 354 और 323 के तहत FIR दर्ज की गई है.

दूसरी घटना में दो पत्रकारों को पीटा गया और द क्विंट के प्रमुख संवाददाता मेघनाद बोस के साथ भीड़ ने धक्का-मुक्की की. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उपरोक्त तीनों पत्रकारों सहित पांच पत्रकारों को रविवार दोपहर करीब 1:30 बजे 'हिंदू महापंचायत’ स्थल से बाहर निकाला था. उन्हें मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया था, जहां उन्होंने अपना बयान दिया था.

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