पश्चिम बंगाल (West bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने सालभर पहले सत्ता में आने के बाद लगातार तीसरी बार अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल (Mamata Cabinet Reshuffle) किया है. हालांकि इस बार हुआ बदलाव कोई बड़ा बदलाव नहीं था, फिर भी यह पिछली बार किए गए बदलावों की तुलना में काफी महत्वपूर्ण रहा.
दरअसल साधन पांडे और सुब्रत मुखर्जी के निधन के बाद कैबिनेट में नए चेहरों को शामिल किया जाना था, लेकिन पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी और बाद में जब उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया गया, उसके बाद सरकार की छवि को सुधारने के उद्देश्य से कैबिनेट में बदलाव जरूरी था. खुद ममता बनर्जी चटर्जी के विभागों को संभाल रही थीं, लेकिन अब उम्मीद ये है कि नए मंत्रियों में से किसी एक को चटर्जी की जिम्मेदारी दी जाएगी.
कम से कम चार से पांच मौजूदा मंत्रियों को भी उनके कामों से मुक्त किया जाएगा. बनर्जी के मुताबिक, ''उन्हें पार्टी से जुड़े मामलों पर ध्यान देना होगा.''
इस लेख को लिखते समय मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा नहीं हुआ है, जानकारी के मुताबिक कैबिनेट में पहले से मौजूद मंत्रियों के विभाग भी बदलेंगे.
बाबुल सुप्रियो के अलावा जिला स्तर के टीएमसी नेताओं को भी मंत्री बनाया गया, इसमें स्नेहाशीष चक्रवर्ती, पार्थ भौमिक, उदयन गुहा और प्रदीप मजूमदार का नाम शामिल है. चार अन्य नेताओं ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली, इसमें बीरबाहा हांसदा, बिप्लब रौचौधुरी, ताजमुल हुसैन और सत्यजीत बर्मन का नाम शामिल है. हांसदा और बिप्लब रॉयचौधरी को स्वतंत्र प्रभार दिया गया है.
कैबिनेट में सबसे महत्वपूर्ण नाम बाबुल सुप्रियो का हैं, जो ममता की कैबिनेट के अकेले ऐसे मंत्री हैं जिन्हें यूनियन कैबिनेट का अनुभव है जो टीएमसी के लिए कई मोर्चे पर मददगार साबित होगा. टीएमसी अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाना चाहती है और सुप्रियो इस मामले में भी मददगार साबित होंगे.
बाबुल सुप्रियो को पार्टी द्वारा इस तरह से तवज्जो देना एक तरह से बीजेपी के नेताओं के लिए संकेत माना जा रहा है.
ममता कैबिनेट पर अभिषेक बनर्जी की छाप
राजनीतिक विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने द क्विंट को बताया कि “इस नए मंत्रिमंडल के साथ, पश्चिम बंगाल सरकार में अभिषेक बनर्जी का वर्चस्व स्थापित हो गया है”.
तृणमूल कांग्रेस में अभिषेक का वर्चस्व अब कैबिनेट में भी दिखने लगा है.विश्वनाथ चक्रवर्ती, राजनीतिक विश्लेषक
कैबिनेट में फेरबदल के बाद यह युवा कैबिनेट नजर आ रही है और अभिषेक बनर्जी युवा तृणमूल कांग्रेस का नेतृत्व करते हैं.
पार्थ भौमिक और स्नेहाशीष चक्रवर्ती जैसे नेता अभिषेक बनर्जी के करीबी माने जाते हैं और उनका अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड साफ रहा है. बनर्जी ने हमेशा पार्टी और सरकार में युवा और नए चेहरों को आगे बढ़ाया है और कैबिनेट में नए और युवा चेहरों का शामिल होना इस बात का संकेत है कि अभिषेक अपनी बात रखने में सफल रहे हैं. इससे पहले, अभिषेक ने कई टीएमसी नेताओं को जिला समितियों से निकाल दिया था क्योंकि वे उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे थे.
हालांकि ममता खेमे के नेताओं को ही विभागों के बंटवारे के दौरान महत्वपूर्ण विभाग दिए जाएंगे. लेकिन अभिषेक का खेमा धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहा है. लेकिन इससे यह भी पता चलता है कि ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी अब मिलकर काम कर रहे हैं, पिछले साल उनके बीच विवाद की कुछ खबरें सुर्खियों में थी.
कैबिनेट के जरिए उत्तर बंगाल को साधने की कोशिश
कैबिनेट में फेरबदल कर ममता एक और लक्ष्य को हासिल करने में सफल रह सकती हैं. दरअसल इस बार कैबिनेट में उत्तर बंगाल के नेताओं को भी शामिल किया गया है. उत्तर बंगाल को ममता कैबिनेट में हमेशा कम प्रतिनिधित्व दिया गया है, लेकिन इस बार उत्तर से दो नेताओं को शामिल किया गया है - कूचबिहार से उदयन गुहा और उत्तर दिनाजपुर से सत्यजीत बर्मन.
चक्रवर्ती के अनुसार, "इन दोनों नेताओं को शामिल करना काफी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इससे राजबंशी वोट बैंक (जिसपर बीजेपी की पकड़ है) को टीएमसी अपनी तरफ कर सकती है."
सत्यजीत बर्मन एक राजबंशी नेता हैं, और उनके शामिल होने से कुछ राजबंशी वोट मिल सकता है. इनका वोट हमेशा बीजेपी को जाता है. इसके अलावा, टीएमसी उत्तर बंगाल में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही है. गुहा कूचबिहार के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं और उनके शामिल होने से पार्टी को इस क्षेत्र में, विशेष रूप से कूचबिहार और अलीपुरद्वार क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने और विस्तार करने में मदद मिल सकती है.
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