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मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन की आहट, शिवराज सरकार में बेचैनी

पिछले साल मंदसौर में 6 किसानों की मौत हो गई थी.राज्य के किसान एक बार फिर 1 जून से 10 जून तक आंदोलन चलाने जा रहे हैं

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6 जून, 2017 मंदसौर किसान आंदोलन और 6 मौतें. पिछले साल मध्यप्रदेश के मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की गोलियों से 6 किसानों की मौत हो गई थी. एक बार फिर राज्य के किसान एक जून से लेकर 10 जून तक आंदोलन चलाने जा रहे हैं. ऐसे में चुनावी साल में सीएम शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं.

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अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार आंदोलन को ध्यान में रखते हुए किसानों से बॉन्ड तक भरवा रही है कि वे आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं करेंगे. राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता उनका कहना है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने कानून-व्यवस्था बिगाड़ी थी, और इस बार ऐसा न हो, इसलिए कुछ लोगों से बांड भरवाए जा रहे हैं.

आखिर फिर क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?

किसानों ने कर्जमाफी और पैदावार के वाजिफ दाम की मांग को लेकर पिछले साल आंदोलन किया था. अभी भी ये मांग पूरी नहीं हो सकी है. ऐसे में 1-10 जून तक 170 किसान संघों के समर्थन वाले इस आंदोलन का आह्वान किया गया है.

कुछ किसानों में आंदोलन के लिए भरवाए जा रहे बॉन्ड को लेकर गुस्सा भी है. खबरों के मुताबिक कई किसानों ने बॉन्ड भरने से यह कहकर इनकार भी किया है कि वे अपराधी नहीं है. एक बात और समझ में नहीं आती कि किसानों के इस विरोध को रोकने के लिए सरकार पहले ही कोई अहम और स्थायी समाधान क्यों नहीं ढूंढ रही है. राज्य में पिछले 15 साल से बीजेपी की सरकार है, लेकिन अब भी किसानों के कई सवाल का जवाब नहीं दिख रहा.

राहुल गांधी रैली और कांग्रेस के आरोप

दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी किसानों के आंदोलन के समर्थन में 6 जून को मंदसौर जा रहे हैं. वो एक रैली को संबोधित करेंगे जिसपर विवाद पैदा हो गया है, कांग्रेस का आरोप था कि रैली के लिए प्रशासन ने कथित तौर पर 19 शर्तें लगा दी थीं, बुधवार को कांग्रेस ने कहा कि अब शर्ते कम कर दी गई हैं, लेकिन अब भी प्रशासन पर शिवराज सरकार का भारी दबाव है.

पार्टी का कहना है कि इसमें प्रदेश भर से बड़ी संख्या में किसान शामिल होंगे. कहने का मतलब ये है कि इस कांग्रेस-बीजेपी के खेल में किसानों की आवाज दब जा रही है और उन्हें आंदोलनों, प्रदर्शनों का सहारा लेना पड़ रहा है.

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