भले ही मणिपुर में कांग्रेस ने सब से ज्यादा 28 सीटें जीती हों लेकिन सरकार बनाने का दावा 21 सीट जीतने वाली बीजेपी ने सबसे पहले किया है. रविवार को बीजेपी के उत्तर पूर्वी राज्यों के प्रभारी राम माधव और हिमंत बिस्व शर्मा ने राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला के सामने 32 विधायकों के समर्थन का दावा पेश किया.
दूसरी तरफ कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री इबोबी सिंह ने कहानी को नया मोड़ देते हुए कहा है कि उनके पास भी सरकार बनाने के लिए जरूरी 31 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है.
क्या है मणिपुर का राजनीतिक समीकरण?
मणिपुर में विधानसभा की 60 सीटें हैं. कांग्रेस ने सब से ज्यादा 28 सीटें जीती हैं. वहीं बीजेपी को 21 सीटें मिली हैं. ऐसे में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. मतलब कोई भी पार्टी सरकार बनाने के लिए जरूरी 31 सीटों काआंकड़ा नहीं छू पाई है. इन दो बड़ी पार्टियों के अलावा नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को 4-4 सीटें मिली हैं. साथ ही तृणमूल कांग्रेस, एलजेपी और निर्दलीय के खाते में एक-एक सीट गई है.
कांग्रेस का दावा- 32 विधायक हैं साथ
सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को और 3 विधायकों की जरूरत है. कांग्रेस नेता और तीन बार के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने एनपीपी के समर्थन का दावा किया. उन्होंने एनपीपी के समर्थन वाला पत्र भी जारी किया. ये पत्र एनपीपी के महासचिव विवेकराज के नाम से राज्यपाल को लिखा गया है.
इस पत्र में लिखा है-
हमारी पार्टी ने विधानसभा चुनाव में चार सीटें जीती हैं और राज्य में नई सरकार बनाने के लिए हम अपना समर्थन कांग्रेस पार्टी को देते हैं जो कि सबसे बड़ी पार्टी बनी है.
लेकिन जब बीजेपी ने अपने समर्थन के दावे की बात कही थी तो राज्यपाल से मिलने एनपीपी के विधायक उनके साथ गए थे.
बीजेपी के पास कहां से आए 31 विधायक?
बीजेपी ने मणिपुर विधानसभा चुनाव में कुल 21 सीटें जीती है, साथ ही एनपीपी और एनपीएफ को 4-4 सीटें मिली हैं. इसलिए बीजेपी का कहना है कि एनपीएफ और एनपीपी की चार-चार सीटें, लोजपा की एक सीट और एक इंडिपेंडेंट का बीजेपी को समर्थन है.
अब देखना ये होगा कि मणिपुर में कौन सरकार बनाएगा और किसे अगले चुनाव तक का इंतजार करना होगा?
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