दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने शराब नीति केस में गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि 26 फरवरी की सुबह जब सिसोदिया पूछताछ के लिए जा रहे थे तब ही उन्होंने इस बात का ऐलान कर दिया था. हालांकि गिरफ्तारी से पहले डिप्टी सीएम का अंदाज कुछ और ही संदेश दे रहा था. विक्ट्री साइन दिखाना, राजघाट पहुंचना और फिर संकेतों में 2024 का जिक्र करना. ऐसे में समझने की कोशिश करते हैं कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी को कितना फायदा या नुकसान हो सकता है और अन्य पार्टियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा.
आपदा को अवसर में बदलने की कोशिश?
सबसे पहले मनीष सिसोदिया के गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले के इवेंट को डिकोड करते हैं. सुबह के वक्त उन्होंने अपनी मां के पैर छुए. फिर घर से मुस्कुराते हुए निकले. राजघाट पहुंचे फिर रोड शो किया. इन सभी की तस्वीरें रियल टाइम पर सोशल मीडिया पर आती रहीं. फिर स्पीच दी और अपने परिवार का जिक्र किया. इस दौरान वह बोलते-बोलते रो पड़े.
उन्होंने परिवार के अलावा दिल्ली के बच्चों के लिए भी अपना इमोशन जाहिर किया. इसके बाद बीजेपी पर हमलावर होते दिखे. साफ शब्दों में कहा कि आप ही बीजेपी के अत्याचारों से देश को मुक्ति दिलाएगी. आप ही देश को नंबर वन राष्ट्र बनाएगी. यानी पहले इमोशनल अपील फिर चुनावी बातें. जिसे देखकर लगता है कि आम आदमी पार्टी इस आपदा को अवसर में बदलने की पूरी कोशिश में है.
लेकिन क्या ये इतना आसान है. इसे जानने के लिए आम आदमी पार्टी के साथ हुए कुछ पुराने इवेंट को खंगालते हैं.
मुख्यमंत्री केजरीवाल की सरकार और पार्टी में दूसरे नंबर के नेता, मनीष सिसोदिया शिक्षा, वित्त, विजिलेंस और श्रम जैसे अहम विभागों को संभालते हैं, और पिछले दिनों मनी लॉन्ड्रिग के आरोप में मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें स्वास्थ्य, लोक निर्माण विभाग और गृह जैसे अन्य प्रमुख विभागों का भी प्रभार सौंपा गया था. लेकिन अब वो भी खुद गिरफ्तार हो गए हैं.
उनकी यह गिरफ्तारी ऐसे समय में आयी है जब केजरीवाल पंजाब फतह से उत्साहित होकर राष्ट्रीय राजनीति में नए सिरे से प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं. AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिए जाने के बाद, केजरीवाल अगले महीने में चार राज्यों- कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में अपनी चुनावी संभावनाओं का विस्तार करने के लिए दौरे पर जाना है.
नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट से बात करते हुए, दिल्ली में आप के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि पार्टी नेतृत्व एजेंसियों की लगातार जांच से चिंतित है. नेता ने कहा, "शीर्ष नेतृत्व को डर है कि इससे 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है."
LG से तकरार, MCD चुनाव में तकरार और अब सिसोदिया गिरफ्तार... आप के लिए जंग लंबी है
अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का दिल्ली के तमाम उप-राज्यपालों से छत्तीस का आंकड़ा रहा है और अभी भी यह स्थिति बदली नहीं है. साथ ही जब MCD चुनावों में दिल्ली की जनता ने उसे बहुमत दिया तो भी बीजेपी ने मेयर का चुनाव आसान नहीं रहने दिया. अभी भी MCD की स्टैंडिंग कमिटी का चुनाव कोर्ट में अटका हुआ है और दिल्ली पुलिस ने सिविक सेंटर में AAP और बीजेपी पार्षदों के बीच हुई मारपीट के मामले में आईपीसी की धारा 160 के तहत एक FIR दर्ज किया है.
ऐसे में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी ने उसके लिए परेशानी का एक और सबब खड़ा कर दिया है. बीजेपी अब केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर खुलकर हमलावर है. सत्येंद्र जैन के बाद मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी ने बीजेपी को AAP की भ्रष्टाचार विरोधी साख पर सवाल उठाने का मौका दे दिया है, जिसके बूते पर वह सत्ता में आई थी.
मनीष सिसोदिया को दिल्ली के शिक्षा मॉडल का श्रेय दिया जाता और और यह AAP का वह तुरुप का इक्का है जिसे वह हर राज्य विधानसभा चुनाव लड़ती है. पिछले साल उसने पंजाब में जीत हासिल की थी. भले ही वह गुजरात में हार गई, लेकिन बिना लड़े नहीं. लेकिन शिक्षा मॉडल का शिल्पकार ही अब गबन के आरोप में जेल में है. ऐसे में आप जब भी किसी आगामी चुनाव में अपने शिक्षा मॉडल की बात करेगी, बीजेपी या इसके अन्य विरोधी सिसोदिया की गिरफ्तारी का जिक्र जरूर करेंगे.
सिसोदिया की गिरफ्तारी पर आम आदमी पार्टी ने कहा है कि बीजेपी का मकसद केवल अरविंद केजरीवाल को खत्म करना है. आम आदमी पार्टी आंदोलन के गर्भ से निकली पार्टी है. हम इनसे नहीं डरते हैं.
केजरीवाल AAP के पब्लिक फेस थे लेकिन सिसोदिया सरकार का प्रशासनिक चेहरा हैं
सिसोदिया ने एक पत्रकार से लेकर एक सामाजिक कार्यकर्ता और अब एक कुशल राजनेता तक एक लंबा सफर तय किया है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री को कई लोग दिल्ली सरकार का प्रशासनिक चेहरा मानते हैं. सीएम केजरीवाल के साथ उनकी अबतक की ट्यूनिंग शानदार रही है.
केजरीवाल और सिसोदिया पिछले दो दशकों से अधिक समय से साथ काम कर रहे हैं. सिसोदिया एक टीवी चैनल के साथ एक रिपोर्टर और एंकर के रूप में काम कर रहे थे, जब उन्होंने केजरीवाल के एनजीओ परिवर्तन का एक पैम्फलेट देखा, जो लोगों को सरकारी कार्यालयों में अपना काम कराने में मदद करता था. उन्होंने खुद को एक वालंटियर के रूप में उसमे पंजीकृत किया और अपने खाली समय में केजरीवाल के साथ काम किया. इसके बाद, उन्होंने टीवी चैनल छोड़ दिया और केजरीवाल के साथ पूर्णकालिक रूप से जुड़ गए.
तब से उनका एक लंबा जुड़ाव रहा है - सामाजिक कार्यकर्ताओं के रूप में, अग्रणी आरटीआई कार्यकर्ता, जन लोकपाल बिल के लिए भ्रष्टाचार विरोधी योद्धा, और अब AAP के शीर्ष दो चेहरों के रूप में.
देखना होगा कि अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी अब अपने दूसरे सबसे बड़े नेता के रूप में कैसे आगे बढ़ती है.
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