जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने तालिबान (Taliban) से दुनिया के लिए शरिया कानून का एक उदाहरण पेश करने का आह्वान किया है. 8 अगस्त को पीडीपी अध्यक्ष मुफ्ती ने कहा कि तालिबान अब एक ‘हकीकत की तरह उभर रहा’ है और अगर वो अफगानिस्तान पर शासन करना चाहता है तो ‘असली शरिया कानून’ का पालन करे ,जहां महिलाओं के अधिकारों का सम्मान किया जाता हो.
कुलगाम में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि,
"तालिबान एक वास्तविकता के रूप में उभर रहा है. उनके पहले शासन के दौरान उनकी मानवाधिकार विरोधी छवि थी. वो दुनिया के लिए एक उदाहरण पेश कर सकते हैं यदि वे असली शरिया कानून का पालन करते हैं जिसमें महिला अधिकार शामिल हैं, न कि शरीयत की उनकी अपनी व्याख्या”
महबूबा मुफ्ती के अनुसार अगर तालिबान अपने तरीके बदलने में विफल रहता है और 1990 के दशक वाला रवैया अपनाये रहता है तो अफगानिस्तान और दुनिया, दोनों के लिए चीजें मुश्किल हो जाएंगी.
फारूक अब्दुल्ला ने भी की तालिबान से ‘सुशासन’ की उम्मीद
तालिबान पर महबूबा मुफ्ती की यह टिप्पणी जम्मू-कश्मीर के एक अन्य पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला के टिप्पणी के घंटों बाद आई है जिसमें वो इस्लामिक सिद्धांतों का पालन करते हुए तालिबान से 'सुशासन’ की उम्मीद कर रहे थे.
अफगानिस्तान पर एक सवाल के जवाब में नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा,
"मुझे उम्मीद है कि वे (तालिबान) सुशासन देंगे और उस देश (अफगानिस्तान) में इस्लामी सिद्धांतों का पालन करेंगे, मानवाधिकारों का सम्मान करेंगे. उन्हें हर देश के साथ दोस्ताना संबंध विकसित करने का प्रयास करना चाहिए."
हालांकि, नेशनल कांफ्रेंस ने बाद में मीडिया के इस दावे का खंडन किया कि फारूक ने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे का समर्थन किया था.
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