लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के सांसद चिराग पासवान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में चाचा और सांसद पशुपति पारस को शामिल करने का फैसला रास नहीं आया. उन्होंने पारस के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर कड़ा एतराज जताया है. बिहार के जमुई से सांसद एलजेपी नेता चिराग पासवान ने बुधवार को कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती भी दी है.
कड़ा ऐतराज!
पासवान अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, "पार्टी विरोधी और शीर्ष नेतृत्व को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति कुमार पारस जी को पहले ही पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है और अब उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर पार्टी कड़ा ऐतराज दर्ज कराती है."
चिराग ने यह भी कहा, "प्रधानमंत्री के इस अधिकार का पूर्ण सम्मान है कि वे अपनी टीम में किसे शामिल करते हैं और किसे नहीं. लेकिन, जहां तक एलजेपी का सवाल है पारस जी हमारे दल के सदस्य नहीं हैं. पार्टी को तोड़ने जैसे कार्यों को देखते हुए उन्हें मंत्री, उनके गुट से बनाया जाए तो एलजेपी का कोई लेना देना नहीं है."
अभी भी विचाराधीन है याचिका- चिराग पासवान
एक अन्य ट्वीट में चिराग ने लिखा, "लोकसभा अध्यक्ष के द्वारा पार्टी से निकाले गए सांसदों में से पशुपति पारस जी को नेता सदन मानने के बाद एलजेपी ने लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उनके फैसले पर पुन: विचार याचिका दी थी जो अभी भी विचाराधीन है." चिराग ने आगे जानकारी देते हुए लिखा, "एलजेपी आज (बुधवार ) को लोकसभा अध्यक्ष के प्रारम्भिक फैसले जिसमें पार्टी से निष्कासित सांसद पशुपति पारस को एलजेपी का नेता सदन माना था, के फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है."
बता दें कि कुछ दिन पूर्व एलजेपी में आंतरिक विवाद गहरा गया है. एलजेपी दो गुटों में बंट गई है.
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