मोदी सरकार 2.0 के मंत्रिमंडल में विभागों का बंटवारा हो चुका है. 30 मई की शाम पीएम मोदी के साथ 57 सदस्यों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली. मोदी कैबिनेट में कई पुराने चेहरे हैं, तो कई ऐसे चेहरे हैं, जिन्होंने तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए चौंकाया है. और अब मंत्रालयों के बंटवारे में भी कुछ ऐसे चौंकाने वाले चेहरे सामने आए हैं, जिन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही नेताओं के बारे में जिन्हें मोदी मंत्रिमंडल में मिली है बड़ी जिम्मेदारी.
एस. जयशंकर
पूर्व विदेश सचिव एस. जयशंकर को मोदी कैबिनेट में विदेश मंत्रालय का महत्वपूर्ण प्रभार दिया गया है. जयशंकर न तो राज्यसभा और न ही लोकसभा के सदस्य हैं, लेकिन मोदी मंत्रिमंडल में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. जयशंकर को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उस समय दी गई है जब करीब 16 महीने पहले ही वे विदेश सेवा से रिटायर हुए हैं. ये मोदी कैबिनेट में सबसे बड़े सरप्राइज एंट्री हैं.
जयशंकर को चीन और अमेरिका मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है. नए विदेश मंत्री के रूप में उन पर खास नजर होगी कि वह इन दोनों महत्वपूर्ण देशों के साथ पाकिस्तान के साथ निपटने में भारत के रूख को किस तरह आगे बढ़ाते हैं. उनके सामने विश्व स्तर पर खासकर G-20, शंघाई सहयोग संगठन और ब्रिक्स संगठन जैसे वैश्चिक मंचों पर भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने की उम्मीदों को अमल में लाने की जिम्मेदारी भी रहेगी.
1977 बैच के विदेश सेवा के अधिकारी जयशंकर विदेश मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं. वह अमेरिका और चीन जैसे देशों में भारत के राजदूत रहे हैं.
विदेश सचिव बनने से पहले वह 2013 से अमेरिका में भारत का राजदूत रहे. इस दौरान उन्होंने अमेरिकी प्रशासन और मोदी सरकार को करीब लाने में बड़ी भूमिका निभाई. उन्होंने सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की पहली अमेरिका यात्रा की योजना तैयार की और इसे सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई, जब मोदी ने अमेरिका के मेडिसन स्क्वेयर पर प्रवासी भारतीय सम्मेलन को संबोधित किया था.
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
हरिद्वार के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. निशंक को इतना महत्वपूर्ण मंत्रालय मिलेगा, इसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी.
रमेश पोखरियाल ने कांग्रेस प्रत्याशी अंबरीश कुमार को 254786 वोटों से हराया था. निशंक 1991 पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में कर्णप्रयाग से विधायक चुने गए थे. उन्होंने 1993 और 1996 में भी यहां से जीत दर्ज की. निशंक पहली बार कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री बने थे. 2009 में वो उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री भी बने.
नरेंद्र सिंह तोमर
नरेंद्र सिंह तोमर को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री बनाया गया है. इसके अलावा उनके पास ग्रामीण विकास पेयजल और पंचायती राज जैसा अहम मंत्रालय भी रहेगा. दो मंत्रालयों की जिम्मेदारी मिलने से उनका कद पहले से बढ़ा है. एनडीए 1 में तोमर ग्रामीण विकास मंत्री थे. तोमर मुरैना से सांसद चुनकर आए हैं.
तोमर ने 1980 से अपने राजनीति जीवन की शुरुआत की थी. 1983 से 1987 तक वो पार्षद रहे. 1998 से लेकर 2008 तक वो विधायक रहे. वहीं 2003 से 2007 के बीच मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री पद भी रहे. 2014 में ग्वालियर लोकसभा सीट से सांसद बने थे.
प्रह्लाद जोशी
प्रह्लाद जोशी को संसदीय मामले, कोयला और खान मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है. जोशी कर्नाटक के धारवाड़ लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं. प्रह्लाद जोशी लगातार 2004 से धारवाड़ सीट से जीत रहे हैं लेकिन पहली बार मंत्रीमंडल में शामिल हुए हैं. प्रहलाद जोशी छोटी उम्र में ही RSS से जुड़ गए थे. बाद में वो बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता बन गए. 2013 में कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष बने. इस बार कर्नाटक की 28 सीटों में से 25 सीट एनडीए ने जीती हैं.
नित्यानंद राय
बिहार के बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय को गृह राज्य मंत्री बनाया गया है. नित्यानंद के लिए ये बिहार में बीजेपी को मजबूत बनाने का इनाम हो सकता है. जो भी हो नित्यानंद के लिए ये बड़ी तरक्की है. नित्यानंद राय ने 1981 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ता के रूप में की थी. नित्यानंद राय ने 2000 में हाजीपुर विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव जीता था. वो हाजीपुर से लगातार 4 बार विधायक चुने गए.
2014 में नित्यानंद उजियारपुर लोकसभा सीट से सांसद चुनकर संसद पहुंचे थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने महागठबंधन के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा को हराया.
सदानंद गौड़ा
सदानंद गौड़ा को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में केमिकल्स फर्टिलाइजर मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. कर्नाटक में बीजेपी के शानदार प्रदर्शन का इनाम सदानंद को मिला है. सदानंद गौड़ा कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ इलाके से आते हैं. उन्होंने कानून की पढ़ाई की है. कॉलेज के दिनों से ही राजनीति से जुड़ गए थे. 1994 और 1999 में वो दक्षिण कन्नड़ के पुत्तुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. 2004 को लोकसभा चुनाव में सदानंद गौड़ा ने मंगलौर सीट से कांग्रेस के नेता वीरप्पा मोइली को हराया था. 2006 में वो कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष बने थे. पिछले पांच साल में सदानंद के काम की कुछ खास चर्चा नहीं रही, ऐसे में उन्हें केमिकल्स फर्टिलाइजर मंत्रालय का पोर्टफोलियो मिलना चौंकाता है.
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2014 के लोकसभा चुनाव में सदानंद गौड़ा ने बेगलुरू नॉर्थ सीट से चुनाव जीता था वो मोदी सरकार में रेल मंत्री बनाए थे. 2016 में कैबिनेट की फेरबदल में उन्हें कानून मंत्रालय का पदभार मिला. बाद में उन्हें सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री बनाया गया.
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