बीजेपी (BJP) के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने बुधवार को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके बाद केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय का प्रभार दिया गया और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को इस्पात मंत्रालय का प्रभार दिया गया है.
दरअसल नकवी का राज्यसभा कार्यकाल गुरुवार को समाप्त हो रहा है. यही नहीं आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने भी केंद्रीय कैबिनेट से बुधवार को इस्तीफा दे दिया है. आरसीपी सिंह का राज्यसभा कार्यकाल 7 जुलाई को पूरा हो रहा है.
मीडिया में छप रही खबरों के मुताबिक, पीएम मोदी ने बुधवार को देश के विकास में योगदान के लिए नकवी की तारीफ की, नकवी के काम की मोदी द्वारा सराहना को इस बात के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि यह उनकी कैबिनेट की आखिरी बैठक थी. कैबिनेट बैठक के तुरंत बाद नकवी ने बीजेपी मुख्यालय में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की.
उप राष्ट्रपति पद के लिए नकवी के नाम पर लग रहे कयास
एनडीए से मुस्लिम समुदाय के तीन नाम दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद, उपराष्ट्रपति के पद के लिए सुर्खियों में हैं. चुनाव आयोग ने 16वें उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए 6 अगस्त को होने वाले चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है जिससे उम्मीदवारों द्वारा नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. अधिसूचना के मुताबिक 19 जुलाई को नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है.
राजनीतिक गलियारों में तीन मुस्लिम नामों को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं जिसमें सबसे पहले मुख्तार अब्बास नकवी का नाम आ रहा है, इसके अलावा केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और पूर्व केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला के नामों पर भी कयास लगाए जा रहे हैं.
बीजेपी के पास अपने उम्मीदवार को उप राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित करने के लिए काफी वोट हैं. पार्टी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की तर्ज पर एक बार फिर सबको चौंका सकती है. बता दें कि उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है. अगले उपराष्ट्रपति 11 अगस्त को शपथ लेंगे. नामांकन पत्रों की जांच 20 जुलाई को होगी और उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि 22 जुलाई है.
वहीं इससे पहले मुख्तार अब्बास नकवी को लेकर ये कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें रामपुर में हुए लोकसभा उप चुनाव के लिए मैदान में उतारा जाएगा, हालांकि ऐसा हुआ नहीं, लेकिन कयास इसलिए लगाए जा रहे थे क्योंकि मुख्तार अब्बास नकवी 1998 में इस सीट से सांसद रह चुके हैं. 1999, 2009 में उन्हें इस सीट से हार का सामना करना पड़ा था.
कौन हैं मुख्तार अब्बसा नकवी?
प्रयागराज में 15 अक्टूबर, 1957 को जन्में मुख्तार अब्बास नकवी आर्ट्स और मास कम्युनिकेशन के छात्र रहे हैं, साल 1983 में उनकी सीमा नकवी के साथ शादी हुई थी. नकवी का राजनीतिक करियर तब शुरू हुआ जब वे महज 17 साल की उम्र में स्टूडेंट लीडर बने थे. इमरजेंसी के दौरान वे जेल भी गए थे.
मुख्तार अब्बास नकवी को बीजेपी से पहली बार उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के लिए टिकट मिला था. सदर विधानसभा सीट से वे मौदान में थे. लेकिन उन्हें पहली बार हार का सामना करना पड़ा. 1991 में नकवी की अहमियत थोड़ी बढ़ी थी जब वे सिर्फ 133 वोट से सीपीआई के इम्तियाज अहमद से चुनाव हारे थे. हालांकि उन्हें लगातार हार का सामना करना पड़ा था. साल 1993 में बीजेपी ने फिर उनपर विश्वास कर विधानसभा चुनाव में खड़ा किया था लेकिन तब बीएसपी के नसीम से वे 10 हजार वोटों के अंतर से हार गए थे.
मुख्तार अब्बास नकवी के चुनावी जीवन में साल 1998 में बड़ा मोड़ आया जब वे रामपुर से लोकसभा का चुनाव जीतने में सफल हुए थे. बीजेपी का मुस्लिम चेहरा होने के नाते ये जीत भी बड़ी थी. इसके बाद नकवी का कद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री बनने के बाद बढ़ा था. नकवी 2010 से 2016 तक यूपी से राज्यसभा सदस्य भी रहे, 2016 में उन्हें झारखंड से राज्यसभा भेजा गया था.
2014 में मोदी सरकार जब केंद्र में आई तो उन्हें अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय मामलों का राज्य मंत्री बनाया गया. 12 जुलाई, 2016 को नजमा हेपतुल्ला के इस्तीफे के बाद उन्हें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार भी दे दिया गया.
इसके 2019 के आम चुनावों में जब मोदी सरकार फिर सत्ता में आई तो उन्हें एक बार फिर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया.
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