ये तस्वीर 1993 की है, सोशल मीडिया पर अखिलेश के बयान के बाद से खूब दिख रही है. यूपी में सपा और बसपा की गठबंधन सरकार बनी थी. साल 1995 में मायावती के समर्थन वापस लेते ही ये सरकार गिर गई. सपाई समर्थकों ने मायावती के गेस्ट हाउस पर हमला कर दिया. कई घंटों तक मायावती को बंधक बनाए रखा गया. उन्हें गंदी-गंदी गालियां तक दी गईं. मायावती ने इसके बाद से कभी भी समाजवादी पार्टी को किसी रूप में समर्थन नहीं दिया. यूपी के राजनीतिक इतिहास में ये घटना गेस्ट हाउस कांड के रूप में प्रचलित है.
लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में स्थितियां बदलती दिख रही हैं. अखिलेश यादव ने चुनाव के परिणाम आने के पहले मायावती के साथ गठबंधन करने के संकेत दिए हैं.
एग्जिट पोल के नतीजों के बाद अखिलेश का आया बयान
देश के तमाम एग्जिट पोल्स ने दरअसल यूपी सर्वे में बीजेपी को बढ़त दे दी है. बीजेपी को यूपी में नंबर-1 पार्टी और सपा को नंबर-2 की पार्टी बताया जा रहा है. एग्जिट पोल के नतीजों को देखते हुए अखिलेश यादव ने मायावती के साथ गठबंधन के संकेत भी दे दिए.
अगर सरकार के लिए जरूरत पड़ेगी तो राष्ट्रपति शासन कोई नहीं चाहेगा. हम नहीं चाहते कि यूपी को बीजेपी रिमोट कंट्रोल से चलाए.- अखिलेश यादव, सीएम, यूपी
सपा और बसपा एकसाथ आएंगे?
दरअसल अखिलेश ने कम सीटें मिलने की स्थिती में एक संभावना को टटोलने की कोशिश की थी लेकिन उनके इस बयान से सियासी घमासान भी शुरू हो गया है. खुद उनकी पार्टी के कई नेता बसपा से गठबंधन की संभावना से इंकार कर रहे हैं. तो वहीं दूसरी ओर अमर सिंह ने आग में घी डालने का काम किया है. उन्होंने अखिलेश को नसीहत देते हुए 1995 गेस्ट हाउस कांड की याद भी सबके जेहन में ताजा कर दी है.
सबकी निगाहें 11 मार्च के नतीजों पर टिकी हैं. ये नतीजे ही नए समीकरणों का रास्ता खोलेंगे.
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