पिछले दिनों नागालैंड (Nagaland) में सुरक्षा बलों की चूक के चलते कई नागरिकों की मौत का मामला सामने आया था, जिसके बाद से वहां की स्थिति गंभीर है.
इस मुद्दे पर शिवसेना (Shivsena) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए केन्द्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है.
सामना में लिखा गया कि केन्द्रीय मंत्री अमित शाह ने खेद व्यक्त करके घटित अमानवीय घटना पर पर्दा डालने का प्रयास किया.
सिर्फ चार पंक्तियों में खेद व्यक्त करके खत्म कर दिया जाए, ऐसा यह मामला नहीं है. 13 निरपराध नागरिक व एक जवान बेवजह मारा गया, उनकी हत्या का पाप सरकार के सिर पर है.
सामना में आगे लिखा गया कि सरकार द्वारा खेद व्यक्त करने से 13 निर्दोष नागरिकों की जानों की भरपाई होनेवाली है क्या? संबंधित घटना पर ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी’ का आदेश भी सरकार ने दिया है, परंतु घटित घटना की जिम्मेदारी लेकर इसका प्रायश्चित कौन करेगा? केंद्र सरकार ने गोलमोल उत्तर देकर समय बर्बाद किया, नागालैंड में जो हुआ वो अक्षम्य गलती है.
आतंकवादियों के विरुद्ध कार्यवाही ऐसी गलत जानकारियों पर आधारित होगी तो अब तक कश्मीर से नागालैंड तक कितने निरपराध लोग मारे गए होंगे, इसका आकलन ही नहीं किया जा सकता है. सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्दोष लोग इस तरह की कार्यवाहियों में मारे जाते हैं और उन्हें आतंकी ठहराकर दफना दिया जाता है, परंतु एक ही समय इतने लोगों के मारे जाने से मामला विस्फोटक हो गया है.
'एजेंसियों की सूचना कितनी खोखली है'
पत्र में लिखा गया कि गृह मंत्रालय के प्रमुख गुप्तचर एजेंसियों को अपने राजनीतिक विरोधियों के पीछे लगाने की बजाय आतंकियों के पीछे लगा दें तो सुरक्षा बलों को शक्ति मिलेगी. गुप्तचर एजेंसियों की सूचना कितनी खोखली है यह देश के किसान आंदोलन में भी नजर आया है.
‘सामना’ में लिखा गया कि शासकों को माफी मांगने की लत लग गई है. अपराध करना, लोगों की जान लेना व मामला उल्टा होने पर माफी मांगना, उसके बाद इस तरह से माफी मांगकर छुटकारा पा लेने की सूहलियत औरों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए?
देश की तमाम जांच एजेंसियों पर सवाल खड़ा करते हुए लिखा गया कि ईडी, सीबीआई, एनसीबी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां झूठे अपराध कराकर लोगों का जीवन समाप्त करती हैं.
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