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NDA से आउट हो सकते हैं राणे, कांग्रेस-NCP खेमे में जाने के संकेत 

कोंकण में शिवसेना को धूल चटाने के लिए बीजेपी ने प्लान के तहत नारायण राणे को बीजेपी खेमे में लाया था

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राजनीति में न तो कोई किसी का स्‍थायी दोस्त होता है, न ही स्‍थायी दुश्मन. ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र की राजनीति में भी दिख रहा है. सालभर पहले कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी खेमे में शामिल होने वाले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे एक बार फिर कांग्रेस-एनसीपी के साथ जाने के संकेत दे रहे हैं.

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने सोमवार को नारायण राणे के घर पहुंचकर उनसे मुलाकात की. जानकारी के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे बातचीत हुई.

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शिवसेना 'इन', राणे 'आउट'

कोंकण में शिवसेना को धूल चटाने के लिए बीजेपी ने प्लान के तहत नारायण राणे को अपने खेमे में लाया था, लेकिन चार साल से एक-दूसरे से दुश्मन की तरह लड़ने वाले बीजेपी और शिवसेना लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर कटुता कम करके गठबंधन के नगाड़े बजाते दिख रहे हैं.

इससे नारायण राणे की मुश्किलें बढ़ गई हैं. राणे के करीबियों की मानें, तो NDA से आउट होने के अलावा फिलहाल राणे के पास कोई ऑप्शन नहीं है, क्योंकि वो शिवसेना के साथ किसी भी कीमत पर कोई समझौता नहीं करेंगे.

क्या चाहते हैं नारायण राणे?

कोंकण की रत्‍नागिरि‍ लोकसभा सीट से वो अपने बड़े बेटे नीलेश को चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं. नीलेश 2009 में इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं. लेकिन 2014 के चुनाव में शिवसेना ने उन्हें करारी शिकस्त दी थी.

कोंकण में नारायण राणे का अच्छा-खासा वर्चस्व है और शिवसेना भी इस इलाके में पैठ रखने वाली पार्टी के तौर पर जानी जाती है. ऐसे में अगर नारायण राणे NDA यानी बीजेपी के साथ रहे, तो रत्‍नागिरि सीट शिवसेना के पास होगी और उनके बेटे नीलेश को टिकट नहीं मिल सकेगा. यही वजह है कि राणे फिर कांग्रेस-एनसीपी खेमे में एंट्री के लिए दरवाजा खटखटा रहे हैं.

राणे के लिए कांग्रेस की 'ना'?

कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन खेमे में राणे की पार्टी स्वाभिमान पक्ष की एंट्री इतनी आसान नहीं है. कांग्रेस के नेता फिलहाल राणे को साथ लेने को तैयार नहीं होने के संकेत दे रहे हैं. एनसीपी प्रमुख शरद पवार के सामने भी सबसे बड़ी अड़चन यही है कि वो अगर राणे को साथ लेते भी हैं, तो उनके बेटे नीलेश को लोकसभा का टिकट वे नहीं दे सकते, क्योंकि रत्‍नागिरि‍ लोकसभा सीट कांग्रेस के पास है.

हालांकि राणे के पक्ष में एक बात जाती है कि कोंकण में उनके कांग्रेस का साथ छोड़ने के बाद प्रभाव कम हुआ है. ऐसे में अगर शरद पवार कांग्रेस पर दबाव बना कर रत्‍नागिरि‍, सिंधुदुर्ग सीट अपने पास लेते हैं, तो वे इस सीट से नीलेश राणे को लड़ा सकते हैं और अपनी एक सीट बढ़ा सकते हैं.

कोंकण विभाग में 7 लोकसभा सीटें

लोकसभा की सीटों की हिसाब से कोंकण विभाग महत्वपूर्ण है. इसमें ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, भिवंडी, पालघर ,रायगढ़ और रत्‍नागिरि‍-सिंधुदुर्ग सीटें आती हैं. नारायण राणे का 7 लोकसभा सीटों में दो सीटों पर सीधा प्रभाव है, इसलिए राणे की भूमिका अहम हो जाती है.

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