Modi Cabinet 3.0: नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. रविवार (9 जून) को हुए समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई. पीएम के साथ उनके मंत्रिमंडल के अन्य 71 सदस्यों ने भी शपथ ली.
किस राज्यों से कितने सदस्यों को मंत्री बनाया गया और उसके पीछे की वजह क्या है, आइये समझने की कोशिश करते हैं.
किस राज्य से कितने मंत्री बनें?
उत्तर प्रदेश-10
बिहार-8
गुजरात-6
मध्य प्रदेश-5
कर्नाटक-5
महाराष्ट्र-5
राजस्थान-4
आंध्र प्रदेश-3
हरियाणा-3
ओडिशा-3
असम-2
झारखंड-2
तेलंगाना-2
अरुणाचल प्रदेश-1
जम्मू-कश्मीर-1
गोवा-1
पश्चिम बंगाल-2
केरल-2
तमिलनाडु-1
उत्तराखंड-1
पंजाब-1
छत्तीसगढ़-1
दिल्ली-1
हिमाचल प्रदेश-1
कुल मिलाकर देंखें तो मोदी 3.0 सरकार में 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है.
पिछले बार से कितना बदला मंत्री परिषद?
एनडीए सरकार के लगातार तीसरे कार्यकाल में सबसे अधिक मंत्री उत्तर प्रदेश से हैं, जहां बीजेपी को 33 सीटों पर जीत मिली है जबकि गठबंधन को 36 सीटें आई हैं. यहां पार्टी का प्रदर्शन पिछले बार के मुकाबले खराब है और उसको 29 सीटों का नुकसान हुआ है.
पिछली मोदी सरकार के मंत्रीपरिषद में पीएम मोदी के अलावा 14 मंत्री यूपी से थे. इसमें यूपी कोटे से राज्यसभा गए सदस्य भी शामिल हैं. इस बार राज्य से आने वाले मंत्रियों की संख्या कम होकर 10 रह गई है. इसमें हरदीप पुरी भी शामिल हैं जो यूपी कोटे से राज्यसभा सांसद हैं.
दूसरे नंबर पर बिहार है. पिछले बार यहां एनडीए को 39 सीट पर जीत मिली थी, जबकि इस बार आंकड़ा 30 पर आकर रूक गया है. 2019 में पांच मंत्री बिहार से बनाए गए थे लेकिन 2024 में आंकड़ा बढ़कर आठ पर पहुंच गया है. यानी तीन मंत्री पद बिहार को ज्यादा मिला है.
तीसरे नंबर पर है महाराष्ट्र, जहां बीजेपी ने खराब प्रदर्शन किया. 2019 में अपने दम पर 18 सीट जीतने वाली बीजेपी 2024 में 10 सीटों पर सिमट गई. यहां पर बीजेपी ने पिछली बार के मुकाबले मंत्री पद 8 से घटाकर 6 कर दिया है. हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि साल के अंत में होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले या बाद में कैबिनेट विस्तार में महाराष्ट्र से 1 से 2 मंत्रियों की संख्या बढ़ सकती है.
चौथे और पांचवें नंबर पर गुजरात और कर्नाटक का नाम है, जहां पर पार्टी को क्रमश: 1 और 8 सीटों का नुकसान हुआ है. इसके बावजूद दोनों ही राज्यों को पिछली बार की अपेक्षा मोदी कैबिनेट में क्रमश: 6 और 5, अधिक ही प्रतिनिधित्व मिला है. 2019 में गुजरात और कर्नाटक से क्रमश 3 और 4 मंत्री बनाए गए थे.
वहीं, राजस्थान में भी बीजेपी को 11 सीटों का नुकसान हुआ बावजूद यहां से पिछली बार के मुकाबले 3 की बजाए 4 सांसदों को मंत्री बनाया गया है.
मोदी सरकार 3.0 में ओडिशा से तीन मंत्रियों को भी जगह मिली है, जहां बीजेपी ने लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव में बीजेडी को करारी शिकस्त दी है. 2019 में यहां से महज एक मंत्री ही केंद्र सरकार में शामिल था. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल से भी मंत्री बनाए गए हैं. आंध्र प्रदेश के तीन तो वहीं केरल और तेलंगाना से दो मंत्रियों ने शपथ ली है.
जानकारी के अनुसार, इन तीनों ही राज्यों में 2019 में एक भी मंत्री केंद्र सरकार में शामिल नहीं था. हालांकि, कैबिनेट विस्तार में जी किशन रेड्डी को बाद में मंत्री परिषद में शामिल किया गया था.
वहीं, पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, गोवा, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, दिल्ली और छत्तीसगढ़ से पहले की तरह एक-एक मंत्री बनाए गए हैं, जबकि एमपी में पहले की तरह पांच, हरियाणा में तीन तो पश्चिम बंगाल और झारखंड से दो-दो मंत्री बनाए गए हैं.
किन राज्यों को नहीं मिला प्रतिनिधित्व?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल नहीं किया है. इसमें अंडमान निकोबार द्वीप, चंडीगढ़, दादरा नागर हवेली और दमन द्वीप, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, लक्षद्वीप, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पुडुचेरी और सिक्किम शामिल हैं.
मंत्री परिषद में बदलाव की वजह क्या है?
पीएम मोदी ने अपनी कैबिनेट में सबसे अधिक जगह उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और आंध्र प्रदेश से चुनकर आए सांसदों को दी है. इसकी वजह वहां होने वाले चुनाव और क्षेत्रीय दल हैं.
दरअसल यूपी में बीजेपी को जिस तरह से समाजवादी पार्टी ने पटखनी दी है, उससे पार्टी और संघ दोनों के अंदर बेचैनी बढ़ गई है. पार्टी ने एसपी के "पीडीए" फॉर्मूले यानी 'पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक' के तोड़ के लिए जातियों को साधने की कोशिश की है. इसी क्रम में पार्टी ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के पांच, जाट से एक, कुर्मी के दो और लोधी जातीय के एक सांसद को भी कैबिनेट में जगह दी है.
दलित समुदाय से आने वाले कमलेश पासवान और एसपी सिंह बघेल को भी नई सरकार में जगह दी गई है. वहीं, अगड़ी जाति से आने वाले राजनाथ सिंह, कीर्तिवर्धन सिंह और जितिन प्रसाद को भी कैबिनेट में शामिल किया गया है.
जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश में जल्द ही कई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. ऐसे में पार्टी अब हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है और जातीय समीकरण को साधने में जुटी है. सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने के बाद समाजवादी पार्टी ने 2027 के विधानसभा चुनाव की भी तैयारी शुरू कर दी है. ऐसे में बीजेपी एसपी से मुकाबले की तैयारी के लिए अपनी रणनीति पुख्ता करने में जुटी है.
बिहार: राज्य से मोदी सरकार में बीजेपी के चार और सहयोगियों से चार मंत्री बनाए गए हैं. पिछले बार सहयोगी दलों के दो मंत्री थी. दरअसल, बिहार से अधिक मंत्री बनाए जाने के पीछे की सबसे बड़ी वजह वहां के गठबंधन के साथी हैं, जो जीतकर आए हैं. इस बार जेडीयू और एलेजपी (आर) के अलावा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एस) के जीतनराम मांझी भी है, जिन्हें कैबिनेट में शामिल किया गया है.
दूसरी अहम वजह जुलाई में होने वाले उपचुनाव हैं. इसके बाद अगले साल होने वाले राज्य के विधानसभा चुनाव हैं. हालिया नतीजों के देखें तो आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने 2019 के मुकाबले 9 सीट अधिक जीती हैं, जिससे एनडीए की चिंता विधानसभा चुनाव को लेकर बढ़ गई है. यूपी में जिस तरह से एसपी के 'PDA' ने बीजेपी को नुकसान पहुंचाया वैसे ही बिहार में आरजेडी के 'BAAP' ने पार्टी की परेशानी बढ़ाई है. ऐसे में बीजेपी बिहार के जातीय समीकरण के साधने की कोशिश कर रही है और इसी की छाप में मंत्रिमंडल में देखने को मिली है.
वहीं, गुजरात और कर्नाटक से अधिक मंत्री बनाने की वजह, वहां के नतीजे हैं. दरअसल, गुजरात में बीजेपी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था. इसके अलावा पिछले एक दशक से लोकसभा चुनाव में पार्टी गुजरात में क्लीन स्वीप करती आ रही है. ऐसे में पार्टी अपने गढ़ को और मजबूत करना चाहती है. बीजेपी से जुड़़े लोगों की मानें तो, पार्टी का मुख्य मकसद ये संदेश देना है कि गुजरात पर पीएम का अभी भी विशेष ध्यान हैं.
जबकि कर्नाटक में बीजेपी अपनी जमीन को मजबूत करना चाहती है, जो उसे पिछले विधानसभा चुनाव में हार कर गंवाना पड़ा है. वहीं, राजस्थान में लगातार मुख्यमंत्री को लेकर बढ़ रही नाराजगी और उपचुनाव के मद्देनजर पार्टी ने मंत्रियों की संख्या में इजाफा किया है.
कुल मिलाकर देखें तो बीजेपी ने भविष्य की रणनीति के तहत मोदी कैबिनेट का गठन किया है. हालांकि आने वाले विधानसभा चुनाव के बाद इसकी सूरत और बदलने की उम्मीद है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)