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समीर वानखेड़े के नाम से चलता है बार, 17 साल की उम्र में मिला लाइसेंस- नवाब मलिक

नवाब मलिक ने एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े पर सरकारी नियमों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया है

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'नाम बदलने में फर्जीवाड़ा...बार का लाइसेंस बनवाने में फर्जीवाड़ा...नौकरी में भी जालसाजी...जाति प्रमाण पत्र बनवाने में फर्जीवाड़ा...ये सब फर्जी लोग हैं', ये आरोप लगाते हुए महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) ने एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) और उनके परिवार पर फिर से हमला बोला है. मलिक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोहराया कि समीर दाऊद वानखेड़े को अपनी करतूतों की वजह से नौकरी खोनी पड़ेगी और उन्हें जेल जाना पड़ेगा.

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इस बीच, समीर वानखेड़े पर शराब का धंधा (बार और रेस्टोरेंट) चलाने का गंभीर आरोप लगाते हुए नवाब मलिक ने उन पर सरकारी नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है.

मलिक ने कहा है कि इतने फर्जीवाड़े सबूत के तौर पर सामने रखे गए हैं, इसलिए अब भी केंद्र सरकार को उन्हें बचाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. अगर सरकारें जालसाजी के समर्थन में खड़ी होती हैं, तो उनकी छवि खराब हो सकती है. नवाब मलिक ने ये भी कहा कि अगर पूरे विभाग को बदनाम किया जा रहा है और इसे बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं तो ये स्पष्ट होगा कि इसके पीछे बीजेपी और केंद्र सरकार का हाथ है.

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बार लाइसेंस जारी करने में फर्जीवाड़े के आरोप

मलिक का दावा है कि समीर वानखेड़े के पिता ने राज्य आबकारी विभाग में काम करते हुए 1997-98 में समीर दाऊद उर्फ ​​ज्ञानदेव वानखेड़े के नाम से फर्जी लाइसेंस बनवाया था. समीर वानखेड़े के नाम पर 1997 से इस परमिट का नवीनीकरण किया जा रहा है. अब 2022 तक 3 लाख 17 हजार 650 रुपये का भुगतान किया जा चुका है. समीर वानखेड़े उस समय 17 साल, 10 महीने और 19 दिन के थे. फिर भी, उनके पिता ने लाइसेंस प्राप्त किया. सद्गुरु रेस्तरां और बार 1997 से चल रहा है, जबकि 18 साल से कम उम्र के किसी भी शख्स को लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता.

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नवाब मलिक ने लगाए संपत्ति छिपाने के आरोप

नवाब मलिक ने आरोप लगाते हुए बताया कि, 2017 में समीर दाऊद वानखेड़े ने अपनी संपत्ति घोषित की जिसमें उन्होंने 1995 में 1 करोड़ रुपये की कीमत का उल्लेख किया. अपने पिता और माता के नाम के अलावा उन्हें अपनी मां से ये संपत्ति मिली और उससे 2 लाख रुपये प्रति वर्ष किराया मिलता है.

उन्होंने आगे कहा कि, केंद्र सरकार के अधिकारियों को हर साल अपनी संपत्ति की घोषणा करनी होती है लेकिन इस जानकारी को 2017 तक गुप्त रखा गया. उसके बाद जानकारी दी जाती है, लेकिन बताया जाता है कि किराया मिल रहा है. समीर दाऊद वानखेड़े शराब का धंधा चला रहा है. सरकारी नियम (धारा 1964) के अनुसार केंद्र सरकार का कोई भी अधिकारी ड्यूटी के दौरान कारोबार नहीं कर सकता है, लेकिन जिस तरह से ये सब बातें सामने आ रही हैं वो एक जालसाजी है.

नवाब मलिक ने कहा कि, समीर वानखेड़े ने जानबूझकर इस जानकारी को छुपाया है कि वह शराब का धंधा चलाकर और बार किराए पर देकर केंद्र सरकार के नियमों का सीधा उल्लंघन कर रहे हैं. इसलिए उन्हें नौकरी पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. नवाब मलिक ने स्पष्ट किया कि अगले तीन-चार दिनों में वो डीईपीटो और अन्य एजेंसियों के पास शिकायत दर्ज कराएंगे.
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नवाब मलिक ने ये भी कहा कि समीर दाऊद वानखेड़े के खिलाफ आर्यन खान से फिरौती मांगने, दलितों को अधिकारों से वंचित करने और अब शराब का धंधा चलाने की जानकारी छिपाने के लिए तीन तरह के आरोप और सबूत हैं.

बर्थ सर्टिफिकेट को लेकर भी आरोप

इसके अलावा मलिक ने जन्म प्रमाणपत्र को लेकर दावा किया है कि समीर दाऊद वानखेड़े ने 27 अप्रैल 1993 को BMC को एक हलफनामा देकर अपना नाम बदलने की कोशिश की थी. दो व्यक्तियों द्वारा, एक जीवन जोगल (मुलुंड के निवासी) और दूसरे अरुण चौधरी (कल्याण के निवासी) के जरिये हलफनामा किया गया था. दोनों ने एक हलफनामा दाखिल कर कहा की उनके पिता का नाम दाऊद नहीं बल्कि ज्ञानदेव वानखेड़े है. नए जन्म प्रमाण पत्र के साथ समीर वानखेड़े का सेंट पॉल हाई स्कूल में प्रवेश लिया गया. शुरुआती नाम बदलकर समीर ज्ञानदेव वानखेड़े कर दिया गया. जालसाजी कर मुंबई निगम के रिकॉर्ड बदल दिए गए.

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1995 में मुंबई कलेक्टर के पास एक आवेदन दायर किया गया था. उस समय उनके पिता का जाति प्रमाण पत्र दिखाया गया और फिर उन्हें और उनकी बहन को जाली जाति प्रमाण पत्र बनाकर शेड्यूल कास्ट का लाभ मिला. समीर वानखेड़े को उसी आधार पर आईआरएस (IRS) की नौकरी मिली. मामला कास्ट वैलिडिटी कमिटी के पास जा चुका है. नवाब मलिक ने कहा कि जब यह जांच हो जाएगी, तो फर्जी दस्तावेजों का यह सारा खेल सामने आ जाएगा और समीर वानखेड़े की नौकरी चली जाएगी.

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