महाराष्ट्र में एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस की सरकार है, लेकिन हर दूसरे दिन कयास लगते हैं कि शरद पवार की एनसीपी बीजेपी के साथ जा सकती है. कभी यही बात शिवसेना (Shivsena) के लिए की जाती है. लेकिन 13 अक्टूबर को शरद पवार ने एक तरह से साफ कर दिया कि बीजेपी से दोस्ती तो दूर पुरजोर दुश्मनी के मूड में हैं.
महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार में शामिल दर्जनों मंत्री और नेता केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर हैं. ज्यादातर एनसीपी के लोग हैं. ईडी और सीबीआई के बाद अब इनकम टैक्स विभाग भी राज्य में विशेष तौर पर सक्रिय हो गया है. पिछले हफ्ते से इनकम टैक्स ने सीधे पवार परिवार पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.
पवार का सीधा वार
शरद पवार कम बोलते हैं, सधा बोलते हैं. लेकिन 13 अक्टूबर को बकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोले. लखीमपुर खीरी हिंसा पर बोले. हत्याकांड के आरोपी आशीष मिश्र के मंत्री पिता से इस्तीफा मांगा साथ ही कहा कि योगी भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते.
परिवार के सदस्यों पर आईटी छापों पर पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ईडी, आईटी, सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों से डरा रही है. उन्होंने कहा कि इतनी देर किसी के घर आईटी रेड हो ये सुना नहीं है.
पार्टी को भी सीधा निर्देश
इनकम टैक्स की छापेमारी के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने 12 अक्टूबर की शाम पार्टी के सभी मंत्री और आला नेताओं की मुंबई में बैठक बुलाई. क्विंट को मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई पर शरद पवार ने बैठक में कड़ा रुख अपनाते हुए पार्टी के नेताओं से मुंह तोड़ जवाब देने को कहा है.
बीजेपी के खिलाफ एनसीपी का युद्ध -कुछ उदाहरण
ड्रग्स मामला
मुंबई क्रूज ड्रग्स मामले में हुई कार्रवाई को एनसीपी नेता और मंत्री नवाब मलिक ने फर्जी बताया. मलिक ने इस कार्रवाई में बीजेपी कार्यकर्ता और एक आरोपी का वीडियो जारी कर इस पूरे मामले पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया. साथ ही एक दूसरा वीडियो जारी कर मलिक ने दावा किया कि कार्रवाई की रात कुछ बीजेपी नेता के रिश्तेदार भी पकड़े गए थे, लेकिन उन्हें छोड़ दिया.
इस खुलासे पर NCB अब तक कोई ठोस जवाब नहीं दे पाई है. हालांकि NCB ने इन आरोपों पर कोर्ट में जवाब देने की सफाई दी है. बता दें कि NCB ने आठ महीने पहले नवाब मलिक के दामाद को भी ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किया था जो हाल ही में जमानत पर रिहा हुआ है.
सीबीआई डायरेक्टर को समन
पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के 100 करोड़ उगाही मामले में महाराष्ट्र के मुख्य सचिव और डीजीपी को सीबीआई द्वारा भेजे गए समन के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर समन पर रोक लगाने की मांग की है. लेकिन एनसीपी सिर्फ यहीं नहीं रुकी, बल्कि सीबीआई डायरेक्टर सुबोध जायसवाल को महाराष्ट्र के फोन टैपिंग मामले में समन भेजा है.
उस समय जायसवाल महाराष्ट्र के डीजीपी पद पर थे. आरोप है कि तत्कालीन इंटेलिजेंस विभाग की कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने सरकार के कुछ मंत्री और उनके करीबियों का बिना सीएम के अनुमति फोन टैपिंग किया था. जिसपर MVA सरकार ने जांच लगाई है.
पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर के खिलाफ जांच
एंटीलिया बम धमकी मामले में सस्पेंडेड एपीआई सचिन वझे की गिरफ्तारी के बाद पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला किया गया था. तब परमबीर सिंह ने लेटर बम के जरिये एनसीपी नेता और गृहमंत्री देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए. जिसके बाद ये पूरा मामला सीबीआई को सौंपा गया.
लेकिन मुंबई पुलिस ने भी चांदीवाल कमीशन और स्टेट सीआईडी के जरिये परमबीर सिंह पर लगे एक्सटॉर्शन के आरोपों की जांच शुरू की. सीआईडी द्वारा परमबीर को लुक आउट नोटिस जारी किया गया. तो वही कमीशन द्वारा परमबीर को जांच के लिए अबतक पांच समन भेजे गए हैं. अब सरकार परमबीर के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी करने की तैयारी में है.
रीजनल पार्टियों के साथ तीसरे मोर्चे की तैयारी?
पवार ने कुछ समय पहले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर से भी मुलाकात की थी. तब कायस लगाए गए थे कि 2024 की लोकसभा में बीजेपी के खिलाफ नया मोर्चा खोलने की तैयारी पवार कर रहे हैं. उन्होंने बीजेपी के दमन नीति के खिलाफ सभी राज्यों की रीजनल पार्टीज को इकट्ठा आने का न्योता दिया है.
बीजेपी में शामिल नेताओं पर निशाना
पवार बीजेपी में भी सेंध लगानी की पूरी तैयारी कर रहे हैं. बीजेपी के दिग्गज नेता एकनाथ खडसे को पवार ने एनसीपी में शामिल करवाया. साथ ही चुनावों से पहले बीजेपी में शामिल हुए अन्य नेताओं को भी पवार की पार्टी ने निशाने पर लिया है.
आए दिन बीजेपी के पूर्व सांसद किरीट सोमैया MVA सरकार के मंत्री - नेताओं पर घोटाले के आरोप लगा रहे हैं. लेकिन एनसीपी के यूथ विंग ने पूछा है कि बीजेपी में शामिल हुए नेताओं पर कभी किरीट सोमैया ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे उसका क्या हुआ? ऐसे सवालों वाले पोस्टर मुंबई में लगाए हैं. इसमें नारायण राणे, कृपाशंकर सिंह, विजय गावित जैसे नेताओं के नाम शामिल है.
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