भीमा कोरेगांव हिंसा मामले पर अब नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के सीनियर नेता धनंजय मुंडे ने भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में मुंडे ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज FIR वापस लेने की मांग की है. इस मामले में वामपंथी विचारक गौतम नवलखा, वारवारा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा, वरनोन गोंजालवेस के खिलाफ केस चल रहा है.
इससे पहले एनसीपी के एमएलसी प्रकाश गजभिये ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखकर केस वापस लेने की मांग की थी.
महाराष्ट्र में अब कांग्रेस-एनसीपी की सहयोग से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन चुके हैं. कांग्रेस और एनसीपी दोनों ही पार्टी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाती रही हैं.
क्या है भीमा कोरेगांव मामला?
31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में भीमा कोरेगांव लड़ाई के 200 साल पूरे होने के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. पुणे के विश्रामबाग थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए थे, जिस वजह से जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा हुई. तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस थे.
महाराष्ट्र पुलिस ने 31 दिसंबर 2017 को हुए एक सम्मेलन ‘यलगार परिषद’ के बाद भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में 1 जनवरी 2018 को पांच एक्टिविस्टों के खिलाफ मामला दर्ज किया. पुलिस ने इन एक्टिविस्टों पर भीमा कोरेगांव हिंसा की साजिश रचने और नक्सलवादियों से संबंध रखने का आरोप लगाया. इसके बाद 28 अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों से वामपंथी विचारक गौतम नवलखा, वारवारा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार कर लिया गया. 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इन गिरफ्तारियों पर रोक लगा दी.
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