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आरक्षण पर बहस से सहमत नहीं NDA के दो ‘राम’, कहा-इसकी जरूरत नहीं

भीम आर्मी ने आरक्षण पर भागवत को खुली बहस की चुनौती दी

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आरक्षण का मुद्दा फिर सुर्खियों में है. शुरुआत हुई है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान से. 18 अगस्त को भागवत ने कहा था कि जो लोग आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं उन लोगों के बीच सौहार्द्रपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए. ये बयान आते ही कांग्रेस, बीएसपी, आरजेडी जैसी पार्टियां विरोध में उतर आईं हैं. इन पार्टियों का कहना है कि संघ को ऐसी मानसिकता छोड़ देनी चाहिए.

अब NDA में ही भागवत के बयान को लेकर मतभेद दिख रहा है. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और रामदास आठवले ने आरक्षण पर बहस को गैर-जरूरी बताया है. रामविलास पासवान का कहना है कि आरक्षण के मुद्दे पर किसी भी ‘बहस’ की जरूरत नहीं है. वहीं आरपीआई अध्यक्ष रामदास आठवले ने कहा है कि इस देश में आरक्षण कभी खत्म नहीं किया जा सकता है.

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'आरक्षण पर बहस की जरूरत नहीं'

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर किसी भी ‘बहस’ की जरूरत नहीं है. ये समाज के कमजोर वर्गों का संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने कहा, "आरक्षण पर चर्चा की कोई गुंजाइश नहीं है. ये कभी खत्म नहीं होने वाला है. आरक्षण पहले की तरह ही चलता रहेगा और सभी पक्षों को मिलता रहेगा."

आरक्षण अब ऊंची जातियों के गरीबों के लिए भी उपलब्ध है, इसलिए इसे खत्म करना असंभव है.
रामविलास पासवान, केंद्रीय मंत्री

'आरक्षण कभी खत्म नहीं किया जा सकता'

आरएसएस चीफ की टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा है, ‘‘केंद्र की एनडीए सरकार दलित, ओबीसी, गरीब सवर्णों के आरक्षण के पक्ष में है. आरक्षण को कभी भी हटाया नहीं जा सकता है.’’

डॉ भीमराव अंबेडकर के बनाए गए संविधान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धर्म ग्रंथ के रूप में मानते हैं और इस सरकार में आरक्षण से छेड़छाड़ नहीं हो सकती.
रामदास आठवले, राज्य मंत्री

'आरक्षण पर बहस के पीछे RSS का इरादा खतरनाक'

मोहन भागवत का आरक्षण पर चर्चा की बात को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने खतरनाक बताया है. प्रियंका ने कहा कि ये बयान उस समय आया है, जब बीजेपी सरकार कई कानूनों को खत्म कर रही है.

आरक्षण को निशाने पर लेने के लिए आरएसएस और बीजेपी के लिए यह चर्चा का एक बहाना है. क्या आप लोग ऐसा होने देंगे?
प्रियंका गांधी, कांग्रेस महासचिव

बीजेपी और संघ हैं 'दलित-पिछड़ा विरोधी': कांग्रेस

भागवत के आरक्षण संबंधी बयान को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बीजेपी और संघ को 'दलित-पिछड़ा विरोधी' करार दिया है. खेड़ा ने कहा, ''बीजेपी और आरएसएस की आदत बन गयी है कि जनता को विवादों के जरिए व्यस्त रखें ताकि लोग कठिन सवाल पूछना बंद कर दें और बुनियादी मुद्दे नहीं उठें.'' उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति पर सवाल पूछने लगे तो मोहन भागवत का यह बयान आया है.

यह सोची समझी चाल है. उनकी मानसिकता आरक्षण खत्म करने की है. क्या यह सही नहीं है कि इन लोगों ने शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण खत्म करने की कोशिश नहीं की?
पी एल पूनिया, वरिष्ठ नेता, कांग्रेस
यह बयान दिखाता है कि ये लोग पुरानी मानसिकता में हैं. ये लोग शुरू से ही संविधान और आरक्षण के विरोधी हैं. भागवत के जरिए लोगों को भड़काने की कोशिश की गई है. समाज में लोगों को लड़ाने की कोशिश की गई है.
उदित राज, कांग्रेस नेता
गरीबों के अधिकारों पर हमला, संविधान सम्मत अधिकारों को कुचलना, दलितों-पिछड़ों के अधिकार छीनना... यही असली भाजपाई एजेंडा है.
रणदीप सुरजेवाला, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस

सुरजेवाला ने यह भी कहा कि आरएसएस और बीजेपी का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हो गया है. गरीबों के आरक्षण को खत्म करने की साजिश और संविधान बदलने की उनकी अगली नीति बेनकाब हुई.

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न्यायपालिका से मिटे मनुवाद: RJD

आरक्षण पर मच रहे इस बवाल के बीच आरजेडी का कहना है कि ज्युडिशियरी से मनुवाद, जातिवाद मिटाए बिना आरक्षण सुरक्षित नहीं हो पाएगा.

बिना न्यायपालिका से मनुवाद, जातिवाद मिटाए ना देश में बहुजनों का आरक्षण सुरक्षित रह पाएगा और ना सही मायनों में बहुजनों का उत्थान सुनिश्चित हो पाएगा! न्यायपालिका में किसी भी कीमत पर सभी वर्गों का जनसंख्या आधारित सही अनुपात में प्रतिनिधित्व अत्यावश्यक है!
आरजेडी

RSS पर बरसीं मायावती

बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने संघ पर हमला करते हुए कहा कि संघ अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है.

उन्होंने कहा, ''आरएसएस का SC/ST/OBC आरक्षण के संबंध में यह कहना कि इसपर खुले दिल से बहस होनी चाहिए, संदेह की गंभीर स्थिति पैदा करता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है. आरक्षण मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था है जिससे छेड़छाड़ अनुचित और अन्याय है. संघ अपनी आरक्षण-विरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है.''

आरक्षण पर भागवत को खुली बहस की चुनौती दी

दलित संगठन भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने आरक्षण के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को खुली बहस की चुनौती दी और कहा कि इसकी बजाए जाति व्यवस्था खत्म करने पर चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने दावा किया कि अनुसूचित जाति से जुड़े 54 फीसदी लोगों के पास देश में अपनी जमीन नहीं है, जबकि एक खास जाति का दबदबा है और उसे सारे अधिकार मिले हुए हैं.

भागवत चाहते हैं कि मुद्दे पर उनके बीच चर्चा होनी चाहिए जो आरक्षण के खिलाफ हैं. मैं मीडिया और संबंधित पक्षों के सामने उन्हें बहस करने की चुनौती देता हूं. हम लोगों को बताना चाहते हैं, जो हमने (दलित) जाति व्यवस्था के कारण झेला है. उन्हें सभी आंकड़ों लेकर बहस करने आना चाहिए.
चंद्रशेखर आजाद, नेता, भीम आर्मी

चंद्रशेखर ने ये भी कहा कि अगर भागवत ने जाति व्यवस्था को खत्म करने का आह्वान किया होता तो भीम आर्मी इसका समर्थन करती. जाति व्यवस्था ने देश को खोखला कर दिया है. भागवत को इस पर चर्चा करनी चाहिए. अगर सरकार ने आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने की कोशिश की तो समुदाय के लोग सड़कों पर उतरेंगे.

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