NDA से नाता तोड़ने के बाद महागठबंधन के साथ गए नीतीश कुमार को लेकर RJD नेता और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि साल 2024 के लिए नीतीश कुमार प्रधानमंत्री उम्मीदवार हो सकते हैं. अगर विपक्ष इस पर विचार करे तो नीतीश कुमार की छवि बहुत अच्छी है इसलिए उनके प्रबल दावेदार होने की पूर्ण संभावना है.
मैं पूरे विपक्ष की ओर से बोलने का दावा तो नहीं कर सकता, लेकिन अगर विचार किया जाए, तो नीतीश जी निश्चित रूप से एक मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं. उनको 37 साल से अधिक का संसदीय और प्रशासनिक अनुभव है और उन्हें जमीनी स्तर पर और साथ ही अपने साथियों के बीच अपार समर्थन प्राप्त है.तेजस्वी यादव, डिप्टी सीएम, बिहार
तेजस्वी यादव ने कहा कि पिछले 50 वर्षों से वह एक सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता रहे हैं, उन्होंने जेपी और आरक्षण आंदोलनों में भाग लिया है.
हालांकि, नीतीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि विपक्ष का प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनने की उनकी कोई आकांक्षा नहीं है.
उन्होंने समाचार एजेंसी ANI से कहा था कि मैं हाथ जोड़कर कहता हूं कि मेरे पास ऐसा कोई विचार नहीं है. मेरा काम सभी के लिए काम करना है. मैं यह देखने का प्रयास करूंगा कि सभी विपक्षी दल एक साथ काम करें. अगर वे ऐसा करते हैं तो अच्छा होगा.
तेजस्वी यादव ने कहा कि JDU, RJD, कांग्रेस और अन्य दलों के साथ महागठबंधन का एक साथ आना विपक्ष की एकता के लिए अच्छा संकेत है. यह संकेत देता है कि अधिकांश विपक्षी दल देश के सामने बड़ी चुनौती को पहचानते हैं. बीजेपी पैसा, मीडिया और प्रशासनिक मशीनरी शक्ति के बल पर भारतीय विविधता को खत्म करने के लिए आमादा है.
हम समाजवादी आंदोलनों के एक ही मंथन से उभरे हैं और मोटे तौर पर समान मूल्यों को साझा करते हैं. कभी-कभी कुछ मुद्दे होते हैं लेकिन कोई भी ऐसा नहीं होता जिसे सुलझाया न जा सके.तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव ने विपक्षी दलों से भी अपील की है कि क्षेत्रीय दलों और अन्य प्रगतिशील राजनीतिक समूहों को भी अपने छोटे-मोटे लाभ और हानि से परे देखना होगा और गणतंत्र को बचाना होगा. अगर हम इस समय लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरे को नहीं रोकेंगे तो फिर इसका पुनर्निर्माण करना बहुत मुश्किल होगा.
तेजस्वी यादव ने कहा कि बीजेपी की कोशिश लगातार क्षेत्रीय असमानताओं को नजरअंदाज करने की रही है. बिहार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता. लेकिन, क्या हमें केंद्र से ज्यादा कुछ मिला है?
वहीं, बिहार में दोबारा जंगल राज के बीजेपी के आरोपों पर तेजस्वी यादव ने कहा कि यह रोते हुए भेड़िये जैसा है. यह एक थका हुआ प्रवचन है. ध्यान हटाने और गुमराह करने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है.
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