साल 1999 में बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में प्रियंका गांधी ने कहा था,“मैं हजार बार कह चुकी हूं कि मुझे राजनीति में आने में कोई दिलचस्पी नहीं है.” लेकिन पिछले एक दशक से चुनाव में पराजय के बाद अक्सर ‘प्रियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ’ के नारे सुनाई दिए.
कांग्रेस के दिग्गज नेता एम एल फोतेदार का कहना है कि इंदिरा गांधी ने अपने निधन से पहले इच्छा व्यक्त की थी कि परिवार की राजनीतिक विरासत को उनके बाद प्रियंका गांधी आगे ले जाएं. साल 1984 में जिस समय इंदिरा ने यह इच्छा व्यक्त की थी उस वक्त प्रियंका महज 12 साल की थी.
अप्रत्यक्ष तौर पर राजनीति में दखल रखने वाली प्रियंका गांधी, अपनी मां और भाई के लिए चुनाव प्रचार करने के दौरान कई बार अपनी ताकत का एहसास करा चुकी हैं. वह भाषण के दौरान अपनी आवाज के जरिए जनता के दिल तक पहुंच बनाने का हुनर रखती हैं.
आइए आज उनके 47वें जन्मदिन पर देखते हैं जनता के साथ उनके सीधे संवाद की कुछ झलकियां.
‘56 इंच का सीना’ वाले बयान को लेकर पीएम मोदी पर निशाना
इंदिरा का अक्स
भाई वरुण पर ताना
साल 2009 में लिया राजनीति में न आने का फैसला: प्रियंका गांधी, NDTV के साथ बातचीत में
राजनेता के तौर पर इंदिरा गांधी को पसंद करने वाले लोग अक्सर प्रियंका में उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का अक्स तलाशते हैं. चाहे उनका व्यक्तित्व हो, बातचीत का लहजा हो या उनका अंदाज, उनके प्रशंसक दोनों में समानताएं तलाशते हैं.
अगर आप इंदिरा गांधी का यह साक्षात्कार देखेंगे, तो आपको शायद अंदाजा हो जाएगा कि आखिर इंदिरा गांधी के साथ प्रियंका की तुलना के पीछे क्या कारण है.
इस दुर्लभ वीडियो में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दिखाई दे रहे हैं. (द क्विंट इस वीडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता)
जब रॉबर्ट वाड्रा के साथ विवाह बंधन में बंधीं प्रियंका
प्रियंका जब महज 13 साल की थी उस वक्त वह पहली बार रॉबर्ट बाड्रा से मिली थी. समाचार पत्रिका आउटलुक से बात करते हुए प्रियंका ने कहा था कि वह रॉबर्ट को इसलिए पसंद करने लगी थी क्यों कि वह भी उन्हें पसंद करते थे.
उनके रिश्ते को लेकर कई बार सवाल उठते रहे लेकिन प्रियंका अपने रिश्ते को लेकर खामोश रहीं. हालांकि विपक्ष जब भी इसके बारे में बोलता है तो वह अपना बचाव करती हैं.
भाई राहुल गांधी की ढाल है प्रियंका
जनसभाओं में दिखता है प्रियंका का जादू
प्रियंका गांधी अपने भाई और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ हमेशा खड़ी रहती हैं. साक्षात्कारों और जनसभाओं के दौरान वह हमेशा अपने भाई का समर्थन करती हैं.
साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी ने राहुल के संसदीय क्षेत्र अमेठी में कई जनसभाओं को संबोधित किया था. अपनी जनसभाओं के बल पर उन्होंने अपने भाई राहुल गांधी के प्रतिद्वंदी बीजेपी नेता स्मृति ईरानी और आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास को कमजोर किया था.
मां सोनिया के लिए भी प्रचार करती हैं प्रियंका
प्रियंका गांधी के बारे में आम राय होने के बावजूद भी उनकी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें कभी भी राहुल गांधी से ज्यादा वरीयता देने का संकेत कभी नहीं दिया. हालांकि कई बार प्रियंका गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के लिए उनके संसदीय क्षेत्र रायबरेली में चुनाव प्रचार करने जाती रही हैं. लेकिन फिर भी उन्होंने कभी भी पार्टी में प्रियंका के रोल के बारे में कभी भी कोई बात नहीं की.
(ये स्टोरी 12 जनवरी 2016 को पब्लिश की गई थी, इसे दोबारा प्रियंका के जन्मदिन पर रिपब्लिश किया जा रहा है. )
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