नागरिकता कानून को लेकर देशभर में हो रहे प्रदर्शन और पुलिस की कार्रवाई पर विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की. इस दौरान सभी नेताओं ने राष्ट्रपति से इस मामले को लेकर हस्तक्षेप करने की और सरकार को निर्देश जारी करने की मांग की. नेताओं का कहना था कि मोदी सरकार जनता की आवाज दबा रही है. नागरिकता कानून को किसी भी तरह से मंजूर नहीं किया जा सकता है.
राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के बाद विपक्षी नेताओं ने मीडिया से बात की. इस दौरान कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा-
“आज मोदी सरकार लोगों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर ज्यादती की. आज दिल्ली और उत्तर-पूर्व के राज्यों में हालात तनावपूर्ण हैं.”
टीएमसी ने भी किया विरोध
इस दौरान टीएमसी नेता डेरेक ओ-ब्रायन ने कहा कि सरकार को इस कानून को वापस लेना ही होगा. पूरा देश इसके खिलाफ है, छात्र इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. नागरिकता कानून को खत्म करने की अपील पूरा देश कर रहा है.
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बताया, "14-15 राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा और कहा कि जल्दबाजी में सरकार ने ये कानून पास किया है. सरकार को पहले ही बताया गया था कि ये बिल देश के हित में नहीं है. संविधान के मूल आधारों के खिलाफ है. ये देश को बांटने वाला बिल है. विपक्ष को ये पता था कि देश इस बिल को नकार देगा. आज असम से लेकर केरल तक इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है."
राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के बाद कांग्रेस, टीएमसी, समाजवादी पार्टी समेत कई दलों ने अपनी प्रतिक्रिया दी और इस कानून का विरोध किया. सभी दलों ने एक सुर में कहा कि ये कानून देश को स्वीकार नहीं है और इसे वापस लिया जाना चाहिए.
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