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EPS Vs OPS: जयललिता की पार्टी AIADMK में क्यों छिड़ी है जंग?

OPS Vs EPS: तमिलनाडु राजस्व विभाग ने AIADMK मुख्यालय को सील कर दिया है.

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तमिलनाडु में AIADMK पर वर्चस्व की लड़ाई जारी है. एडप्पादी के पलानीस्वामी (EPS) तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक के अंतरिम महासचिव होंगे. सोमवार को दो शीर्ष नेताओं OPS और EPS के बीच पार्टी में सिंगल लीडरशीप लागू के करने को लेकर जारी विवाद के बीच पूर्व मुख्यमंत्री OPS को बड़ा झटका लगा.

कोर्ट ने EPS की ओर से बुलाई गई बैठक पर रोक लगाने की OPS की मांग को खारिज करते हुए बैठक करने की अनुमति दे दी. इसी बैठक में EPS को अंतरिम महासचिव चुना गया. इसके साथ ही OPS को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया.

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आज क्या हुआ?

दरअसल, OPS को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित करने के फैसले का विरोध OPS समर्थकों ने प्रदर्शन कर जताया. AIADMK जनरल काउंसिल की बैठक ने ओ पनीरसेल्वम को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और कोषाध्यक्ष के पद से निष्कासित कर दिया. इसके साथ ही पन्नीरसेल्वम के समर्थक भी निष्कासित कर दिए गए.

मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार सुबह 9 बजे अन्नाद्रमुक के शीर्ष नेताओं पनीरसेल्वम की ओर से एक महत्वपूर्ण पार्टी बैठक को रोकने के लिए दायर याचिका पर अपना आदेश सुनाया था. फैसला EPS के पक्ष में गया. इसके बाद EPS ने बैठक बुलाई, जिसमें वे अंतरिम महासचिव चुने गए.

उधर, तमिलनाडु के राजस्व विभाग ने ओपीएस और ईपीएस कैडरों के बीच हुई झड़पों के मद्देनजर अन्नाद्रमुक मुख्यालय को सील कर दिया है. इसके साथ ही अन्नाद्रमुक कार्यालय क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई है.

OPS और EPS के बीच क्या है विवाद?

हालांकि, इससे पहले 6 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएस को कानून का पालन करते हुए बैठक को आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी, जबकि ओपीएस ने तर्क दिया था कि बैठक का संचालन तकनीकी रूप से अवैध है और अमान्य है. उनके वकील ने दावा किया था कि पार्टी नियमों के अनुसार, केवल कॉर्डिनेटर और ज्वाइंट कॉर्डिनेटर ही पार्टी की आम परिषद की बैठक बुला सकते हैं.

ओ पन्नीरसेल्वम (OPS) और एडप्पादी के पलानीस्वामी (EPS) के बीच कई महीनों से पार्टी के वर्किंग फॉर्मेट को लेकर विवाद जारी है. OPS की ओर से मौजूदा संयुक्त नेतृत्व मॉडल को जारी रखने के लिए जोर दिया जा रहा है. लेकिन ईपीएस को पार्टी जनरल के रूप में एकल नेतृत्व की तलाश है.

उधर, ईपीएस पार्टी के आम परिषद में करीब 2,000 से अधिक लोगों के समर्थन को लेकर आश्वस्त हैं. खुद को पार्टी के महासचिव और एक पावर सेंटर के रूप में देखना चाहते हैं, जबकि ओपीएस चाहते हैं कि मौजूदा दोहरा नेतृत्व जारी रहे.

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सीएम की कुर्सी पर कैसे बैठे थे पलानीस्वामी? 

बता दें, ओपीएस दिवंगत जयललिता की पसंद रहे हैं. दो बार उन्हें स्टैंड-इन चीफ मिनिस्टर बनने का मौका मिला था, जब जयललिता को दोषी करार होने पर पद छोड़ना पड़ा था. इसके अलावा जयललिता के निधन से ठीक पहले उन्होंने तीसरी बार राज्य की कमान संभाली थी.

हालांकि, जयललिता की मौत के बाद पार्टी की कमान संभालने वाली उनकी दोस्त शशिकला ने ओपीएस को सीएम पद से बेदखल कर दिया था और आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल जाने से पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ईपीएस को बैठा दिया था.

इसके बाद एक नाटकीय तरीके सें दोनों नेताओं ने समझौता किया और शशिकला को ही AIADMK से निष्कासित कर दिया और दोहरे नेतृत्व पर सहमत होकर काम करने लगे.

सिंगल लीडरशीप फॉर्मूले पर क्यों काम करना चाहते हैं EPS?

अब EPS का कहना है कि इस मॉडल ने पार्टी में कोई भी निर्णय लेना मुश्किल बना दिया है. नतीजतन, पार्टी को लगातार तीन चुनावी हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में सिंगल-लीडरशीप के फॉर्मूले पर पार्टी काम करे. EPS ने अपने प्रतिद्वंदी ओपीएस से यहां तक साफ कह दिया है कि वह अब पार्टी के संयोजक नहीं हैं.

दरअसल, मुख्यमंत्री के रूप में अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान, EPS ने अपनी स्थिति मजबूत की और पार्टी को अपने नियंत्रण में ले लिया. इस बीच, पार्टी के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय पर लगाम लगाने के लिए ओपीएस द्वारा दायर एक याचिका पर मद्रास उच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई हो रही है.

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