राफेल मामले पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राफेल के दस्तावेज चोरी हुए हैं और इन्हीं चोरी हुए दस्तावेजों के आधार पर द हिंदू ने खबर छापी है. सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल ने इसे ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन बताया. इस मामले पर अब कांग्रेस नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने खबर छापने वाले अखबार का पक्ष लिया है और कहा है कि हम राफेल पर किए गए इस खुलासे का पूरा समर्थन करते हैं.
सरकार का तर्क संविधान के खिलाफ
पी चिदंबरम ने राफेल के दस्तावेजों के आधार पर खबर छापे जाने का समर्थन करते हुए कहा, 'हम हम राफेल सौदे से संबंधित दस्तावेजों के प्रकाशन का पूरा समर्थन करते हैं. यह तर्क कि ये 'चोरी के कागजात' हैं, संविधान के अनुच्छेद 19 के खिलाफ है'. उन्होंने इससे पहले भी राफेल को लेकर कई बार मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं. लेकिन इस बार चिदंबरम द हिंदू और एन राम के समर्थन में खुलकर आए हैं.
पेंटागन पेपर्स का किया जिक्र
कांग्रेस नेता चिदंबरम ने सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलील का जिक्र करते हुए पेंटागन पेपर्स मामले का उदाहरण पेश किया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'पेंटागन पेपर्स के मामले में 1971 में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय का विख्यात फैसला अटार्नी जनरल के दिये गये तर्कों का पूरा जवाब है कि मीडिया तथाकथित गोपनीय दस्तावेजों को प्रकाशित नहीं कर सकता'.
इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी राफेल मामले में मोदी सरकार के खिलाफ कई सवाल दागे थे. उन्होंने इसकी कीमत और बैंक गारंटी न होने का हवाला देते हुए एक बार फिर इसे बेहद मंहगी डील बताया
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों में जमकर वाद-विवाद हुआ. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राफेल डील से संबंधित अहम दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए. इस पर कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से गुरुवार तक कोर्ट में हलफनामा सौंपने के लिए कहा है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 14 मार्च तय की गई है. प्रशांत भूषण ने जब 'द हिंदू' में पब्लिश एन राम के एक आर्टिकल का हवाला दिया, तो अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इसका विरोध किया और कहा कि ये लेख चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित है और इस मामले की जांच जारी है.
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