पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आईएनएक्स मीडिया मामले में जमानत दे दी है. चिदंबरम को ईडी ने आईएनएक्स मीडिया केस के मनी लॉन्ड्रिंग वाले मामले में गिरफ्तार किया था. जिसके बाद से ही वो इस मामले को लेकर न्यायिक हिरासत में चल रहे थे. इससे पहले उन्हें सीबीआई ने भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था, जिसमें उन्हें जमानत मिल गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पी चिदंबरम इस मामले को लेकर बयान नहीं दे सकते हैं. इसके अलावा चिदंबरम को ये हिदायत भी दी गई है कि वो सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों पर दबाव नहीं बना सकते हैं. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया केस के बारे में कोई भी मीडिया इंटरव्यू देने से भी मना किया गया है.
हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती
बता दें कि पी चिदंबरम ने इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया. जिसके बाद चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसके बाद अब 4 दिसंबर को फैसला सुनाया गया.
पी चिदंबरम को सीबीआई वाले केस में जमानत मिलने के तुरंत बाद ईडी ने उन पर शिकंजा कस लिया. आईएनएक्स मीडिया केस के मनी लॉन्ड्रिंग वाले मामले में उन्हें कई बार न्यायिक हिरासत में भेजा गया. चिदंबरम के वकीलों की कई दलीलों के बाद भी उन्हें जमानत नहीं मिल पाई थी.
कई बार खारिज हुई जमानत याचिका?
पी चिदंबरम के वकील कोर्ट में लगातार कहते आ रहे थे कि इस मामले में उन्हें जमानत दी जानी चाहिए. उनका कहना है कि चिदंबरम जांच में पूरी तरह सहयोग के लिए तैयार हैं. इसीलिए उन्हें फिलहाल न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जाना चाहिए. वहीं ईडी की तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि अगर चिदंबरम को जमानत मिलती है तो इस केस पर असर पड़ेगा. हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देने का फैसला दिया है.
क्या हैं आरोप?
सीबीआई ने चिदंबरम को 21 अगस्त को आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ्तार किया था. इससे पहले सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक एफआईआर दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रुपये का विदेशी कोष प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी में गड़बड़ी की गयी थी. इसके बाद ईडी ने 2017 में इस संबंध में धनशोधन का मामला दर्ज किया था. ईडी ने उन्हें 16 अक्टूबर को हिरासत में लिया था.
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