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पाटलिपुत्र लोकसभा: मीसा भारती और रामकृपाल यादव में साख बचाने की लड़ाई, क्या कह रहे लोग?

Lok Sabha Election 2024: पाटलिपुत्र सीट का समीकरण क्या है, कौन सी पार्टी कितनी मजबूत है और यहां के स्थानीय लोगों का क्या कहना है?

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Patliputra Lok Sabha Seat: 1990 से लेकर 2005 तक बिहार में शासन करने वाले आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव इन दिनों अपनी बिहार में कमबैक की कोशिश में हैं. 1 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें और सबसे आखिरी चरण की वोटिंग होनी है, जिसमें बिहार के 8 लोकसभा सीट भी आती है. चुनाव का यह चरण लालू परिवार के लिए इसलिए भी अहम है , क्योंकि पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती चुनावी मैदान में तीसरी बार उतरीं हैं. मीसा भारती का मुकाबला यहां सीधे उनके मुंहबोले चाचा और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी राम कृपाल यादव से है.

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पाटलिपुत्र क्षेत्र में आरजेडी का दबदबा लंबे वक्त से रहा है. इस इलाके में बीजेपी, जेडीयू की स्थिति आरजेडी के मुकाबले हमेशा से कमजोर रही हैं. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि पाटलिपुत्र लोकसभा की सभी 6 विधानसभा सीटों पर 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी, कांग्रेस और सीपीआईएमएल के उम्मीदवारों को जीत मिली थी.

चलिए आपको बताते हैं कि इस सीट का समीकरण क्या है, कौन सी पार्टी कितनी मजबूत है और यहां के स्थानीय लोगों का क्या कहना है?

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार जब राम कृपाल यादव आरजेडी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए और उन्होंने यह फैसला लिया कि वह लोकसभा का चुनाव बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में लड़ेंगे. तब किसी को भी यकीन नहीं था कि रामकृपाल यादव पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से जीत सकते हैं. लेकिन फिर भी रामकृपाल यादव को 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 3,83, 262 वोट मिले थे. वहीं आरजेडी प्रत्याशी मीसा भारती को 3,42,940 वोट मिले थे.

इस समय रामकृपाल यादव मीसा भारती से 40,322 वोटो से जीते थे . जब 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ तब एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने रामकृपाल यादव के ऊपर भरोसा दिखाते हुए उन्हें पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया. इस बार रामकृपाल यादव को कुल 5,09,557 वोट मिले थे जबकि आरजेडी उम्मीदवार मीसा भारती को कुल 4,70,236 मत मिले थे.

यानी दूसरी बार भी रामकृपाल यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी मुंह बोली भतीजी और आरजेडी प्रत्याशी मीसा भारती को 39,321 से हरा दिया.

छह विधानसभा सीटों पर इंडिया गठबंधन के विधायक

2008 के परिसीमन के बाद पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र आते हैं: दानापुर, मनेर, फुलवारी, विक्रम, मसौढ़ी और पालीगंज.

मनेर की बात की जाए तो यहां से आरजेडी से भाई वीरेंद्र विधायक है. भाई वीरेंद्र 2010 से लगातार मनेर से जीत रहे हैं. मनेर की जनता इन्हें लगातार 3 बार से जीता कर बिहार विधानसभा भेज रही है.

दानापुर विधानसभा क्षेत्र पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का दूसरा ऐसा विधानसभा है जो लोकसभा चुनाव के लिए अहम है. यहां यादवों की संख्या सबसे ज्यादा है. इसलिए हर बार यहां यादव कैंडिडेट ही खड़े होते हैं. दानापुर से आरजेडी के रीतलाल यादव विधायक हैं.

इसके साथ ही फुलवारी विधानसभा सीट पर सीपीआईएमएल के विधायक गोपाल रविदास हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में गोपाल रविदास ने जेडीयू के प्रत्याशी अरुण मांझी को 13857 वोटों के अंतर से हराया था.

पालीगंज विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो यहां भी सीपीआईएमएल का कब्जा है. पालीगंज से पार्टी को विधायर संदीप सौरव हैं.

वहीं मसौढ़ी विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी की विधायक रेखा देवी हैं. इन्होंने 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू की प्रत्याशी नूतन पासवान को 32, 227 वोटों के बड़े मार्जिन से हरा दिया था.

विक्रम विधानसभा से 2020 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी सिद्धार्थ सौरव ने जीत हासिल की थी. फिलहाल सिद्धार्थ सौरव एनडीए सरकार का हिस्सा हैं.

क्या कह रही पाटलिपुत्र की जनता?

शाम का वक्त और दिन ढलने के बाद गर्म हवाएं शांत हो गई थीं. इस वक्त अमूमन सड़कें शांत हो जाती हैं लेकिन मनेर विधानसभा क्षेत्र में एक इलाके में इस वक्त चहल-पहल थी. हमने देखा कि आरजेडी समर्थकों का एक हूजूम हाथों में माला लिए खड़ा था. आरजेडी उम्मीदवार मीसा भारती जैसे ही यहां पहुंचीं, लोगों ने फूल-मालाओं से उनका स्वागत किया.

इससे इतर मनेर की रहने वाली हाउस-वाइफ सरिता कुमारी अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहती हैं, "मेरे लिए रामकृपाल यादव अच्छे कैंडिडेट हैं और उनकी पार्टी बीजेपी अच्छी पार्टी है, इस बार मैं उन्हें ही वोट दूंगीं."

मीसा भारती की उम्मीदवारी को लेकर सरिता कुमारी 1990 से लेकर 2005 तक लालू-राबड़ी शासन काल को याद करते हुए कहती हैं, "इसमें कोई शक नहीं कि मीसा भारती एक अच्छी कैंडिडेट हैं. मगर उनकी जो पार्टी है, आरजेडी उसपर तनिक भी भरोसा नहीं. मैं तब मां के घर रहती थी. उस वक्त जब सुबह हमारी आंखें खुलती थी तब गली-नुक्कड़ पर गोली चलने और एनकाउंटर की आवाज से पूरा मोहल्ला गूंज उठता था."

Lok Sabha Election 2024: पाटलिपुत्र सीट का समीकरण क्या है, कौन सी पार्टी कितनी मजबूत है और यहां के स्थानीय लोगों का क्या कहना है?

सरिता कुमारी

फोटो- क्विंट हिंदी

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'तेजस्वी यादव ने युवाओं को नौकरी दी, रामकृपाल यादव हमारी सुध लेने भी नहीं आते'

दानापुर दियारा के रहने वाले रंजीत राय मौजूदा सासंद रामकृपाल यादव से खफा हैं. रंजीत राय कहते हैं कि रामकृपाल यादव ने जीतने के बाद एक बार भी हमारे यहां की सुध लेने की कोशिश नहीं की. हम अपना समर्थन लालू यादव की बेटी मीसा भारती को देंगे. उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव ने सरकार में रहते हुए युवाओं के रोजगार के अवसर दिए. आगे भी यदि भविष्य में उनकी सरकार बनती है तो युवाओं को एक बार फिर से बड़े पैमाने पर नौकरी दी जाने की संभावना है.

जितेंद्र राय आगे कहते हैं कि लालू प्रसाद यादव की वजह से ही दियारा में आज पीपा पुल का निर्माण हुआ है. जिससे आने-जाने में हमें सहूलियत होती है.

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जितेंद्र राय

फोटो- क्विंट हिंदी

फुलवारी विधानसभा क्षेत्र की निवासी चंचला कुमारी ऐसा नहीं मानती हैं. वह कहती हैं, "रामकृपाल यादव अपने क्षेत्र में घूमते हैं. लोगों की समस्याओं को सुनते हैं उनके सुख-दुख में हमेशा उनके साथ खड़े रहते हैं. इतना ही नहीं अगर उन्हें विकास से जुड़े किसी भी बात को कहना पड़ता है तो वह समस्या को तुरंत दूर करवा देते हैं. रामकृपाल यादव की खासियत यह भी है कि वह यादव जाति से आते हैं, मगर यादव होते हुए भी वह कभी किसी खास जाति को लाभ पहुंचने के लिए काम नहीं करते. इसलिए उनको जितना चाहिए."

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चंचला कुमारी

फोटो- क्विंट हिंदी 

चंचला कुमारी कहती हैं, "जब से बिहार में नीतीश कुमार ने सत्ता की कमान अपने हाथों में ली है तब से सारे बाहुबली और कुख्यात अपराधी कहां चले गए उनका पता भी नहीं है. रामकृपाल यादव क्षेत्र के विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं और यही वजह है कि काम के कारण ही उनकी इस पूरे लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा लोकप्रियता है. उन्होंने काम किया है इसी वजह से तो वह पिछले दो बार से पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे हैं. आज भी उन लोगों को बहुत दिन याद है जब बिहार में आरजेडी की सरकार हुआ करती थी और उन लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल हो गया था."

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