सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस मौके पर गुजरात के केवड़िया में भी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर जोरदार तैयारियां की गईं. खुद पीएम मोदी ने यहां होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. पटेल के सम्मान में एकता परेड हुई और पीएम मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस मौके पर पीएम मोदी ने देश को एकजुट करने पर जोर दिया.
पीएम मोदी ने केवड़िया में सरदार पटेल की जयंती पर भाषण में कहा, सरदार वल्लभ भाई पटेल की आवाज हमारे कानों में गूंजना, उनके विचारों की वर्तमान में महत्ता, प्रतिपल देश की एकता और अखंडता के बारे में सोचना. उनकी वाणी में जो शक्ति थी और उनके विचारों में जो प्रेरणा था उसे हर हिंदुस्तानी महसूस कर सकता है. पीएम मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का जिक्र करते हुए कहा,
“जिस तरह किसी श्रद्धा स्थल पर आकर एक असीम शांति और ऊर्जा मिलती है, वैसी ही अनुभूति मुझे यहां सरदार साहब के पास आकर होती है. लगता है जैसे उनकी प्रतिमा का भी अपना एक व्यक्तित्व है, सामर्थ्य है और संदेश है. ये प्रतिमा हमारी विविधता में एकता का भी जीता-जागता प्रतीक है.”पीएम नरेंद्र मोदी
पीएम मोदी ने किया आर्टिकल 370 का जिक्र
आर्टिकल 370 ने जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद के सिवाय कुछ नहीं दिया. पूरे देश में यही एक स्थान था, जहां आर्टिकल 370 था. यहां तीन दशकों में आतंकवाद ने करीब 40 हजार लोगों की जान ली. उन्हें मौत के घाट उतार दिया. कई बच्चे अपने माता-पिता को खो चुके हैं. कब तक देश निर्दोषों की मौत को देखता रहेगा. इस आर्टिकल 370 ने एक दीवार बना रखी थी. मैं सरदार साहब को हिसाब दे रहा हूं कि सरदार साहब आपका जो सपना अधूरा था, अब वो दीवार गिरा दी गई है. पीएम मोदी ने आगे कहा-
“कश्मीर मसला अगर पटेल के पास होता तो वो कबका इसे सुलझा चुके होते. आज उनकी जयंती पर मैं आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला उन्हें समर्पित करता हूं. हमें सरदार साहब के अधूरे सपने को पूरा करने का मौका मिला.”
'हस्ती मिटती नहीं हमारी'
पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि 21वीं सदी में भारत की एकता भारत के विरोधियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा, "मैं आज राष्ट्रीय एकता दिवस पर, प्रत्येक देशवासी को देश के समक्ष मौजूद ये चुनौती याद दिला रहा हूं. 'कई आये, कई चले गए- लेकिन बात तो फिर भी यही निकली- 'कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी'." पीएम मोदी ने कहा, जो हमसे युद्ध में नहीं जीत सकते, वो हमारी इसी एकता को चुनौती दे रहे हैं. लेकिन वो भूल जाते हैं कि सदियों की ऐसी ही कोशिशों के बावजूद, हमें कोई मिटा नहीं सका. जब हमारी विविधताओं के बीच एकता पर बल देने वाली बातें होती हैं, तो इन ताकतों को मुंहतोड़ जवाब मिलता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)