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भारत छोड़ो आंदोलन: हम लक्ष्‍य चुन लें, तो कुछ भी कर सकते हैं -मोदी

पीएम ने लोगों से कहा कि देश को सांप्रदायिकता, जातिवाद और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से मुक्त बनाने के लिए कदम उठाएं. 

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भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे होने पर संसद में बुधवार को विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में शहीदों को याद किया.

पीएम ने बापू को याद करते हुए कहा कि गांधी जी ने कहा था कि हम पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी बात से संतुष्ट नहीं होंगे, करेंगे या मरेंगे? गांधी के मुंह से करेंगे या फिर मरेंगे शब्द देश के लिए अजूबा था.

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इस मौके पर पीएम कहा कि लोग एक साथ मिलकर देश को सांप्रदायिकता, जातिवाद और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से मुक्त बनाने के लिए कदम उठाएं. आज जब हम 2017 में हैं, तब मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकता हूं, कि आज हमारे पास गांधी हैं. आज हमारे पास उस समय की उंचाई वाला नेतृत्व नहीं है, लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के साथ हम उस सपने को पूरा कर सकते हैं, जो उन्होंने देखा था.

पीएम मोदी ने कहा कि हमारी आजादी सिर्फ भारत के लिए नहीं थी, बल्कि यह विश्व के दूसरे हिस्सों में उपनिवेशवाद के खात्मे में एक निर्णायक क्षण था. उस समय 1942 के आंदोलन के बाद जब हमें आजादी मिली, तब यह केवल हमारे देश की आजादी नहीं थी, बल्कि इसने अफ्रीका से दुनिया के अनेक देशों को प्रेरणा देने का काम किया. एक के बाद एक कई देश इसके बाद आजाद हुए.

गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण हमारे देश के सामने बड़ी चुनौतियां हैं, हमें सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता है. भ्रष्टाचार हमारी राजनीति को अंदर से खोखला कर रहा है, हम गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार से देश को मुक्त बनाने का संकल्प लें. 
पीएम मोदी 

पीएम के भाषण की मुख्य बातें

स्नैपशॉट
  • आइए, हम 2022 तक भारत को गंदगी, गरीबी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, सांप्रदायिकता से मुक्त करने का संकल्प लें और ‘न्यू इंडिया’ का सपना पूरा करें.
  • यह भारत की प्रबल इच्छाशक्ति का परिणाम था, संकल्प लेकर जब हम निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने में लग जाते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं.
  • ब्रिटिश उपनिवेशवाद की शुरुआत भी भारत से हुई और अंत भी.
  • गांधी जी ने कहा था कि ‘हम पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी बात से संतुष्ट नहीं होंगे, करेंगे या मरेंगे.
  • गांधी के मुंह से करेंगे या फिर मरेंगे शब्द देश के लिए अजूबा था.
  • उस समय का नारा था करेंगे या मरेंगे.
  • आज का नारा है हम भ्रष्टाचार को दूर करके रहेंगे.
  • भ्रष्टाचार हमारी राजनीति को अंदर से खोखला कर रहा है.
  • हम महिलाओं को आगे बढ़ाएंगे.
  • नौजवानों को रोजगार दिलाएंगें.
  • छोटी-छोटी घटनाएं हिंसा की तरफ ले जा रही हैं.

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