कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का लखनऊ दौरा गुरुवार को खत्म हो गया. प्रियंका चार दिन तक लखनऊ में रहीं. इस दौरान उत्तर प्रदेश की सियासत में लगातार गहमागहमी बनी रही. यूपी कांग्रेस के मुख्यालय में कांग्रेसियों का मेला लगा रहा. नए-पुराने कांग्रेसी प्रियंका से मुलाकात करने के लिए कांग्रेस दफ्तर में डटे रहे.
वहीं विपक्षी दलों के बीच इस बात को लेकर सुगबुगाहट तेज रही कि आखिर प्रियंका यूपी में कांग्रेस के लिए क्या रणनीति तैयार करेंगी और इसका असर क्या होगा?
प्रियंका गांधी ने इन चार दिनों में भले ही सिर्फ कांग्रेस नेताओं से ही मुलाकात की हो. लेकिन राजनीति में उनकी दस्तक का हालिया असर जोरदार रहा है.
प्रियंका ने लखनऊ के दौरे में क्या किया?
प्रियंका गांधी पार्टी में महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी नियुक्त किए जाने के बाद पहली बार लखनऊ पहुंची थीं. लखनऊ में लैंड होते ही प्रियंका ने एयरपोर्ट से पार्टी दफ्तर तक का लंबा रोड शो किया. इस रोड शो की सोशल मीडिया और मीडिया से लेकर राजनीतिक दलों तक में खूब चर्चा रही.
दौरे के अगले दिन से आखिरी दिन तक उन्होंने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और उनके संसदीय क्षेत्रों की जानकारी मांगी. इसके साथ ही उन्होंने उनके क्षेत्रों में पार्टी संगठनों की स्थिति के बारे में ब्योरा मांगा. दौरे के आखिरी दिन उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी थी. लेकिन पुलवामा आतंकी हमले की वजह से उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस को रद्द कर दिया.
अब जानिए, प्रियंका गांधी के चार दिनों के लखनऊ दौरे का उत्तर प्रदेश की सियासत में क्या असर दिखा.
1. प्रियंका की लखनऊ में एंट्री के पहले दिन ही पिघलते दिखे अखिलेश
प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस की महासचिव बनने के बाद सोमवार, 11 फरवरी को पहली बार लखनऊ पहुंची थीं. एयरपोर्ट से यूपी कांग्रेस के मुख्यालय तक के प्रियंका के रोड शो ने विपक्षियों को उनकी ताकत का एहसास करा दिया. इस दौरान प्रियंका गांधी ने तो सामने आकर कुछ नहीं कहा, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जब अपनी रणनीति सामने रखी, तो सियासी खेमों में हड़कंप मच गया.
राहुल गांधी के राजनीतिक दांव चलने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आनन-फानन में सामने आए और उन्होंने कहा कि गठबंधन में कांग्रेस पार्टी भी शामिल है.
अखिलेश यादव ने कहा, ''यह गठबंधन बीएसपी से तो है, वहीं आपकी और जानकारी होगी कि कांग्रेस पार्टी भी शामिल है, आरएलडी को भी तीन सीटें दी गई हैं, वह भी शामिल हैं. और निषाद पार्टी को भी क्योंकि पहले हम चुनाव उनके साथ लड़े हैं.’'
इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने कहा, ''आने वाले समय में कुछ लोकसभा में हमारे साथ रहेंगे और कुछ विधानसभा में भी हमारे साथ रहेंगे.''
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के शक्ति प्रदर्शन के बाद आए अखिलेश के इस बयान से कांग्रेस के प्रति उनके सॉफ्ट रुख का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.
2. प्रियंका का बीजेपी को पहला झटका, वेस्ट यूपी के विधायक कांग्रेस में शामिल
प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी के अपने पहले ही दौरे में बीजेपी को भी बड़ा झटका दिया है. पश्चिमी यूपी में मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा सीट से विधायक अवतार सिंह भड़ाना गुरुवार को बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए.
अवतार सिंह भड़ाना ने गुरुवार को ही पूर्वी यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी और पश्चिमी यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के थोड़ी ही देर बाद उन्होंने अपना इस्तीफा बीजेपी को भेज दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए.
- अवतार सिंह भड़ाना के सियासी सफर की शुरुआत कांग्रेस से ही हुई थी
- भड़ाना का पश्चिमी यूपी में अच्छा खासा रसूख है, उनकी पहचान गुर्जर समुदाय के बड़े नेता के रूप में होती है
- वह हरियाणा के फरीदाबाद से तीन बार और मेरठ से एक बार सांसद रह चुके हैं
3. बयानबाजी के बाद ओपी राजभर का एक्शन
प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर लंबे अरसे से बीजेपी के खिलाफ हमलावर रुख अख्तियार किए हुए हैं. राजभर गठबंधन में रहते हुए भी अपनी ही सरकार और बीजेपी को निशाना बनाते रहे हैं. लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा की लखनऊ में मौजूदगी ने शायद ओम प्रकाश राजभर की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को और ज्यादा बल दे दिया है.
यही वजह है कि उन्होंने गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का प्रभार लौटा दिया.
सिसायी गलियारों में राजभर के इस कदम को लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी के साथ सीटों के तोल-मोल से जोड़कर देखा जा रहा है. चर्चा ये भी है कि अगर बीजेपी के साथ बात नहीं बनी, तो राजभर के पास कांग्रेस के साथ जाने का ही विकल्प बचता है.
बता दें, राजभर एसपी-बीएसपी गठबंधन के औपचारिक ऐलान से पहले मायावती और अखिलेश से उम्मीदें लगाए बैठे थे. लेकिन दोनों दलों के बीच सीटों के बंटबारा हो जाने के बाद राजभर के अरमान अधूरे रह गए. फिलहाल राजभर ने बीजेपी को 24 फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया है. अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो राजभर एनडीए से बाहर हो सकते हैं.
5. महान दल के साथ कांग्रेस का गठबंधन
लखनऊ में प्रियंका की मौजूदगी के तीसरे ही दिन क्षेत्रीय पार्टी महान दल ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया. महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने यूपी कांग्रेस के मुख्यालय पर पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात कर गठबंधन की पेशकश की थी, जिसे मान लिया गया.
महान दल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करके बदायूं, नगीना और एटा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इन सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था. महान दल का पश्चिमी यूपी में पिछड़े वर्ग में असर माना जाता है.
6. प्रियंका की एंट्री के बाद कांग्रेस के संपर्क में शिवपाल
यूपी में कांग्रेस को एक बार फिर खड़ा करने में जुटी प्रियंका की नजर सूबे के छोटे दलों पर भी है. इनमें वो दल शामिल हैं, जिन्हें बीजेपी और एसपी-बीएसपी गठबंधन में जगह नहीं मिली. इन्हीं दलों में से एक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी भी है. हालांकि पहले शिवपाल की तरफ से ही की गई है.
सियासी गलियारों में चर्चा है कि शिवपाल यादव ने गुरुवार को फोन पर प्रियंका गांधी से बातचीत की. हालांकि प्रियंका ने समय न होने का हवाला देते हुए बाद में मुलाकात करने को कहा.
बताया जा रहा है कि शिवपाल ने प्रियंका से फोन पर मिलने का वक्त मांगा था. इस पर प्रियंका ने कहा कि फिलहाल तो वह काफी व्यस्त हैं. लेकिन दो-तीन दिन में मुलाकात करते हैं.
कांग्रेस एमएलसी और प्रियंका गांधी के करीबी दीपक सिंह ने भी हाल ही में शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात की थी. दोनों नेताओं की तस्वीर सामने आने के बाद ये साफ हो गया है कि दोनों दलों के बीच सियासी खिचड़ी पक रही है.
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