राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति होंगी. इस संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी महिला बन गई हैं. मुर्मू को जीत के लिए जरूरी नंबर तीसरे राउंड में ही मिल गए. जीत के लिए 5 लाख 43 हजार 261 वोट चाहिए थे. यशवंत सिन्हा को तीसरे राउंड तक 2 लाख 61 हजार 62 वोट ही मिले. ऐसे में जानते हैं कि देश में राष्ट्रपति चुनाव के सबसे बड़ी और सबसे छोटी जीत कौन सी है.
द्रौपदी मुर्मू की कितनी बड़ी जीत?
द्रौपदी मुर्मू को 676803 और यशवंत सिन्हा को 380177 वोट मिले. राज्य सभा के सेक्रेटरी जनरल के अनुसार द्रौपदी मुर्मू ने 2824 प्रथम वरीयता वोट हासिल किए हैं जिसका मूल्य 6,76,803 है. जबकि बहुमत का आंकड़ा केवल 5,28,491 था. दूसरी तरफ यशवंत सिन्हा को 1,877 प्रथम वरीयता के वोट मिले हैं जिसका मूल्य 3,80,177 है.
राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को 64 फीसदी वोट मिले हैं जबकि यशवंत सिन्हा को केवल 36 फीसदी वोट मिले.
राष्ट्रपति चुनाव की सबसे बड़ी जीत
भारत में राष्ट्रपति चुनाव की सबसे बड़ी का रिकॉर्ड राजेंद्र प्रसाद के नाम है. जब उन्हें लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव गया तो उन्होंने रिकॉर्ड बना दिया. उन्हें 4,59,698 वोट मिले थे. वहीं दूसरे नंबर पर रहे नागेंद्र नारायण दास को 2,000 और तीसरे नंबर पर चौधरी हरि राम को 2,672 वोट मिले. तब कुल 4,64,370 पड़े थे.
तीसरे और ग्यारहवें राष्ट्रपति चुनाव में जीत का मार्जिन अधिक था. 1962 में तीसरा राष्ट्रपति चुनाव में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 5,53,067, चौधरी हरिराम को 6,341 और तीसरे नंबर पर रहे यमुना प्रसाद त्रिसुलिया को 3,537 वोट मिले थे. ऐसे ही 1997 में ग्यारहवें राष्ट्रपति चुनाव में केआर नारायणन को 9,56,290 और टीएन शेषन को 50,631 वोट मिले थे.
दूसरा राष्ट्रपति चुनाव, 1957
1. डॉ राजेंद्र प्रसाद 4,59,698
2. नागेंद्र नारायण दास 2,000
3. चौधरी हरि राम 2,672
कुल 4,64,370
डॉ. राजेंद्र प्रसाद को दूसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित घोषित किया गया.
तीसरा राष्ट्रपति चुनाव, 1962
1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन 5,53,067
2. चौधरी हरि राम 6,341
3. यमुना प्रसाद त्रिसूलिया 3,537
कुल 5,62,945
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को निर्वाचित घोषित किया गया.
एपीजे अब्दुल कलाम भी बड़े मार्जिन से जीते थे
साल 2002 में हुए बारहवें राष्ट्रपति चुनाव में एपीजे अब्दुल कमाल की बड़ी जीत हुई थी. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 9,22,884 और लक्ष्मी सहगल को 1,07,366 वोट मिले थे.
दरअसल साल 2002 में बीजेपी ने एपीजे अब्दुल कलाम को उम्मीदवार बनाकर सबको चौंका दिया था. विपक्ष भी उहापोह में था कि वोट करे तो किसे. आखिर में ऐसा हुआ कि कांग्रेस सहित अधिकतर विपक्षी दलों ने अब्दुल कलाम को ही वोट किया. ये इतिहास के एकतरफा मुकाबलों में से एक माना जाता है.
बारहवां राष्ट्रपति चुनाव, 2002
1. डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम 9,22,884
2. लक्ष्मी सहगल 1,07,366
कुल 10,30,250
डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम को निर्वाचित घोषित किया गया था.
राष्ट्रपति चुनाव में वीवी गिरी की सबसे छोटी जीत
सबसे छोटी या क्लोज फाइट की बात करें तो वीवी गिरी का नाम आता है. 1969 में हुए पांचवें राष्ट्रपति चुनाव में वीवी गिरी को 4,01,515 और नीलम संजीव रेड्डी को 3,13,548 वोट मिले थे. जीत का मार्जिन 87967 वोटों का ही था. दरअसल, इस चुनाव में कुल 15 उम्मीदवार थे. ऐसे में वोट अन्य उम्मीदवारों में बंट गए थे. कुल 8,36,337 वोट पड़े थे.
राष्ट्रपति चुनाव में निर्विरोध चुना गया उम्मीदवार
राष्ट्रपति चुनाव में एक वक्त ऐसा भी था जब नीलम संजीव रेड्डी को निर्विरोध चुना गया था. दरअसल,1977 में सातवें राष्ट्रपति चुनाव में कुल 37 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था, लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर ने 36 उम्मीदवारों के नामांकन में कमी पाई गई और खारिज कर दिया. केवल एक वैध रूप से नामांकित उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी थे. तब उन्हें भारत के राष्ट्रपति के रूप में जीता हुआ घोषित किया गया था.
राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में चौधरी हरिराम ऐसे उम्मीदवार रहे, जो दो बार प्रत्याशी रहे और दोनों बार दूसरे स्थान पर रहे, लेकिन कभी राष्ट्रपति नहीं बन पाए.
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