"मोहे दादी इंदिरा जी ने रानी लक्ष्मी बाई की कहानी खूब सुनाई है, मोये बचपन में तुम्हारे क्षेत्र की वीरता और साहस की कहानी है."
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने शुक्रवार, 21 जुलाई को ग्वालियर में जन-आक्रोश महारैली में स्थानीय ब्रज भाषा में कहा कि, "ग्वालियर चंबल क्षेत्र में आकर मैं बहुत खुश हूं... मेरी दादी ने मुझे रानी लक्ष्मी बाई (Rani Lakshmi Bai) के बारे में बहुत कुछ बताया था, उन्होंने मुझे इस क्षेत्र के लोगों की वीरता के बारे में बहुत कुछ बताया था."
रानी लक्ष्मीबाई की समाधी पर पहुंची प्रियंका गांधी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उन्होंने पूर्व कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ कांग्रेस के एक महत्वपूर्ण रुख को दिखा दिया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया, 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिराकर बीजेपी में शामिल हो गए थे.
सिंधिया परिवार का नाम रानी लक्ष्मी बाई का साथ नहीं देने के आरोपों से जुड़ा है, ऐसा इसलिए क्योंकि जब रानी लक्ष्मीबाई ने ब्रिटिश घुसपैठ के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और मदद के लिए सिंधिया विरासत का रुख किया तब सिंधिया परिवार ने उनका साथ नहीं दिया था.
सिंधिया परिवार के शासकों के भाग जाने और गद्दार करार दिए जाने के आरोपों की चर्चा सदियों से चली आ रही है.
राज्य के वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि प्रियंका गांधी द्वारा रानी लक्ष्मी बाई का संदर्भ, इस चर्चा को बढ़ावा देने में मदद करेगा और पूर्व कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस को धोखा दिए जाने के विचार को मजबूत करेगा. क्योंकि वह 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए बीजेपी में शामिल हो गए थे. प्रियंका गांधी ने स्पष्ट रूप से सिंधिया का नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने कहा कि,
"हमारे देश की परंपरा रही है कि हम नेताओं में सादगी, शालीनता और सच्चाई देखते हैं. हम चाहते हैं कि हमारे नेता में ऐसे गुण हों."प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी ने शुक्रवार, 21 जुलाई को ग्वालियर में पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता की सभा को संबोधित करते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार पर हमला किया और आरोप लगाया कि यह पैसे से खरीदी गई सरकार है.
उन्होंने कहा, "इस सरकार का आधार गलत है, यह खराब है. यह वह सरकार है जिसे खरीदा गया है... इसलिए वे इस तरह ही काम कर रहे हैं."
इससे पहले शुक्रवार, 21 जुलाई को उन्होंने प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मी बाई को पुष्पांजलि अर्पित की थी.
'कांग्रेस रणनीतिक कदम से क्षेत्र में बीजेपी और सिंधिया के प्रभाव का मुकाबला कर रही'
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, रानी लक्ष्मी बाई का आह्वान करने के कांग्रेस के हालिया कदम को ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में बीजेपी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपस्थिति के सीधे जवाब के रूप में देखा जा रहा है.
2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 15 साल के गैप को खत्म करते हुए, क्षेत्र की 34 में से 26 सीटें जीतकर प्रभावशाली जीत हासिल की थी.
सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बावजूद, यह क्षेत्र सबसे पुरानी पार्टी का समर्थक बना हुआ है, और कांग्रेस इस समर्थन पर भारी भरोसा कर रही है.
बीजेपी के 18 साल के शासन के कारण स्पष्ट सत्ता विरोधी लहर के अलावा, पार्टी अपने वफादारों और सिंधिया के साथ पाला बदलने वाले नव-शामिल सदस्यों के बीच गुटबाजी और अशांति जैसी आंतरिक चुनौतियों से जूझ रही है.
एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर आगामी 2023 चुनावों में बीजेपी के टिकट वितरण को लेकर अनिश्चितता की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि...
"पार्टी को इस बात को लेकर दुविधा का सामना करना पड़ रहा है कि क्या उन लोगों को प्राथमिकता दी जाए जो सिंधिया के साथ कांग्रेस में शामिल हुए थे या अपने पारंपरिक पार्टी सदस्यों के साथ बने रहें. इस दुविधा की वजह से क्षेत्र के कुछ पारंपरिक सदस्यों के समर्थन में उल्लेखनीय कमी आई है, जिससे बीजेपी के लिए चुनावी लड़ाई कठिन हो गई है."
इसके अलावा, पूर्व कांग्रेस नेताओं के साथ स्थानीय बीजेपी सदस्यों के विलय को 2-3 साल बाद भी एकीकरण के मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है. यह स्थिति कांग्रेस के लिए एक मौके की तरह है, क्योंकि बीजेपी के ग्वालियर-चंबल विंग के भीतर असंतोष और भ्रम चुनाव में कांग्रेस को फायदा पंहुचा सकता है. पार्टी के अंदर कई लोग टिकट पाने को लेकर संशय में हैं और वफादारों के बीच पीठ-पीछे विद्रोह की सुगबुगाहट है, जो चुनाव में बीजेपी की संभावनाओं को और नुकसान पहुंचा सकती है.
जैसे-जैसे चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल गर्माता जा रहा है, कांग्रेस पार्टी ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में खुद को रणनीतिक रूप से स्थापित करने के लिए ऐतिहासिक प्रतीकवाद का फायदा उठा रही है, साथ ही बीजेपी की आंतरिक चुनौतियों का भी फायदा उठा रही है.
कांग्रेस का फोकस भ्रष्टाचार, बेरोजगारी पर...
जैसे-जैसे मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस कथित भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अधूरे वादों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसके बारे में उनका दावा है कि यह काम बीजेपी की निगरानी में हुआ है.
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने प्रियंका गांधी की महारैली में सत्तारूढ़ बीजेपी पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि शिवराज सिंह चौहान 18 साल तक बढ़ती बेरोजगारी वाले राज्य का नेतृत्व कर रहे हैं.
कमलनाथ ने 2500 घोटालों की एक चौंका देने वाली संख्या का भी जिक्र किया, जिनके बारे में उन्होंने दावा किया कि यह सभी बीजेपी की निगरानी में हुए हैं. उन्होंने विशेष रूप से महाकाल लोक घोटाले और पटवारी भर्ती घोटाले को बीजेपी के कामों के विनाशकारी उदाहरण के रूप में बताया.
कमलनाथ ने अपने भाषण में मौजूदा सीएम चौहान पर 'घोषणा की मशीन' बनने का आरोप लगाया और कहा कि चुनाव से पहले मशीन दोगुनी गति से चल रही है. कमलनाथ ने कहा,
"बीजेपी सरकार ने मध्य प्रदेश की राजधानी को झूठ की राजधानी बना दिया है. उन्होंने किसानों से, माताओं-बहनों से, आदिवासियों से, दलितों से और यहां तक कि गायों से भी झूठ बोला है. शिवराज ने 18 साल में झूठ का पहाड़ खड़ा किया है और झूठ और भ्रष्टाचार की मशीन बनाई है."कमलनाथ, मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश
वहीं, प्रियंका गांधी ने भी बीजेपी सरकार पर भ्रष्ट आचरण में शामिल होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि...
"माता-पिता अपने बच्चों की ट्यूशन पर बहुत खर्च करते हैं. लेकिन पटवारी भर्ती घोटाले में क्या हुआ? यह शर्म की बात है कि पिछले तीन वर्षों में केवल 21 सरकारी नौकरियां दी गई हैं. वे (बीजेपी) सरकार में हैं 18 साल से. वे आज जो वादे कर रहे हैं उनमें से एक भी वादा इन सभी वर्षों में राज्य के युवाओं और महिलाओं से नहीं किया गया.''प्रियंका गांधी
ग्वालियर में प्रियंका गांधी की रैली के जवाब में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कांग्रेस पार्टी पर सेलेक्टिव पॉलिटिक्स का आरोप लगाया. शर्मा ने कहा कि...
"प्रियंका गांधी आप छोटी से छोटी घटना पर ट्वीट करती हैं, लेकिन जब कोई अल्पसंख्यक समुदाय का अपराधी किसी दलित भाई के मुंह में मल डालता है तो आप न तो ट्वीट करती हैं और न ही उस पर एक शब्द बोलती हैं. मध्यप्रदेश में ऐसी एक नहीं कई घटनाएं हैं जिसपर आप तुष्टीकरण की राजनीति करती हैं.''
जैसे-जैसे कांग्रेस पार्टी आगामी चुनावों के लिए तैयार हो रही है, वे खुद को भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और अधूरे वादों के मुद्दों को संबोधित करने वाली पार्टी के रूप में पेश कर रही है, जिस बारे में उनका दावा है कि इन चीजों ने बीजेपी के शासन के अंदर मध्य प्रदेश को त्रस्त कर दिया है.
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