पंजाब चुनाव (Punjab Election) में बड़ी जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने सरकार बना ली है. भगवंत मान नए मुख्यमंत्री बने हैं और साथ ही अपने मंत्रिमंडल का भी गठन भी कर लिया है. 19 मार्च को राजभवन में राज्यपाल ने 10 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई.
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की कैबिनेट में जिन लोगों को जगह मिली है, उनमें से ज्यादातर पहली बार विधायक हैं, और सिर्फ दो अनुभवी नाम- हरपाल सिंह चीमा और गुरमीत सिंह मीत, ने इस कैबिनेट में जगह बनाई है.
नए मंत्रिमंडल में चार दलित चेहरे हैं. मालवा से पांच और और माझा बेल्ट से चार विधायकों को जगह मिली है. मतलब कैबिनेट गठन में माझा और मालवा क्षेत्र का दबदबा भी साफ झलक रहा है. दोआबा बेल्ट, जहां 23 विधानसभा सीटें हैं और राज्य में दलितों का अनुपात सबसे अधिक है, वहां से एक विधायक को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. महिला सशक्तिकरण की बात करने वाली आम आदमी पार्टी ने सिर्फ एक महिला नेता को कैबिनेट में जगह दी है.
यहां खास देखने वाली बात ये है कि पंजाब कैबिनेट में मुख्यमंत्री के पद सहित कुल 18 सीटें हैं, लेकिन फिलहाल अब तक सिर्फ 11 मंत्रियों के नाम की घोषणा की गई है.
कोटकपूरा से विधायक कुलतार सिंह संधवां को 117 सदस्यीय विधानसभा का अगला अध्यक्ष नामित किया गया है.
बड़े नाम और चेहरों को नहीं मिली जगह
ऐसा माना जा रहा था कि दोबारा चुनाव जीतकर विधायक बने नेताओं को उनकी वफादारी के लिए पुरस्कृत किया जाएगा, लेकिन उनमें से सिर्फ दो ही अब तक मंत्रियों की लिस्ट में जगह बना पाए हैं- हरपाल चीमा और गुरमीत सिंह मीत हेयर. चीमा जहां पार्टी का एक प्रमुख दलित चेहरा हैं, वहीं बरनाला के विधायक मीत हेयर पंजाब में आप की युवा शाखा के अध्यक्ष हैं.
पार्टी के प्रमुख नेता, अमन अरोड़ा, जय किशन रोरी और प्रिंसिपल बुद्ध राम मंत्रियों की इस लिस्ट में शामिल नहीं हैं.
इसके अलावा अगर राजनीतिक अनुभव की बात करें तो सिर्फ चीमा ही एक वरिष्ठ नेता हैं जिन्हें कैबिनेट में जगह मिली है. इसका मतलब हुआ कि भगवंत मान के मंत्रिमंडल के अंदर निर्विवाद रहने की संभावना है.
मंत्रियों की लिस्ट में 4 दलित और सिर्फ 1 महिला का नाम
पंजाब की करीब 32 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति से आती है ऐसे में भगवंत मान की कैबिनेट में चार दलित नेताओं को जगह मिली है.
हरपाल चीमा
बलजीत कौर
हरभजन सिंह ईटीओ और
लाल चंद कटारुचक
वहीं महिलाओं की बात करें तो कौर कैबिनेट में अकेली महिला हैं. कौर पहली बार विधायक बनी हैं और उन्होंने मुक्तसर जिले के मलौट से शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार हरप्रीत सिंह को 40,261 मतों से हराया है.
53 साल के हरभजन सिंह पूर्व आबकारी और कराधान अधिकारी (Excise and Taxation Officer) हैं. हरभजन सिंह को साल 2017 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि 2022 में हरभजन ने कांग्रेस के सुखविंदर सिंह डैनी को जंडियाला सीट से 25,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया है.
इसके अलावा आप की एससी विंग के अध्यक्ष कटारुचक 2017 में पार्टी में शामिल हुए थे, इससे पहले वे रिवोल्यूशनरी मार्क्सिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से जुड़े थे. उन्होंने पठानकोट की भोआ सीट से चुनाव जीता है. बताया जाता है कि लालचंद के पिता एक मजदूर थे.
कैबिनेट में विवादित नाम- कुलदीप सिंह धालीवाल
अजनाला से विधायक कुलदीप सिंह धालीवाल आप कैबिनेट की लिस्ट में एक विवादास्पद नाम बने हुए हैं. उन्होंने अकाली दल के उम्मीदवार अमरपाल सिंह को हराया और पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) से जुड़े थे. उन्होंने आप के टिकट पर अमृतसर से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था और हार का सामना करना पड़ा था.
अपने आतंकवाद विरोधी रुख के लिए आतंकवादी संगठनों की हिट-लिस्ट में रहने वाले कुलदीप के खिलाफ साल 2019 में हत्या का मामला दर्ज किया गया था. धालीवाल के हलफनामे के अनुसार, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.
बता दें कि पंजाब के नव-निर्वाचित विधायकों में से आधे पर पहले विभिन्न आपराधिक मामलों में मामला दर्ज किया गया है, वहीं हर पांचवें विधायक पर हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध से लेकर अवैध खनन तक के गंभीर आरोप हैं.
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