किसान कानूनों से नाराज शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र और राज्य में बीजेपी से दूरी बना ली है अब बीएसपी के साथ जाने की तैयारी है. दोनों ही पार्टियों में गठबंधन पर बातचीत तकरीबन पूरी हो चुकी है और शनिवार को इसका ऐलान किया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार को अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल बीएसपी नेताओं से मिलेंगे और गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया जा सकता है.
2022 चुनाव से पहले अहम माना जा रहा है कदम
पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में अकाली दल, बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी. ऐसा माना जा रहा है कि जितनी सीटें अकाली दल, बीजेपी को देती आई है इन चुनाव में उसी के आसपास की संख्या में बीएसपी को सीटें मिल सकती हैं.
पिछले लोकसभा चुनाव में अलग-अलग लड़ी अकाली दल और बीएसपी का वोट शेयर मिला लिया जाए तो ये 30 फीसदी से ज्यादा होता है. हालांकि, साथ में आने पर आंकड़ों में बड़ा उलटफेर हो सकता लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस के लिए ये गठबंधन बड़ी चुनौती के तौर पर देखा जा सकता है. पंजाब की करीब 32 फीसदी दलित आबादी में बीएसपी का अच्छा खासा दबदबा है ऐसे में अकाली दल और बीएसपी दोनों का साथ आना निश्चित तौर पर पार्टियों के चुनावी प्रदर्शन में फायदा पहुंचा सकता है.
बीजेपी अकेले लड़ेगी चुनाव
पिछले साल ही जब बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल ने तीन विवादित कृषि कानूनों को लेकर NDA के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया था तब बीजेपी की राज्य इकाई की तरफ से ये ऐलान कर दिया गया था कि राज्य की सभी सीटों पर बीजेपी अकेले चुनाव लड़ेगी. बता दें कि बीजेपी और अकाली दल का गठबंधन 1992 से शुरू हुआ था. अकाली दल वरिष्ठ पार्टी थी और इसलिए 94 सीटों पर लड़ी थी, जबकि बीजेपी महज 23 सीटों पर. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने 3 और शिरोमणि अकाली दल ने 10 पर चुनाव लड़ा था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)