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कांग्रेस बोली-राफेल डील में करप्शन के सबूत,BJP का पलटवार-UPA सरकार ने लिया कमीशन

फेल के सौदे में भ्रष्टाचार के सबूत, सीबीआई-ईडी ने कार्रवाई क्यों नहीं की : कांग्रेस

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कांग्रेस (Congress) ने भारत-फ्रांस के बीच हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे में एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. पार्टी ने फ्रांस के एक पब्लिकेशन 'मीडिया पार्ट' का हवाला देकर ये आरोप लगाए हैं. कांग्रेस ने सबूतों के आधार पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कोई कार्रवाई न करने पर भी सवाल उठाए हैं. मीडियापार्ट' का दावा है कि फ्रांसीसी कंपनी देसॉ एविएशन ने 36 लड़ाकू विमानों के सौदे के लिए एक बिचौलिए को 7.5 मिलियन यूरो कमीशन दिया था. इसी को आधार बनाते हुए मंगलवार को कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने दावा किया कि मोदी सरकार द्वारा 'राफेल डील' में भ्रष्टाचार एक बार फिर उजागर हो गया है. बीजेपी की सरकार ने भारतीय वायु सेना के हितों को खतरे में डालकर देश के खजाने को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया है.

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'ऑपरेशन कवर-अप' के नवीनतम खुलासे से राफेल भ्रष्टाचार को दबाने का पता चलता है. 4 अक्टूबर 2018 को बीजेपी के दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और एक वरिष्ठ वकील ने राफेल सौदे में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए निदेशक, सीबीआई को शिकायत सौंपी थी. 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस सरकार ने अपने अटॉर्नी जनरल के माध्यम से राफेल सौदे से जुड़े कमीशन के कथित भुगतान के संबंध में सीबीआई को दस्तावेजों की आपूर्ति की थी।

खेड़ा ने कहा कि 23 अक्टूबर 2018 को केंद्र सरकार की एक समिति ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को मध्यरात्रि में ही हटा दिया, दिल्ली पुलिस के माध्यम से सीबीआई मुख्यालय पर छापा मारा गया, जिसके बाद एम नागेश्वर राव को सीबीआई प्रमुख नियुक्त किया था. ये सीबीआई के माध्यम से राफेल डील में की गई गड़बड़ी थी.

उन्होंने सवाल किया कि मोदी सरकार और सीबीआई ने पिछले 36 महीनों से भ्रष्टाचार के सबूतों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की? इसे मामले को क्यों दबाया गया? मोदी सरकार ने मध्यरात्रि में सीबीआई प्रमुख को क्यों हटाया?

भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना उन्हीं 36 विमानों के लिए 41,205 करोड़ अतिरिक्त क्यों दे रहे हैं? जब 126 विमानों का लाइव अंतरराष्ट्रीय टेंडर था तो पीएम एकतरफा 36 विमान 'ऑफ द शेल्फ' कैसे खरीद सकते थे?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक स्टोरी लिंक शेयर करते हुए ट्वीट किया है.

जब पग-पग पर सत्य साथ है,तो फ़िक्र की क्या बात है? मेरे कांग्रेस साथियों-भ्रष्ट केंद्र सरकार के खिलाफ़ ऐसे ही लड़ते रहो। रुको मत, थको मत, डरो मत!

कांग्रेस ने कहा कि फ्रेंच न्यूज पोर्टल मीडियापार्ट ने चौंकाने वाले खुलासे के ताजा सेट में उजागर किया है कि कैसे बिचौलिए सुशेन गुप्ता ने 2015 में भारत के रक्षा मंत्रालय से भारतीय वार्ता दल (आईएनटी) से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को भारत के रुख का विवरण देते हुए पकड़ा था. क्या यह सही नहीं है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 26 मार्च 2019 की छापेमारी में बिचौलियों से गुप्त रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज बरामद किए हैं?

बीजेपी का पलटवार, कांग्रेस पर लगाया कमीशन लेने का आरोप

राफेल डील मामले में कांग्रेस पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने 2007 से 2012 के बीच यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस पर कमीशन लेने का आरोप लगाया है. फ्रांस की मीडिया( मीडियापार्ट ) द्वारा किए गए खुलासे को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी जवाब दें कि राफेल को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश उन्होंने और उनकी पार्टी ने इतने सालों तक क्यों किया ?

संबित पात्रा ने यूपीए सरकार के दौरान दलाली के लिए एग्रीमेंट ऑफ कमीशन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि दलाली की रकम 40 प्रतिशत तय की गई थी. फ्रांस की मीडिया द्वारा किए गए खुलासे का हवाला देते हुए संबित पात्रा ने कहा कि 2007-2012 के दौरान राफेल को लेकर एक बड़ी साजिश रची गई थी. इन पांच सालों के दौरान भारतीय रुपयों में 36 राफेल के डील के लिए 65 करोड़ रुपये का कमीशन दिया गया. कांग्रेस को बताना चाहिए कि यह पैसा कहां गया, किसने लिया ?

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पात्रा ने आरोप लगाया कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ लेने के लिए ही राहुल गांधी ने यह मामला उठाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को इस पूरे मामले में क्लीन चिट दे दी. कैग ने भी इसे बेहतर डील बताया और 2019 लोक सभा चुनाव में क्या हुआ, ये सबने देखा है.

कांग्रेस पर हमेशा से हर डील में कमीशन लेने का आरोप लगाते हुए संबित पात्रा ने कहा कि आईएनसी का मतलब इंडियन नेशनल कांग्रेस नहीं आई नीड कमीशन है और भ्रष्टाचार का पता 10 जनपथ है. संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि इंडियन एयरफोर्स को एयरक्राफ्ट की जरूरत थी लेकिन 10 वर्षों तक यूपीए सरकार ने इसे लटकाया रखा. अब सच सामने आया कि 10 साल तक बातचीत एयरक्राफ्ट के लिए नहीं बल्कि कमीशनखोरी को लेकर होती रही.

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