आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने सदन की कार्यवाही से पहले गुरुवार, 6 अप्रैल को एक प्राइवेट मेंबर रेजोल्यूशन दाखिल किया. इस रेजोल्यूशन में उन्होंने "न्यायपालिका की स्वतंत्रता" को बनाए रखने के लिए "न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित" करने की मांग की.
आप नेता ने एक ट्वीट के माध्यम से अपने रेजोल्यूशन में उल्लेखित पांच बिंदुओं की जानकारी दी है. साथ में उन्होंने लिखा, "संसद में आज सूचीबद्ध मेरा प्राइवेट मेंबर रेजोल्यूशन माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने का प्रयास करता है, जो हमारे संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है.
राघव चड्ढा के प्राइवेट मेंबर रेजोल्यूशन के पांच प्वाइंट्स:
1. कोलेजियम द्वारा पदोन्नति के लिए नामों की सिफारिश करने के बाद, भारत सरकार के पास कॉलेजियम को अपनी टिप्पणी और नामों से जुड़ीं खुफिया सूचनाओं को प्रस्तुत करने के लिए 30 दिनों की समय सीमा होगी.
2. ऐसी सभी टिप्पणियों और इनपुट को प्रासंगिक और आवश्यक होना चाहिए, और बाहरी या अनावश्यक पहलुओं पर निर्भर नहीं होना चाहिए.
3. भारत सरकार को या तो कॉलेजियम की सिफारिश को स्वीकार करना चाहिए या 30 दिनों की पूर्वोक्त अवधि के भीतर कॉलेजियम की सिफारिश को पुनर्विचार के लिए लौटा देना चाहिए.
4. यदि भारत सरकार 30 दिनों के भीतर एक्शन लेने में विफल रहती है, तो नियुक्ति का वारंट जारी करने के लिए 7 दिनों के भीतर न्याय विभाग के सचिव द्वारा कॉलेजियम की सिफारिश भारत के राष्ट्रपति को भेज दी जाएगी.
5. यदि भारत सरकार पुनर्विचार के लिए कॉलेजियम को सिफारिश लौटाती है और कॉलेजियम सिफारिश को दोहराता है, तो न्याय विभाग का सचिव 15 दिनों के भीतर राष्ट्रपति को नियुक्त वारंट जारी करने के लिए उपरोक्त सिफारिश भेजेगा.
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